Uttarpradesh News: उत्तर प्रदेश की जेलों में महिला कैदियों और उनके बच्चों के जीवन में सुधार के लिए दिए गए अहम सुझाव
Important suggestions given to improve the lives of women prisoners and their children in the jails of Uttar Pradesh.
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, श्री मनोज कुमार सिंह ने भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) के तत्वावधान में एक महत्वपूर्ण शोध रिपोर्ट का विमोचन किया। इस रिपोर्ट का शीर्षक है “उत्तर प्रदेश के विशेष संदर्भ में भारतीय जेलों में महिला कैदियों और उनके बच्चों की स्थिति और उनकी संचार आवश्यकताओं का अध्ययन,” जो कि दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्री राम कॉलेज में पत्रकारिता विभाग की प्रमुख और जेल सुधारक, डॉ. वर्तिका नंदा द्वारा तैयार की गई है।
शोध रिपोर्ट की मुख्य बातें:
इस शोध रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश की जेलों में निरुद्ध महिला कैदियों और उनके साथ रह रहे बच्चों की जीवन स्थितियों और उनकी संचार आवश्यकताओं पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। रिपोर्ट में जेलों में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं, जो महिला कैदियों और उनके बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने में सहायक हो सकते हैं।
मुख्य सचिव ने इस अवसर पर कहा कि प्रदेश की जेलों में महिला कैदियों के कल्याण के लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं। इनमें महिला कैदियों के लिए अलग आवास और बैरकों का निर्माण, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण जैसी पहल शामिल हैं। उन्होंने इस शोध को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि डॉ. वर्तिका नंदा ने एक कठिन और संवेदनशील विषय पर शोध किया है, जो जेल सुधार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
श्री सिंह ने कहा कि जेलों में इंफ्रास्ट्रक्चर, संचार सुविधाओं और सामाजिक गतिविधियों को लेकर अच्छा माहौल कैदियों में सकारात्मकता को बढ़ाएगा और अपराध की पुनरावृत्ति दर को कम करने में मदद करेगा। उन्होंने डॉ. वर्तिका नंदा को इस कार्य को आगे भी जारी रखने के लिए शुभकामनाएं दीं और कहा कि रिपोर्ट में दिए गए सुझावों को प्रदेश की जेलों में लागू करने का प्रयास किया जाएगा।
अध्ययन के लिए चुनी गई जेलें:
यह अध्ययन मार्च 2019 से 2020 के बीच एक वर्ष की अवधि में किया गया। इस दौरान उत्तर प्रदेश की छह प्रमुख जेलों को विशेष रूप से अध्ययन के लिए चुना गया। इनमें जिला जेल आगरा, नारी बंदी निकेतन, लखनऊ, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, बांदा और केंद्रीय जेल नैनी, प्रयागराज शामिल हैं।
जिला जेल आगरा को इस अध्ययन का मुख्य केंद्र बनाया गया, जो कि भारत की सबसे पुरानी जेल इमारतों में से एक है और इसका निर्माण वर्ष 1741 में हुआ था। इस अध्ययन में दिल्ली जेल तिहाड़ सहित अन्य भारतीय जेलों से भी संदर्भ लिए गए हैं, जिससे जेलों में सुधार के लिए व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया जा सके।
महिला कैदियों और बच्चों की स्थिति पर प्रकाश:
डॉ. वर्तिका नंदा द्वारा किए गए इस अध्ययन में महिला कैदियों और उनके बच्चों की स्थिति पर विशेष रूप से जोर दिया गया है। अध्ययन के दौरान यह पाया गया कि जेलों में निरुद्ध महिला कैदियों की आवश्यकताएं अक्सर पुरुष कैदियों की तुलना में उपेक्षित रहती हैं। जेल प्रणाली सामान्यतः पुरुष कैदियों की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार की जाती है, जिससे महिलाओं, बच्चों और ट्रांसजेंडर कैदियों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
अध्ययन में यह भी उजागर किया गया कि जेलों में महिला कैदियों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं, संचार सुविधाएं, मनोरंजक कार्यक्रम, व्यावसायिक प्रशिक्षण और रचनात्मक जुड़ाव की सुविधाएं बेहद सीमित और अपर्याप्त होती हैं। नतीजतन, महिला कैदी जेल के अंदर एक और जेल में जीवन यापन करने को मजबूर हो जाती हैं।
डॉ. वर्तिका नंदा ने अपने अध्ययन में जेल रेडियो की भूमिका पर भी जोर दिया है, जो कैदियों के मानसिक स्वास्थ्य और सुधार के लिए एक सकारात्मक माध्यम साबित हो सकता है। हालांकि, जेल प्रशासन द्वारा महिला कैदियों को जेल रेडियो में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाता, जिससे उनकी मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
जेल सुधार के लिए महत्वपूर्ण योगदान:
डॉ. वर्तिका नंदा एक प्रसिद्ध जेल सुधारक और मीडिया शिक्षिका हैं, जो जेल सुधारों के लिए पत्रकारिता और शिक्षा के सर्वश्रेष्ठ तरीकों का उपयोग करती हैं। वह तिनका तिनका फाउंडेशन की संस्थापक हैं, जो जेल जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम करता है। इस फाउंडेशन के अंतर्गत उन्होंने जिला जेल आगरा और हरियाणा की जेलों में जेल रेडियो की शुरुआत की है। उनके द्वारा लिखी गई तीन किताबें और तिनका तिनका जेल रेडियो पॉडकास्ट जेल जीवन पर केंद्रित हैं।
उनके जेल सुधार कार्यों को देशभर में सराहा गया है। भारत के राष्ट्रपति ने 2014 में उन्हें स्त्री शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया। उनके अनूठे कार्यों के लिए उनका नाम दो बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी शामिल किया गया है। 2018 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी जेल सुधार पर उनके कार्य को संज्ञान में लिया।
उल्लेखनीय उपस्थितियां:
इस महत्वपूर्ण अवसर पर पुलिस महानिदेशक कारागार श्री पी.वी. रामा शास्त्री, प्रमुख सचिव नमामि गंगे श्री अनुराग श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव पर्यटन श्री मुकेश कुमार मेश्राम, प्रबंध निदेशक जल निगम (ग्रामीण) डॉ. राज शेखर, सूचना निदेशक श्री शिशिर और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
डॉ. वर्तिका नंदा का यह शोध रिपोर्ट जेल सुधार के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान है, जो न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे भारत की जेल प्रणाली में सुधार लाने में सहायक हो सकता है। उम्मीद है कि इस शोध रिपोर्ट में दिए गए सुझावों को लागू करने से महिला कैदियों और उनके बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आएंगे।