नई दिल्ली: भारतीय संस्कृति में महाभारत को पांचवें वेद के तौर पर जाना जाता है। ये हिंदू संस्कृति की बहुमूल्य धरोहर है। इसी महाकाव्य से श्रीमद् भागवत गीता का उद्भव हुआ था। भागवत गीता में लगभग 700 श्लोक है। महाभारत के एक महत्वपूर्ण पात्र महात्मा विदुर को यमराज का अवतार बताया जाता है।
महाभारत को अन्याय, अधर्म, अनीति, धोखा देने वाले और न्याय, धर्म, निष्ठा और कर्तव्य परायणता के बीच होने वाले युद्ध के रूप में जाना जाता है। इसमें मानव जाति को कई तरह की सीख देने की कोशिश की गयी है। महाभारत का नाम आते ही हमारे मस्तिष्क में भयानक युद्ध की दृश्य सामने आता है। महाभारत में कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध हुआ था, जिसमें कौरव बुरी तरह पराजित हुए थे।
महाभारत से हुआ श्रीमद् भागवत गीता का उद्भव
भारतीय संस्कृति में महाभारत को पांचवें वेद के तौर पर जाना जाता है। ये हिंदू संस्कृति की बहुमूल्य धार्मिक धरोहर है। महाभारत महाकाव्य से श्रीमद् भागवत गीता का उद्भव हुआ था। भागवत गीता में लगभग 700 श्लोक है। कहा जाता है कि इसका एक श्लोक भी मनुष्य के जीवन में बदलाव लाने के लिए पर्याप्त है।
यूपी के बागपत से संबंधित हैं महाभारत काल कई अवशेष
भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा महाभारत काल के कई अवशेष प्राप्त किए गए हैं। महाभारत का जहां युद्ध हुआ था, वो आज भी हरियाणा के कुरुक्षेत्र में मौजूद है। यूपी के बागपत में भी महाभारत काल से जुड़े कई अवशेष मिले हैं। काफी समय पहले यहां महाभारत काल बाण, भाले और रथ आदि के अवशेष मिले थे।
यमराज के अवतार थे महात्मा विदुर
महात्मा विदुर महाभारत के महत्वपूर्ण पात्र हैं। पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात करें तो विदुर अम्बिका की मुख्य दासी के पुत्र थे। ये धर्मशास्त्र और अर्थशास्त्र के महान ज्ञाता थे।महात्मा विदुर यमराज के अवतार थे। बताया जाता है किऋषि मंदव्य की श्राप की वजह से उन्हें मनुष्य योनि में विदुर के रूप में जन्म लेना पड़ा था।
एकलव्य का पुनर्जन्म
एकलव्य का पुनर्जन्म द्रौपदी के जुड़वा भाई धृष्टद्युम्न के रूप में हुआ था। कहा जाता है कि रुक्मणी के अपहरण के दौरान श्रीकृष्ण ने एकलव्य को मार डाला था। श्रीकृष्ण ने एकलव्य को पुनर्जन्म लेने और गुरु द्रोण से बदला लेने का वरदान दिया था।
अर्जुन को क्यों बनना पड़ा हिजड़ा
जब अर्जुन दिव्यास्त्रों की खोज में इंद्रलोक पहुंचे थे, तो वहां अप्सरा उर्वशी को मां कहकर बुला रहे थे। जिस पर उर्वशी को गुस्सा आ गया और उसने गुस्से में आकर बिना सोचे विचारे अर्जुन को श्राप दे दिया। उर्वसी ने अर्जुन को हिजड़ा बनने का श्राप दिया। हालांकि उसने अपने दिये गये श्राप की अवधि घटाकर एक वर्ष कर दिया था। अर्जुन ने अज्ञात वास के समय बृहन्नला नाम के हिजड़े के रूप में राजा विराट के दरबार में बिताया।
कौरवों के जन्म का रहस्य
धृतराष्ट्र और गांधारी को 99 पुत्र और एक पुत्री थी, जिन्हें कौरव कहा गया था। इसमें दुर्योधन सबसे बड़ा था। कहा जाता है कि जब गांधारी गर्भवती थी, तब धृतराष्ट्र ने एक दासी के साथ सहवास किया था। जिसके चलते युयुत्सु नामक एक पुत्र का जन्म हुआ था। युयुत्सु महाभारत युद्ध के समय कौरवों की सेना को छोड़कर पांडवों के साथ चला गया था।
कहां लिखा गया था महाभारत
कहा जाता है कि उत्तराखंड के माणा गांव में व्यास पोथी नामक स्थान बद्रीनाथ से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वहीं पर महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यासजी की गुफा है। मान्यता है कि इसी गुफा में व्यासजी ने महाभारत को मौखिक रूप से बोला था और गणेश जी ने उसे लिखा था। ये भी माना जाता है कि उत्तराखंड के पांडुकेश्वर तीर्थ में पांचों पांडवों का जन्म हुआ था।