नई दिल्ली: हिन्दु धर्म के लिए हर त्यौहार खास होता है, लेकिन नवरात्रि का कुछ खास महत्व होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सालभर में कुल चार नवरात्रि आती हैं. जिसमें दो सामान्य और दो गुप्त नवरात्रि होती हैं.
प्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रुमावती, मां बंगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है. पंचांग के मुताबिक, आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि 30 जून 2022 से शुरू हो रही है और 9 जुलाई 2022 को समाप्त होगी.
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आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2022 घटस्थापना शुभ मुहूर्त
हिंदी पंचांग के अनुसार आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 30 जून दिन गुरुवार से शुरू हो रही है. जोकि 09 जुलाई दिन शनिवार संपन्न होगी.
गुप्त नवरात्रि प्रतिपदा तिथि का आरंभ– 29 जून 2022, सुबह 8 बजकर 21 मिनट
गुप्त नवरात्रि प्रतिपदा तिथि की समाप्ति– 30 जून 2022, सुबह 10 बजकर 49 मिनट
घटस्थापना मुहूर्त – सुबह 5 बजकर 26 मिनट से 6 बजकर 43 मिनट तक
पूजा करने की विधि
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पूजा में सबसे पहले प्रातः काल स्नान करके घट स्थापना की जाती है. उसके बाद पूजा प्रारंभ की जाती है. गुप्त नवरात्रि में सुबह और शाम की पूजा में मां दुर्गा को बताशे का भोग लगाया जाता है. पूजा के दौरान माता को श्रृंगार के सारे सामान अर्पित किये जाते हैं. दोनों वक्त की पूजा में दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. माता की पूजा के दौरान ओम् दुं दुर्गायै नमः का जाप करें. गुप्त नवरात्रि के दौरान बिना किसी को बताए मां की आराधना की जाती है. सुबह और शाम दोनों वक्त मां की पूजा करना अनिवार्य होता है.
इन मंत्रो का करें जाप
पौराणिक काल से ही लोगों की आस्था गुप्त नवरात्रि में रही है. गुप्त नवरात्रि में शक्ति की उपासना की जाती है ताकि जीवन तनाव मुक्त रहे. माना जाता है कि इस दौरान माँ शक्ति के खास मंत्रों के जाप से किसी भी समस्या से मुक्ति पाई जा सकती है या किसी सिद्धि को हासिल किया जा सकता है. सिद्धि के लिए ॐ एं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै, ॐ क्लीं सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन्य धान्य सुतान्यवितं, मनुष्यों मत प्रसादेंन भविष्यति न संचयः क्लीं ॐ, ॐ श्रीं ह्रीं हसौ: हूं फट नीलसरस्वत्ये स्वाहा आदि विशेष मंत्रों का जप किया जा सकता है.