लखनऊ: समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव भले ही काफी समय से स्वास्थ्य कारणों से राजनीति में सक्रिय नहीं हैं, लेकिन आने वाले दिनों में उनकी राजनीति सक्रियता दिखायी दे सकती है। पिछले कुछ महीनों के दौरान अपने बेटे अखिलेश यादव द्वारा की गईं राजनीति भूलों के कारण समाजवादी पार्टी के लिए संभावित नुकसान देते हुए मुलायम सिंह आजम खान और अपने छोटे भाई शिवपाल से मुलाकात कर सकते हैं।
मुलायम सिंह यादव इस बात से चिंतित हैं कि उनके बेटे व सपा मुखिया अखिलेश यादव पार्टी के कई दिग्गज और जनाधार रखने वाले नेताओं से अच्छे संबंध रखने में नाकाम रहे हैं। ये नेता न केवल अखिलेश से नाराज हैं, बल्कि उनके स्वर बगावती हो गये हैं। खासकर मुलायम सिंह आजम खान और शिवपाल के एक साथ मिलकर नये मोर्चो बनाये जाने की चर्चा के बाद से परेशान हैं।
मुलायम भली-भांति जानते हैं कि यदि आजम खान और शिवपाल यादव ने मिलकर नया राजनीतिक मोर्चा बनाया तो समाजवादी पार्टी की दुर्गति होना तय है। सपा के अधिकांश समर्थक और मतदाता मुस्लिम वर्ग और यादव बिरादरी के ही हैं। आजम खान की पूरे उत्तर प्रदेश में गहरी पकड़ है और यादवों में शिवपाल यादव की गहरी पैठ है। यदि ये दोनों नेता सपा से छिटके और इन दोनों ने नया मोर्चा बनाया, तो सपा का वर्तमान जनाधार वाला ‘एम-वाई’ यानी मुस्लिम-यादव फैक्टर पूरी तरह से गड़बड़ा जाएगा और सपा में विघटन से अखिलेश की स्थिति बहुत कमजोर हो जाएगी।
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पार्टी सूत्रों का कहना है कि मुलायम सिंह इसी आशंका के चलते जल्द ही अखिलेश यादव के साथ आजम खान से मिलने रामपुर उनके घर आ सकते हैं, ताकि पुराने संबंधों की दुहाई देकर अखिलेश का ही साथ देने के लिए मनाया जा सके, हालांकि इसकी उम्मीद कम है कि आजम की बात मान ही लेंगे, क्योंकि वर्तमान स्थिति में आजम अपनी न चलाकर अपने परिजनों और समर्थकों के सलाह मशवरे से ही काम करना चाहेगें और आजम के शुभचिंतक और समर्थक पहले ही अखिलेश से किनारे करने के संकेत दे चुके हैं। अब देखना ये होगा कि आने वाले समय में सपा की राजनीति किस ओर करवट लेती है।