Hartalika Teej 2024: भगवान शिव को समर्पित हरतालिका तीज व्रत आज यानी 6 सितंबर को रखा जा रहा है। हरतालिका तीज की महिमा अपरंपार मानी जाती है। हिंदू धर्म में इस त्यौहार का बहुत महत्व है, खासकर विवाहित महिलाओं के लिए। यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने सुहाग की कामना करते हुए भगवान शिव से प्रार्थना करती हैं और अपने पति की लंबी आयु के लिए तीज का व्रत रखती हैं। इस व्रत में शिव, पार्वती और गणेश की पूजा की जाती है। यह व्रत हर साल गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले रखा जाता है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, एमपी, झारखंड में यह व्रत काफी प्रचलित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए हरतालिका तीज व्रत रखा था।
हरितालिका तीज शुभ मुहूर्त
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 5 सितंबर 2024 दिन गुरुवार को 10:04 बजे से शुरू होगी जो अगले दिन शुक्रवार 6 सितंबर 2024 को 12:08 बजे तक रहेगी। ऐसे में उदयकालिक तृतीया तिथि 6 सितंबर को प्राप्त हो रही है। कथा और पूजन प्रदोष काल में होता है। जब दिन और रात मिलते हैं उसे प्रदोष काल कहा जाता है। लगभग 05:45 से 06:45 तक यह काल रहेगा।
चर चौघड़िया मुहूर्त: सुबह 05:47 से 07:20 बजे तक
लाभ चौघड़िया मुहूर्त: सुबह के 7:20 से 08:54 बजे तक
अमृत चौघड़िया मुहूर्त: सुबह 8:54 से 10:27 बजे तक
शुभ मुहूर्त: दोपहर के 12:00 बजे से दोपहर 01:34 बजे तक
चर-सामान्य मुहूर्त: शाम 04:40 बजे से शाम 06:13 बजे तक
पारणा का सर्वोत्तम एवं शुभ समय उदय कालिक चतुर्थी तिथि 7 सितम्बर, शनिवार को प्रातः 5 बजे से 7 बजे तक रहेगा।
हरतालिका तीज पूजा सामग्री
हरतालिका व्रत से एक दिन पहले पूजा सामग्री- गीली मिट्टी, बेल पत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल और फूल, अकनव फूल, तुलसी, मंजरी, जनेऊ, वस्त्र, मौसमी फल और फूल, नारियल, कलश, अबीर, इकट्ठा कर लें। चंदन, घी, कपूर, कुमकुम, दीपक, दही, चीनी, दूध और शहद।
माता पार्वती की सुहाग सामग्री: मेहंदी, चूड़ियाँ, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिन्दूर, कंघी, माहौर, सुहाग डिब्बा।
हरतालिका तीज पूजा विधि
हरतालिका तीज की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। प्रदोष काल वह समय होता है जब दिन और रात मिलते हैं। हरतालिका तीज पर शिव और पार्वती की इसी तरह पूजा की जाती है। शाम को फिर से स्नान करके स्वच्छ और सुंदर वस्त्र धारण करें।
इस दिन विवाहित महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं और पूरा श्रृंगार करती हैं।
इसके बाद गीली मिट्टी से शिव-पार्वती और गणेश की मूर्ति बनाएं।
दूध, दही, चीनी, शहद और घी से पंचामृत बनाएं। सुहाग सामग्री को अच्छे से सजाकर देवी पार्वती को अर्पित करें। भगवान शिव को वस्त्र अर्पित करें।
इसके बाद हरतालिका व्रत की कथा सुनें। इसके बाद सबसे पहले भगवान गणेश की आरती करें और फिर भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
इसके बाद भगवान की परिक्रमा करें। सारी रात जागरण करें। सुबह स्नान के बाद माता पार्वती की पूजा करें और उन्हें सिंदूर अर्पित करें।
फिर प्रसाद के रूप में खीरा और हलवा चढ़ाएं। भोग लगाने के बाद खीरा खाकर व्रत खोलें। सभी पूजा सामग्री एकत्र करके किसी विवाहित महिला को दान कर दें।
हरतालिका तीज व्रत कैसे करें
हरतालिका तीज सबसे बड़ी तीज मानी जाती है। इसमें भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
हरतालिका तीज का व्रत खोलने से पहले पानी की एक बूंद भी पीना वर्जित है। इस व्रत में पानी नहीं पिया जाता है। यह व्रत बिना पानी पिए रखा जाता है।
व्रत के दिन प्रातःकाल स्नान आदि से निवृत्त होकर “उमामहेश्वरा सायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतचि करिष्ये” मंत्र का जाप कर संकल्प लिया जाता है।
अगर व्रत के दौरान सूतक काल है तो आप व्रत रखकर रात में पूजा कर सकते हैं।
इस दिन महिलाएं 24 घंटे से अधिक समय तक निर्जला व्रत रखती हैं।
इतना ही नहीं, महिलाएं रात में जागती हैं और अगली सुबह विधिवत पूजा करने के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं।
विवाहित महिलाओं के अलावा अविवाहित लड़कियां भी हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं।
हरतालिका तीज महत्व
हरतालिका तीज व्रत एक कठिन व्रत माना जाता है। इसमें महिलाएं निर्जला व्रत रखकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। दरअसल, भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने का विशेष महत्व है।
हरतालिका तीज व्रत बिना अन्न और जल के रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह व्रत सबसे पहले देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए रखा था। हरतालिका तीज व्रत रखने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।