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इंडिया और एनडीए की लड़ाई में सनातन हो रहा बदनाम !

Political News: राजनीतिक लड़ाई में सनातन बदनाम हो रहा है। जो सनातन के पक्ष में राजनीति कर रहा है वह भी सनातनी है और जो सनातन के खिलाफ में बोल रहा है वह भी सनातनी ही है। लेकिन सनातन रडार पर है। सनातन की बदनामी हो रही है। सनातन में दोष ढूंढे जा रहे हैं। जो दोष ढूंढ रहा है उसकी आलोचना हो रही है और जो दोष के साथ सनातन को बदनाम कर रहे हैं वे कहते फिर रहे हैं कि सनातन पर हमला बर्दास्त नहीं किया जा सकता। दरअसल यह सारा खेल धर्म की राजनीति को लेकर ही तो है। कोई भी धर्म साफ़ नहीं होता। कुछ बुराइयां सबमे होती है। चुकी कोई भी धर्म आस्था ,संस्कार और जीवन शैली से जुडी होती है इसलिए उस पर सवाल नहीं नहींउठाये जा सकते। लेकिन जब इंसान भी बुरी संगत में आता है तो उसकी बदनामी होने लगती है। लगता है मौजूदा समय में सनातन के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है।

बहुत से लोग कहते हैं कि उसका धर्म सबसे बेहतर है। सबसे ज्यादा पवित्र है और सबसे ज्यादा मानवता पर आधारित है। लेकिन जब कोई धर्म ही मानव को मानव से लड़ने लगे ,मानव का दुशमन होने लगे और मानवता के लिए खतरा होने लगे तो ऐसे धर्मो और जीवन शैली पर उंगुली उठने लगती है। सबसे ज्यादा उंगुली तो इस्लाम को लेकर ही उठती है। उसके लिए एक शब्द प्रचलित हो गया है कि वह कट्टर धर्म है। ऐसा बहुत से लोग मानते हैं। हो सकता है कि इस्लाम मानने वाले भी बहुत से लोग ऐसा ही मानते हो लेकिन अधिकतर ऐसा नहीं मानते। और ऐसा है तो उसमे सुधार की गुंजाइस बराबर बनी होती है। सुधार होनी भी चाहिए। समय -समय पर अगर जीवन शैली में सुधार नहीं होते हैं और धर्म से कट्टरवाद को दूर नहीं फेंका नहीं जाता है तब तब इस तरह की बात देश और समाज के सामने इस तरह की बाते आती है। आपसी टकराव होते हैं और फिर उसमे से सुधार की गुंजाइस निकल जाती है।


दक्षिण भारत से अभी इस तरह की चर्चा शुरू हुई है। पहले तमिलनाडु के मंत्री दयानिधि स्टालिन ने इस तरह का बखेड़ा खड़ा किया अब उत्तर भारत में इस पर चर्चा चल रही है। अभी तमिलनाडु का विवाद ख़त्म भी नहीं हुआ था कि दक्षिण भारत के एक्टर प्रकाश राज ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। प्रकाश राज ने फिर उसी बात को दोहरा दिया है जिस बात को स्टालिन ने कही थी। प्रकाश राजा ने सनातन पर मजाक उड़ाते हुए कहा है कि यह सनातन है। उन्होंने डेंगू बिमारी की तुलना सनातन से कर दी है। अब हिन्दू लोग भड़क रहे हैं। विरोद प्रदर्शन भी चल रहा है।
प्रकाश राज ने उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म पर दिए बयान को दोहराते हुए कहा कि सनातन धर्म एक डेंगू बीमारी की तरह है। इसका खात्मा होना चाहिए। कुलबुर्गी में एक सभा को सम्बोधित करते हुए प्रकाश राज ने कहा कि श्रीराम के जुलुस में 18 बच्चे के हाथ में चाकू और तलवार देखकर दुःख हुआ। छुआछूत की मानसिकता अभी भी हमारे समाज में है।


उन्होंने आगे कहा कि कर्णाटक में एक मुस्लिम बस कडक्टर था जिसने अपनी धार्मिक टोपी पहन रखी थी। बस में चढ़ी एक महिला ने टोपी उतरने को कहा। ऐसा बोलने वाले बहुत से लोग हैं। कल अगर कोई कंडक्टर धार्मिक माला पहनेगा तो क्या आप उसे कंडक्टर के तौर पर देखेंगे या हिन्दू मुसलमान के तौर पर ? सभी को अपने धर्म का पालन करना चाहिए।
प्रकाश राज ने कहा यह दुःख की बात है बच्चो के हाथ में चाकू तलवार दिया जाता है। यह ब्रेनवास कौन कर रहा है ?बच्चों को इस तरह से धर्म का पाठ पढ़ाना यह सब क्या है ? ऐसे में तो यह एक बीमारी की तरह ही है। यह डेंगू की तरह है। और इसका खात्मा होना जरुरी है।
प्रकाश राज के इस बयान के बाद कुलबुर्गी में हिन्दू संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं। काले कपडे पहनकर विरोध जाता रहे हैं। अब क्या कुछ होगा देखना होगा। लेकिन सनातन का यह खेल राजनीति को गरमा रहा है। राजनीति इस विवाद में उबाल रही है। दक्षिण की यह आंधी उत्तर भारत को कितना नुकसान पहुंचती है या लाभ देती है इसे तो देखना होगा लेकिन एक बात साफ़ है कि राजनीति की यह लड़ाई सनातन को बदनाम ही कर रही है। सनातन इतना कमजोर बी नहीं है जिसे गाली देने से कमजोर हो जाए। यह सब वक्त की कहानी है और मौजूदा राजनीति की देन भर है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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