Haryana News: पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ की पुलिस को फटकार, बिना एफआईआर जांच पर सख्त हाई कोर्ट
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक निर्णय में बिना एफआईआर के की जा रही पुलिस जांचों को अवैध करार देते हुए पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ पुलिस को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि बिना एफआईआर जांच शुरू करना कानूनन स्वीकार्य नहीं है और यह सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है।
Haryana News: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक निर्णय में बिना एफआईआर के की जा रही पुलिस जांचों को अवैध करार देते हुए पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ पुलिस को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि बिना एफआईआर जांच शुरू करना कानूनन स्वीकार्य नहीं है और यह सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है।
ललिता कुमारी केस का हवाला: सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट व्यवस्था
हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2014) मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि किसी शिकायत में संज्ञेय अपराध की सामग्री मिलती है, तो एफआईआर दर्ज करना पुलिस की कानूनी बाध्यता है। किसी भी जांच की प्रक्रिया एफआईआर दर्ज किए बिना शुरू नहीं की जा सकती।
डीजीपी ने दाखिल किए हलफनामे, जांचें तत्काल प्रभाव से बंद
कोर्ट की सख्ती के बाद पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के पुलिस महानिदेशकों ने हलफनामा दाखिल कर यह आश्वस्त किया कि अब बिना एफआईआर कोई जांच नहीं की जाएगी। साथ ही, पहले से चल रही सभी ऐसी जांचों को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया है।
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न्यायिक चेतावनी: अधिकारी होंगे उत्तरदायी
जस्टिस एनएस शेखावत की एकल पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कानून की नजर में बिना एफआईआर की गई जांच न केवल अवैध है, बल्कि इससे जुड़े अधिकारियों को क्षतिपूर्ति देने के लिए बाध्य किया जा सकता है। अदालत ने यह भी संकेत दिया कि भविष्य में यदि ऐसा कोई मामला सामने आया, तो संबंधित अधिकारियों पर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।
याची की शिकायत से उठा मामला
यह मामला पंचकूला निवासी सुरेंद्र कुमार की याचिका के माध्यम से हाई कोर्ट के सामने आया। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि उसके खिलाफ बार-बार बिना अपराध के जांच की जा रही है, जबकि पहले ही उसे क्लीन चिट मिल चुकी है।
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पुलिस के आंकड़े
हाई कोर्ट की सुनवाई के दौरान यह भी सामने आया कि चंडीगढ़ प्रशासन के पास 1959 शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें से 1735 का निपटारा हो चुका है और शेष 224 को एक सप्ताह में सुलझाने का आश्वासन दिया गया।
हरियाणा सरकार ने बताया कि उसके पास 4724 ऐसे मामले लंबित हैं जिनमें एफआईआर नहीं हुई, और इन्हें भी एक सप्ताह में निपटाने का वादा किया गया। पंजाब सरकार ने 15 दिनों के भीतर ऐसे सभी मामलों को निपटाने की बात कही।
आदेश की अवहेलना पर होगी कार्रवाई
हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि अब से इन आदेशों का उल्लंघन हुआ, तो पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के डीजीपी व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार माने जाएंगे। अदालत ने यह भी कहा कि सिर्फ प्रक्रियात्मक अनुशासन ही नहीं, बल्कि न्यायिक मर्यादा की रक्षा करना न्यायपालिका का दायित्व है।
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