Oral Cholera Vaccine: हैजा पर लगाम लगाने को तैयार ‘हिलकोल’ वैक्सीन, भारत बायोटेक की बड़ी सफलता
भारत बायोटेक द्वारा विकसित मौखिक हैजा वैक्सीन 'हिलकोल' ने तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल में सफलता हासिल की है। यह वैक्सीन ओगावा और इनाबा सीरोटाइप्स के खिलाफ प्रभावी पाई गई है। कम लागत में उपलब्ध यह टीका विकासशील देशों के लिए हैजा नियंत्रण में उपयोगी साबित होगा।
Oral Cholera Vaccine: देश की अग्रणी जैव प्रौद्योगिकी कंपनी भारत बायोटेक ने एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। कंपनी द्वारा विकसित मौखिक हैजा वैक्सीन ‘हिलकोल’ को तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल में शानदार सफलता मिली है। यह वैक्सीन हैजा फैलाने वाले प्रमुख दोनों सीरोटाइप—ओगावा और इनाबा—के खिलाफ प्रभावी पाई गई है। इस टीके के माध्यम से अब वयस्कों के साथ-साथ बच्चों को भी इस जानलेवा बीमारी से सुरक्षित किया जा सकेगा।
बिना सुई वाला टीका, बच्चों और बड़ों दोनों के लिए सुरक्षित
‘हिलकोल’ एक ओरल कोलेरा वैक्सीन (OCV) है, जिसे सुई की आवश्यकता के बिना मौखिक रूप से दिया जाता है। यह टीका संक्रमण के खिलाफ प्रभावशाली रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता है। क्लीनिकल ट्रायल के दौरान देश के 10 अलग-अलग स्थानों पर लगभग 1800 प्रतिभागियों—बच्चों और वयस्कों—को टीका दिया गया। परीक्षण के परिणाम बेहद उत्साहजनक रहे, क्योंकि टीका लेने वाले किसी भी व्यक्ति में गंभीर दुष्प्रभाव नहीं पाए गए।
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प्रकाशन और नियामकीय मान्यता की ओर बढ़ता कदम
इस परीक्षण से जुड़े नतीजे प्रतिष्ठित वैज्ञानिक जर्नल ‘वैक्सीन’ (साइंसडायरेक्ट) में प्रकाशित हुए हैं, जिससे इसकी प्रमाणिकता को और बल मिला है। भारत बायोटेक ने इस डेटा को नियामक एजेंसियों को सौंप दिया है, और अब वैक्सीन के अंतिम मंजूरी की प्रतीक्षा की जा रही है। उम्मीद है कि जल्दी ही यह टीका आम जनता के लिए उपलब्ध होगा।
गंभीर बीमारी, जिसका अब सस्ता इलाज संभव
हैजा एक संक्रामक रोग है जो दूषित पानी और खाद्य पदार्थों के जरिए तेजी से फैलता है। विश्व स्तर पर हर साल करीब 28 लाख लोग इससे प्रभावित होते हैं और लगभग 95,000 लोगों की मौत हो जाती है। मौजूदा समय में इस बीमारी से बचाव के लिए ओरल वैक्सीन की वैश्विक मांग बहुत अधिक है, लेकिन आपूर्ति की क्षमता सीमित है। फिलहाल केवल एक कंपनी बड़े पैमाने पर यह वैक्सीन बना रही है, जिससे इसकी उपलब्धता एक चुनौती बनी हुई है।
भारत बायोटेक ने इस कमी को दूर करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए हैदराबाद और भुवनेश्वर स्थित अपने उत्पादन केंद्रों में सालाना 20 करोड़ खुराकें तैयार करने की योजना बनाई है।
किफायती टीका, विकासशील देशों को मिलेगा लाभ
भारत बायोटेक के चेयरमैन डॉ. कृष्णा एला ने कहा कि “हिलकोल जैसे किफायती और असरदार टीके, खासकर विकासशील देशों में, हैजा जैसी घातक बीमारियों के खिलाफ लड़ाई में अहम हथियार बन सकते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि मौखिक रूप में लिए जाने वाला यह टीका न केवल सरल है, बल्कि इसे लोगों तक पहुंचाना भी आसान होगा।
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भारत बायोटेक की वैज्ञानिक ताकत
बायोटेक आज जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व स्तर पर एक भरोसेमंद नाम बन चुका है। कंपनी के पास 145 से अधिक अंतरराष्ट्रीय पेटेंट, 19 से ज्यादा टीके, और 125 देशों में उत्पाद पंजीकरण की मान्यता है। इसके साथ ही, यह कंपनी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से प्री-क्वालिफाइड भी है।
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अब तक भारत बायोटेक ने दुनिया भर में 9 अरब से अधिक वैक्सीन की खुराकें वितरित की हैं और इन्फ्लुएंजा, रोटावायरस, रेबीज, टाइफाइड, जीका, और जापानी इंसेफेलाइटिस जैसी गंभीर बीमारियों के लिए टीके विकसित किए हैं।
स्वास्थ्य की दिशा में बड़ा कदम
‘हिलकोल’ वैक्सीन के सफल ट्रायल के साथ भारत बायोटेक ने एक बार फिर यह साबित किया है कि देश वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में अग्रणी भूमिका निभा सकता है। हैजा की रोकथाम के लिए यह टीका भविष्य में एक प्रभावशाली समाधान बनकर उभरेगा। जैसे ही इसे अंतिम मंजूरी मिलेगी, यह वैक्सीन करोड़ों लोगों के जीवन को सुरक्षित करने में अहम भूमिका निभाएगा।
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