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Himachal politics : हिमाचल में मंत्रिपरिषद का विस्तार कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती क्यों है ?

चुनाव जीतना एक बात है और (Himachal politics) सरकार चलाना दूसरी बात। जब कोई भी पार्टी चुनाव जीतकर सरकार बना लेती है तब उसकी सबसे बड़ी समस्या सरकार चलाने के लिए मंत्रियों की नियुक्ति की होती है। चुनाव जीते सभी विधायक चाहते हैं कि उनके नाम की लॉटरी लगे और वे मंत्री बन जाए। पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही होती है। हालांकि इस तरह की चुनौती हर पार्टी के साथ है लेकिन कांग्रेस के साथ कुछ ज्यादा ही। लगातार चुनाव हार रही कांग्रेस को हिमाचल में जीत हाशिल हुई लेकिन उसे अभी डर है कि मंत्री बनने की कतार में जितने लोग शामिल है ,अगर उन्हें संतुष्ट नहीं किया गया तो बीजेपी उसे तोड़ सकती है। अक्सर बीजेपी ऐसा करती भी रही है। यही वह डर है जो मुख्यमंत्री सुख्खू को मंत्रिमंडल विस्तार से रोक रही है।

जातियों एवं धड़ों के बीच संतुलन कायम ?

(Himachal politics) हिमाचल प्रदेश  में क्षेत्रों, जातियों एवं धड़ों के बीच संतुलन कायम करते हुए तथा युवा प्रतिभाओं को जगह देते हुए मंत्रिपरिषद का विस्तार करना कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। सुखविंदर सिंह सुक्खू  और मुकेश अग्निहोत्री द्वारा क्रमश: मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की शपथ लेने के चार हफ्ते बाद इस सरकार का अभी विस्तार होना बाकी है तथा सुक्खू को अपने समर्थकों तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह  के धड़े के समर्थकों को मंत्रिमंडल में जगह देने की जटिल कवायद करनी पड़ रही है।
 पिछले दिनों कांग्रेस हाईकमान के साथ चर्चा के लिए दिल्ली गये सुक्खू लौट गए। उन्हें क्या निर्देश मिले हैं अभी तक किसी को पता नहीं है लेकिन यही कहा जा रहा है कि जल्द ही मंत्रिपरिषद का विस्तार होगा। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि दो चार दिनों में सब साफ़ हो जाएगा लेकिन होता कुछ दीखता नहीं।  फिलहाल राज्य के 12 में से तीन जिलों को प्रतिनिधित्व मिला है, सुक्खू हमीरपुर जिले से जबकि अग्निहोत्री उना जिले से आते हैं वहीं भातिययात से पांच बार के विधायक कुलदीप पठानिया चंबा जिले से हैं जिन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया है।

जनजातीय क्षेत्रों से एक मंत्री बनाए जाने की संभावना


लाहौल एवं स्पीति तथा किन्नौर के जनजातीय क्षेत्रों से एक मंत्री बनाए जाने की संभावना है। कांगड़ा एवं शिमला से पार्टी के क्रमश: 10 एवं सात विधायक हैं और मंत्रिमंडल में इन क्षेत्रों को उपयुक्त हिस्सा मिलने की उम्मीद है। कांग्रेस ने विधानसभा की 68 में से 40 सीट जीती हैं। कांगड़ा में 10 , शिमला में सात, उना, सोलन एवं हमीरपुर में चार-चार, सिरमौर में तीन, चंबा और कुल्लू में दो -दो, मंडी, बिलासपुर, किन्नौर और लाहौल एवं स्पीति जिले में उसके एक-एक विधायक जीते हैं। सभी क्षेत्रों को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व दिया जाना है।


सुक्खू ने कहा कि हाईकमान के साथ चर्चा के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा और उसमें पेशेवरों, युवाओं तथा सभी तबकों को प्रतिनिधित्व मिलेगा।मुख्यमंत्री बनने के बाद कांगड़ा की अपनी पहली यात्रा के दौरान उन्होंने कहा, ‘‘ विधानसभा चुनाव में कांगड़ा के लोगों द्वारा दिये गये भारी जनादेश का मैं सम्मान करता हूं और मैं आश्वासन देता हूं कि सभी क्षेत्रों में इस जिले के विकास के लिए विशेष ध्यान दिया जाएगा।’’

कई विधायक मंत्रिपदों पर टिकाए नजर

पूर्व मंत्री भी मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए अपने अधिकार पर जोर दे रहे हैं। दूसरी और तीसरी बार के कई विधायक मंत्रिपदों पर नजर गड़ाये हुए हैं। मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए जो लोग दौड़ में आगे चल रहे हैं उनमें पूर्व मंत्री एवं पूर्व लोकसभा सदस्य तथा कांगड़ा के जावली से चंदर कुमार, पूर्व मंत्री एवं पूर्व लोकसभा सदस्य तथा सोलन से सबसे अधिक उम्र के विधायक धनी राम शांडिल, कांगड़ा के धर्मशाला से पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा, सिरमौर में शिलाई से छह बार के विधायक हर्षवर्द्धन चौहान, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष जगत सिंह नेगी शामिल हैं।

ये भी पढ़ें- सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ली15वें मुख्यमंत्री की शपथ, मुकेश अग्निहोत्री बने Deputy CM
 पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे और शिमला (ग्रामीण) से दो बार के विधायक विक्रमादित्य सिंह, जुब्बल-कोटखई से चार बार के विधायक रोहित ठाकुर (पूर्व मुख्यमंत्री रामलाल ठाकुर के पोते), कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर एवं घुमरविन से राजेश धरमानी भी मंत्रिपद की दौड़ में शामिल बताये जा रहे हैं।

मनोज शर्मा
Manoj Sharma Rajasthan Bureau

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