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बीजेपी के खेल से सहयोगी दलों की क्यों बढ़ी चिंता?

Maharastra politic's Headlines News | Latest News NDA Alliance

Maharastra politic’s Headlines News: बीजेपी की सहयोगी पार्टियां इन दिनों काफी परेशान है। बीजेपी इस लोकसभा चुनाव (Loksabha election) में बहुत सी पार्टियों को अपने खेमे में तो लाने को तैयार है और ऐसा कर भी रही है लेकिन उन छोटी पार्टियों को कोई सीट नहीं देना चाहती। बीजेपी की समझ है कि यह चुनाव उसके लिए ख़ास है। छोटी दलों की राजनीति पर उसे कोई यकीन नहीं है और यही वजह है कि बीजेपी का जिन राज्यों में सहयोगी दलों के साथ गठबंधन है वहां वह अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार है। महाराष्ट्र और बिहार में जो कुछ भी हो रहा है उससे तो साफ़ लगता है कि कई दल बीजेपी के साथ खड़े रहेंगे भी या नहीं ?

सबसे खराब हालत महाराष्ट्र की है। महाराष्ट्र में (Maharastra politic’s Headlines News) लोकसभा की 48 सीटें है। पिछले चुनाव में भी शिवसेना और बीजेपी ने मिलकर अधिक से अधिक सीटों को जीता था। लेकिन इस बार बीजेपी की समझ है कि वह अकेले ही अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी। बीजेपी महराष्ट्र में 35 सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार है। लेकिन उधर बीजेपी की सहयोगी पार्टियां इसका खिलाफत कर रही है। सबसे बुरी हालत तो शिंदे शिवसेना की है।

पिछले चुनाव में शिवसेना को 18 सीटों पर जीत मिली थी। इस बार शिंदे ने फिर से यही, मांग की है। हालांकि बीजेपी जानती है कि शिवसेना की असली ताकत आज भी उद्धव के पास ही है। बीजेपी यह भी जानती है कि भले ही उसने शिवसेना को तोड़े दिया है लेकिन शिंदे के पास अब कोई सहानुभूति नहीं है महाराष्ट्र (Maharastra politic’s Headlines News) की जनता शिंदे को अब पसंद नहीं कर रही है। लेकिन चुकी अभी शिंदे के पास साधिक सांसद हैं तो वह अधिक सीटों की मांग कर रहे हैं। लेकिन बीजेपी शिंदे शिवसेना को मात्र आठ से दस सीट देने को तैयार है। अब शिंदे शिवसेना के भीतर ही खेल शुरू हो गया है। जिन सांसदों को टिकट नहीं मिलेगा वे कहाँ जाएंगे? कहा जा रहा है कि बीजेपी की नजर शिवसेना के उन सांसदों पर है जो अपने इलाके में मजबूत हैं और बीजेपी चाहती है कि शिवसेना के कुछ सांसद उसके चुनाव चिन्ह पर चुनाव लडे। जाहिर है बीजेपी यह सब करके अपनी पार्टी को मजबूत करने को तैयार है। बीजेपी के इस खेल को शिंदे भी समझ रहे हैं। अगर बीजेपी के चुनाव चिन्ह पर शिवसेना के कुछ उम्मीदवार खड़े होते हो तो चुनाव जितने के बाद वे बीजेपी के ही कहलायेंगे। जाहिर है यह सब छोटी प्रतियों को खतम करने जैसा खेल है। शिंदे की मुश्किलें अब बढ़ती जा रही है।

उधर अजित पवार की भी यही परेशानी है। अजित पॅवार को बीजेपी अब चार सीट देने को तैयार है। पहले दस सीटें देने की बात थी लेकिन अब बीजेपी चार से पांच सीटों तक ही देने की बात कर रही है। अब अजित पवार क्या करेंगे यह देखना होगा।

मामला केवल महाराष्ट्र तक (Maharastra politic’s Headlines News) का ही नहीं है यूपी में भी बीजेपी यही सब करती दिख रही है। यूपी में जयंत चौधरी को सपा ने सात सीटें दी थी। लेकिन जैसे ही जयंत चौधरी बीजेपी के साथ गए तब बीजेपी अब जयंत को दो सीटें देने की बात कर रही है। इसके साथ ही जयंत के एक विधायक को मंत्री भी राज्य में बनाया गया है। जयंत अब क्या करेंगे यह देखने की बात होगी। खबर (Maharastra politic’s Headlines News) है कि बीजेपी ने जयंत को कहा है कि विधान सभा चुनाव में उसे सीटें दी जा सकती है। लेकिन जयंत इसे मानने को तैयार नहीं। उधर सुभासपा को भी यही हाल है। सुभासपा पहले आठ सीटों की मांग कर रही थी। लेकिन बीजेपी अब उसे एक या दो सीटों पर ही रोक कर रखना चाहती है। यही हाल अपना दल से लेकर निषाद पार्टी की भी है। सभी दो से चार सीटों के बीच सिमटने की कोशिश की ज रही है।

बिहार (Bihar Politic’s Headlines News NDA) में एनडीए के भीतर क्या होगा यह कोई नहीं जानता। बीजेपी वहां भी अधिक सीटों पर ही लड़ना चाहती है। बीजेपी की बड़ी सहयोगी जदयू है। जदयू सरकार में शामिल भी है। नीतीश कुमार 16 सीटों की मांग करके विदेश यात्रा पर चले गए हैं। वे शांति से वहाँ घूम रहे हैं और पटना में पार्टियों के बीच युद्ध चल रहा है। अब खबर मिल रही है कि पांच सीटों के भीतर पासवान चाचा-भतीजा को निपटाने के फेर में है जबकि दो गुटों को पांच-पांच सीटों की मांग है। उधर सबसे ख़राब हलात तो जीतन राम माझी की है। माझी को एक सीट भी दी जाएगी या नहीं यह कौन जनता है। उनके बेटे को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। उपेंद्र कुशवाहा की मांग कर रहे थे। बीजेपी तीन सीटें देने की बात भी कर रही थी लेकिन अब एक सीट देने की बात हो रही है। इसी तरह से मुकेश साहनी को भी एक सीट दी जा सकती है। कहा जा (Bihar Politic’s Headlines News NDA) रहा है कि बीजेपी इन दलों को कह रही है कि आगामी विधान सभा चुनाव में वह सभी दलों को सीट देगी। लेकिन कोई भी पार्टी अब भविष्य की राजनीति को लेकर सहमत नहीं है। जाहिर है कि इस तरह के खेल में अभी बहुत कुछ परिवर्तन की संभावना दिख रही है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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