Iran Israel Conflict: मोसाद का डर या अंदरूनी सत्ता संघर्ष? खामेनेई ने क्यों छुपाए ईरान के उत्तराधिकार के नाम
ईरान में इस समय सत्ता की चुपचाप चल रही जंग ने नया मोड़ ले लिया है। देश के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में तीन नामों का चयन तो कर लिया है, लेकिन उन्हें गुप्त रखा गया है। इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद की बढ़ती टारगेट किलिंग और अमेरिका की हस्तक्षेपकारी नीति के बीच यह फैसला बेहद रणनीतिक माना जा रहा है।
Iran Israel Conflict: मोसाद का डर या अंदरूनी सत्ता संघर्ष? खामेनेई ने क्यों छुपाए ईरान के उत्तराधिकार के नामईरान और इजराइल के बीच चल रहे युद्ध के बीच एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया है। ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई ने अपने संभावित उत्तराधिकारी के तौर पर तीन मौलवियों के नाम तय कर लिए हैं, लेकिन उन नामों को सार्वजनिक करने से परहेज किया गया है। ऐसे में सवाल उठता है क्या इसका कारण केवल बाहरी खतरा है या फिर भीतर ही कोई ऐसा डर है जिससे खामेनेई भी सतर्क हो गए हैं?
86 वर्षीय खामेनेई का स्वास्थ्य और हाल ही में मिली जान से मारने की धमकियों ने इस मुद्दे को और भी गंभीर बना दिया है। अमेरिका और इजराइल द्वारा शासन परिवर्तन की आशंका और इंटेलिजेंस एजेंसी मोसाद की सक्रियता को देखते हुए उत्तराधिकार का मामला अब ईरान के अस्तित्व से जुड़ चुका है। खामेनेई के फैसले के पीछे क्या रणनीति है, यह समझना अब बेहद जरूरी हो गया है।
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उत्तराधिकारी तय, लेकिन नाम गुप्त – क्यों?
ईरानी प्रशासन ने आधिकारिक रूप से यह स्वीकार किया है कि सुप्रीम लीडर के उत्तराधिकारी के रूप में तीन नाम तय कर लिए गए हैं। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि वे कौन हैं। बताया जा रहा है कि यह फैसला पूरी तरह से गोपनीय सुरक्षा कारणों से लिया गया है, लेकिन जानकार मानते हैं कि मोसाद के खतरे से ज्यादा यह सत्ता के अंदर चल रही खींचतान का नतीजा हो सकता है।
अमेरिका और इजराइल से खतरा
खामेनेई के खिलाफ अमेरिका और इजराइल की ओर से लगातार हत्या की धमकियां मिल रही हैं। उनका मानना है कि पश्चिमी ताकतें ईरान में ‘रीजाइम चेंज’ यानी शासन परिवर्तन चाहती हैं। खामेनेई ने खुद कहा—”मेरी जान की कोई कीमत नहीं, लेकिन मेरे बाद भी इस्लामिक राष्ट्र को अपनी प्रतिबद्धताओं पर खड़ा रखना है।” उनका यह बयान न केवल उनकी दृढ़ता को दिखाता है, बल्कि ईरान के राजनीतिक भविष्य को लेकर उनकी चिंता भी जाहिर करता है।
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आसान नहीं उत्तराधिकारी का चुनाव
ईरान में सुप्रीम लीडर का चुनाव कोई सीधा या त्वरित निर्णय नहीं है। पहले से ही कई कट्टरपंथी और उदारपंथी दावेदार इस रेस में हैं। ऐसे में अगर युद्धकाल में किसी एक नाम की घोषणा होती है, तो इससे देश के अंदर गुटबाजी और विद्रोह का माहौल बन सकता है।
उधर, सोशल मीडिया पर क्राउन प्रिंस रजा पहलवी खुद को ईरान का वास्तविक उत्तराधिकारी बताते हुए जनता से विद्रोह की अपील कर चुके हैं। ऐसे माहौल में तीनों संभावित उत्तराधिकारियों के नाम सामने लाना, आंतरिक सत्ता संघर्ष को और भड़काने वाला कदम बन सकता है।
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मोसाद की टारगेट किलिंग से बढ़ा डर
इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ईरान के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुकी है। युद्ध की शुरुआत के बाद से अब तक 30 से अधिक ईरानी कमांडरों और शीर्ष नेताओं की हत्या हो चुकी है। अब तक कुल 400 से ज्यादा लोग ईरान में मारे जा चुके हैं, वहीं ईरान के जवाबी हमले में इजराइल में 24 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। ऐसे में खामेनेई का यह फैसला कि “नाम गुप्त रखे जाएं”, एक सुरक्षा रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है।
क्या खामेनेई की विरासत बचा पाएगा ईरान?
खामेनेई का यह कथन कि “मेरे बाद भी इस्लामिक राष्ट्र को अपनी प्रतिबद्धताओं पर खड़ा रखना है” एक स्पष्ट संदेश है कि वे अपनी विचारधारा के उत्तराधिकारी को ही सत्ता सौंपना चाहते हैं। लेकिन क्या यह इतना आसान होगा? क्या बाहरी दबाव और आंतरिक दरारें ईरान को स्थिर नेतृत्व दे पाएंगी? यह आने वाला वक्त ही तय करेगा।
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