Harela Festival Uttarakhand: उत्तराखंड में हर्षोल्लास से मनाया गया हरेला पर्व, सीएम धामी ने रुद्राक्ष का पौधा लगाकर दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश
उत्तराखंड में हरेला पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया, जिसमें प्रदेशभर में 5 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में रुद्राक्ष का पौधा रोपकर अभियान की शुरुआत की। उन्होंने इसे पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक बताया।
Harela Festival Uttarakhand: उत्तराखंड की संस्कृति और प्रकृति प्रेम का प्रतीक लोकपर्व हरेला आज पूरे राज्य में धूमधाम से मनाया गया। पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से मनाए जाने वाले इस पर्व के अवसर पर राज्य सरकार ने प्रदेशभर में 5 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया, जिसमें गढ़वाल मंडल में 3 लाख और कुमाऊं मंडल में 2 लाख पौधे रोपित किए जा रहे हैं।
राजधानी देहरादून स्थित गोरखा मिलिट्री इंटर कॉलेज में हरेला पर्व का राज्य स्तरीय मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वयं रुद्राक्ष का पौधा लगाकर पौधरोपण अभियान का शुभारंभ किया। उनके साथ वन मंत्री सुबोध उनियाल और कृषि मंत्री गणेश जोशी ने भी पौधे रोपे।
हरेला: प्रकृति पूजन और संरक्षण का पर्व
सीएम धामी ने इस अवसर पर कहा कि हरेला केवल एक पर्व नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने और पर्यावरण संरक्षण के प्रति सामूहिक संकल्प का दिन है। उन्होंने कहा, “आज का दिन बहुत शुभ है। यह हमारे पूर्वजों की उस परंपरा को आगे बढ़ाने का दिन है, जिसमें प्रकृति का पूजन और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी जाती रही है।”
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उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार ने आज के दिन कम से कम 5 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया है, जो आने वाले समय में जल, जंगल और जमीन के संरक्षण में अहम भूमिका निभाएंगे।
‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान से भी जुड़ा कार्यक्रम
सीएम धामी ने बताया कि यह वृक्षारोपण अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाए गए ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान से भी जुड़ा हुआ है। इस अभियान का यह दूसरा वर्ष है, और इसके तहत देशभर में करोड़ों पेड़ लगाने की योजना है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड भी इस अभियान में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
पेड़ लगाना ही नहीं, उनका संरक्षण भी जरूरी
मुख्यमंत्री ने केवल पौधे लगाने तक सीमित न रहते हुए उनके संरक्षण पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “उत्तराखंड में पेड़ लगाना, विशेषकर फलदार पेड़ जो जीव-जंतुओं के लिए भी उपयोगी हों, और जल स्रोतों के संरक्षण के लिए वृक्षारोपण करना हमारी सरकार की प्राथमिकता है।”
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सीएम ने आगे कहा कि उत्तराखंड एक हरित राज्य है, जहां 70 प्रतिशत से अधिक भूमि वन क्षेत्र से आच्छादित है। ऐसे में राज्य का यह कर्तव्य बनता है कि वह न केवल अपने बल्कि पूरे देश और दुनिया के पर्यावरण की रक्षा में भूमिका निभाए।
‘ग्रॉस एनवायरमेंट प्रोडक्ट’ की अनोखी पहल
सीएम धामी ने बताया कि उत्तराखंड सरकार ने देश में पहली बार ग्रॉस एनवायरमेंट प्रोडक्ट (GEP) की अवधारणा लागू की है। इसके माध्यम से यह मापा जा सकेगा कि राज्य पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कितना कार्य कर रहा है और उसका प्रत्यक्ष लाभ आम जनता को कैसे मिल रहा है। उन्होंने कहा कि यह पहल पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में सहायक होगी।
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राज्यभर में आयोजित हुए पौधरोपण कार्यक्रम
हरेला पर्व पर केवल देहरादून ही नहीं, बल्कि प्रदेश के सभी जनपदों, तहसीलों, ब्लॉकों, विद्यालयों और सरकारी कार्यालयों में पौधरोपण कार्यक्रम आयोजित किए गए। स्थानीय लोग, स्कूलों के छात्र, स्वयंसेवी संगठन और सरकारी कर्मचारी बड़ी संख्या में इस अभियान में शामिल हुए। जगह-जगह आम, नीम, पीपल, आंवला, जामुन, अर्जुन और अन्य औषधीय व फलदार वृक्षों के पौधे लगाए गए।
हरेला पर्व उत्तराखंड के लोकजीवन में केवल सांस्कृतिक उत्सव नहीं, बल्कि प्रकृति और पर्यावरण के प्रति एक जिम्मेदारी का अहसास है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार इस पर्व को जन आंदोलन का रूप देकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में नए आयाम स्थापित कर रही है। पौधरोपण की यह परंपरा आने वाली पीढ़ियों को एक स्वच्छ और हरित उत्तराखंड सौंपने की दिशा में एक सशक्त कदम है।
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