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RESCUE CENTER CHIDIYAPUR HARIDWAR: हरिद्वार का अनोखा ‘जेल’: जहां कैद हैं खूंखार आदमखोर गुलदार, हर मंगलवार को रखते हैं ‘उपवास’

RESCUE CENTER CHIDIYAPUR : उत्तराखंड के विभिन्न इलाकों में कई लोगों की जान लेने वाले 16 आदमखोर गुलदारों को हरिद्वार के चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर में कैद रखा गया है। यह जगह एक तरह की 'जेल' बन गई है, जहां इन खतरनाक जानवरों को इंसानों से दूर रखा जाता है।

RESCUE CENTER CHIDIYAPUR HARIDWAR : उत्तराखंड के जंगलों में कई लोगों की जान लेने वाले खूंखार आदमखोर गुलदारों के लिए सरकार ने एक विशेष ‘जेल’ बनाई है। यह जेल कोई आम कारागार नहीं, बल्कि एक रेस्क्यू सेंटर है, जहां इन नरभक्षी गुलदारों को सुरक्षित रूप से कैद करके रखा गया है।

हरिद्वार के चिड़ियापुर में बना रेस्क्यू सेंटर उन जानवरों का स्थायी ठिकाना बन चुका है, जिन्हें अब जंगल में छोड़ना इंसानों के लिए खतरनाक हो सकता है। यहां फिलहाल 16 से अधिक गुलदार कैद हैं, जो कभी उत्तराखंड के अलग-अलग हिस्सों में आतंक का पर्याय बन चुके थे।

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कैसे बना यह ‘जेल’ खूंखार गुलदारों के लिए सुरक्षित ठिकाना?

उत्तराखंड वन विभाग ने इस रेस्क्यू सेंटर की स्थापना घायल जानवरों के इलाज और पुनर्वास के लिए की थी। लेकिन समय के साथ, यह आदमखोर गुलदारों के लिए स्थायी जेल में तब्दील हो गया। यह सेंटर हरिद्वार के नजीबाबाद रोड पर करीब 35 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है, जहां इन खूंखार शिकारी जानवरों को विशेष निगरानी में रखा जाता है।

वन विभाग के पास पहले सिर्फ 6 गुलदारों को रखने की व्यवस्था थी, लेकिन अब इसे 16 से अधिक गुलदारों की देखभाल करने के लिए अपग्रेड किया गया है। विभाग इसे और भी विस्तारित करने की योजना बना रहा है, ताकि भविष्य में और ज्यादा गुलदारों को यहां लाकर रखा जा सके।

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बाड़े में कैद खूंखार शिकारी: कौन हैं ये गुलदार?

इस रेस्क्यू सेंटर में कैद गुलदारों को रॉकी, जोशी, मोना, रूबी, दारा और सिंबा जैसे नाम दिए गए हैं। इन खूंखार शिकारी गुलदारों में से कुछ ने उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में कई लोगों को अपना शिकार बनाया था।

‘मोना’ – पौड़ी से लाई गई यह मादा गुलदार कभी बेहद शर्मीली थी, लेकिन अब वह इस सेंटर के माहौल में पूरी तरह ढल चुकी है। जब इसे यहां लाया गया था, तब इसकी उम्र 4 साल थी। इसने चार लोगों को मार डाला था। अब यह 15 साल से अधिक की हो चुकी है, जबकि आमतौर पर जंगल में गुलदार 10-12 साल तक ही जीते हैं।

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‘दारा’ – इसे पोखाल से लाया गया था, जब यह तीन लोगों को अपना शिकार बना चुका था। अब यह पूरी तरह यहां के माहौल में ढल चुका है और उसका वजन 80 किलो से ज्यादा हो गया है।

इसके अलावा हीना, सुंदर समेत कई गुलदार इस सेंटर में रहते थे, लेकिन वे अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं।

गुलदारों के लिए विशेष देखभाल: उम्र से ज्यादा जी रहे ये शिकारी

रेस्क्यू सेंटर में गुलदारों की देखभाल के लिए एक विशेषज्ञ टीम तैनात है। वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अमित ध्यानी पिछले 10 सालों से इन आदमखोरों की निगरानी कर रहे हैं।

डॉ. अमित ध्यानी बताते हैं कि जब गुलदारों को पहली बार यहां लाया जाता है, तो वे काफी आक्रामक होते हैं। लेकिन धीरे-धीरे वन विभाग की टीम उनके व्यवहार को नियंत्रित करने में सफल हो जाती है।

यहां इन गुलदारों को समय पर भोजन और दवाइयां दी जाती हैं, जिससे ये जंगल की तुलना में ज्यादा समय तक जीवित रहते हैं। कई गुलदार जो जंगल में सिर्फ 10-12 साल तक जीवित रहते, वे यहां 15-16 साल तक स्वस्थ बने हुए हैं।

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खास नियम: हर मंगलवार को रखते हैं ‘उपवास’

इस रेस्क्यू सेंटर में कैद सभी गुलदारों के लिए एक खास नियम बनाया गया है – हर मंगलवार को उपवास।

डॉक्टरों के मुताबिक, “चाहे इंसान हो या जानवर, उपवास (फास्टिंग) शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी होता है। इसलिए हर मंगलवार गुलदारों को खाना नहीं दिया जाता। बाकी दिनों में उन्हें विशेष आहार दिया जाता है, जिसमें अलग-अलग तरह का मीट शामिल होता है।”

गुलदारों की देखभाल में 7 से 10 लोग हर समय तैनात रहते हैं, जो उनके भोजन, स्वास्थ्य और साफ-सफाई का ध्यान रखते हैं।

क्या इन्हें जंगल में छोड़ा जा सकता है?

इन आदमखोर गुलदारों को दोबारा जंगल में छोड़ने के सवाल पर वन विभाग का स्पष्ट जवाब ‘ना’ है।

डॉ. अमित ध्यानी बताते हैं, “जो गुलदार एक बार नरभक्षी बन जाते हैं, वे दोबारा जंगल में जाकर इंसानों पर हमला कर सकते हैं। इसलिए इन्हें दोबारा जंगल में छोड़ना इंसानों के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकता है।”

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भविष्य की योजना: और बड़े रेस्क्यू सेंटर की तैयारी

वन विभाग की योजना इस रेस्क्यू सेंटर को और अपग्रेड करने की है, ताकि अधिक से अधिक गुलदारों को यहां रखा जा सके।

अभी इस सेंटर में 16 से ज्यादा गुलदारों के रहने की व्यवस्था है, लेकिन इसे और विस्तारित करने की योजना बनाई जा रही है। जल्द ही और अधिक अनुभवी डॉक्टरों और एक्सपर्ट्स की टीम यहां तैनात की जाएगी, ताकि इन गुलदारों की और अच्छी देखभाल की जा सके।

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Written By। Mansi Negi । National Desk। Delhi

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