Bike Rally in Uttarkashi: 12 हजार फीट की ऊंचाई पर भारतीय सेना ने निकाली ऐतिहासिक बाइक रैली, जादूंग गांव में हुआ भव्य स्वागत
Indian Army organised a historic bike rally at an altitude of 12 thousand feet, received a grand welcome in Jadung village
Bike Rally in Uttarkashi: उत्तरकाशी, उत्तराखंड: भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित जादूंग गांव में भारतीय सेना द्वारा आयोजित एक ऐतिहासिक बाइक रैली ने सीमांत क्षेत्रों के पुनर्वास और पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। यह रैली न केवल दुर्गम इलाकों में सेना की उपस्थिति को दर्शाती है, बल्कि सीमावर्ती गांवों के पुनरुद्धार और पर्यटन की संभावनाओं को भी बल प्रदान करती है। 12,000 फीट की ऊंचाई पर नेलांग और जादूंग घाटियों में निकाली गई इस रैली ने स्थानीय निवासियों और सैन्य अधिकारियों के बीच एक नई ऊर्जा का संचार किया है।
रैली का उद्देश्य: सीमांत गांवों को बसाने और पर्यटन को बढ़ावा देना
इस बाइक रैली का उद्देश्य सीमांत गांवों को पुनः बसाने के साथ-साथ पर्यटन को बढ़ावा देना है। यह कदम केंद्र सरकार की सीमांत गांवों को पुनः आबाद करने की योजना का एक हिस्सा है। जादूंग गांव, जो कई सालों से वीरान पड़ा था, को फिर से बसाने के प्रयास में भारतीय सेना ने अपना योगदान देते हुए इस ऐतिहासिक पहल की शुरुआत की है।
इस अभियान की शुरुआत सेना के 21 जवानों ने की, जो पहली बार समुद्रतल से करीब 12,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित नेलांग और जादूंग घाटियों में बाइक रैली के माध्यम से पहुंचे। गंगोत्री दर्शन के बाद यह रैली चमोली जिले के नीती और मलारी घाटियों की ओर भी जाएगी, जो उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में बसे अन्य महत्वपूर्ण गांव हैं।
जादूंग गांव में भव्य स्वागत: युवाओं के साथ हुई चर्चा
जादूंग गांव पहुंचने पर स्थानीय निवासियों और युवाओं ने सेना के इस प्रयास का भव्य स्वागत किया। इस गांव में सेना के जवानों ने स्थानीय युवाओं के साथ बातचीत की और सीमांत गांवों को फिर से बसाने के लिए विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। सेना के अधिकारियों का मानना है कि इन वीरान गांवों को फिर से उसी पारंपरिक शैली में बसाया जाना चाहिए, जिससे ये गांव अपनी प्राचीन शोभा को प्राप्त कर सकें और नए पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकें।
सैन्य अधिकारियों ने बताया कि सीमांत गांवों को फिर से बसाने और पर्यटन को बढ़ावा देने से स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे। इससे युवाओं का अपने गांवों से जुड़ाव बढ़ेगा और उन्हें रोजगार के लिए पलायन नहीं करना पड़ेगा। सेना के इस प्रयास से सीमांत क्षेत्रों में सुरक्षा के साथ-साथ विकास भी संभव होगा।
बाइक रैली में महिला राइडर्स की भागीदारी: साहस और संकल्प का परिचय
इस ऐतिहासिक बाइक रैली में सेना के जवानों के साथ एक निजी बाइक कंपनी की दो महिला राइडर्स ने भी हिस्सा लिया, जिन्होंने साहस और संकल्प का परिचय देते हुए दुर्गम पहाड़ियों और ऊंचाई वाले इलाकों को पार किया। यह महिला राइडर्स का इस अभियान में शामिल होना, सीमांत क्षेत्रों में महिलाओं के सशक्तिकरण और साहसिक पर्यटन के प्रति उनके झुकाव को भी दर्शाता है।
सेना की पहल: होमस्टे निर्माण और पुनर्वास के प्रयास
जादूंग गांव में होमस्टे का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। इससे पहले, जादूंग और आसपास के गांवों में पर्यटकों के ठहरने की कोई उचित व्यवस्था नहीं थी। इस पहल से न केवल पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकेगा, बल्कि सीमांत क्षेत्रों में विकास की नई संभावनाएं भी उत्पन्न होंगी। होमस्टे निर्माण से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और उनके जीवन स्तर में सुधार आएगा।
ट्रैकिंग एजेंसी के संयोजक सूर्यप्रकाश ने बताया कि भारतीय सेना का 21 सदस्यीय बाइक रैली दल हर्षिल होते हुए जादूंग गांव पहुंचा। इस रैली का यह पहला चरण था, जिसमें उन्होंने भैरो घाटी से आगे नेलांग और जादूंग घाटियों का दौरा किया। यह पहली बार है जब इतिहास में कोई बाइक रैली इस क्षेत्र तक पहुंची है।
रैली का अगला पड़ाव: मलारी घाटी की ओर रुख
जादूंग और नेलांग घाटियों के सफल दौरे के बाद, बाइक रैली का अगला पड़ाव चमोली जिले की नीती-मलारी घाटी है। यह अभियान करीब 13 दिनों तक चलेगा, जिसमें रैली दल सीमांत गांवों का भ्रमण करेगा और स्थानीय लोगों से बातचीत कर पुनर्वास और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सुझाव और सहयोग प्राप्त करेगा।