Iran-Israel War: हरियाणा के इस व्यापार पर संकट! रूका इस चीज़ का निर्यात
ईरान और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध का असर अब व्यापारिक मोर्चे पर भी दिखने लगा है। भारत से हर साल करीब 1 मिलियन टन बासमती चावल ईरान को एक्सपोर्ट किया जाता है, जिसमें हरियाणा के करनाल, कैथल और अन्य जिलों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। इस समय हालात ऐसे हैं कि कई शिपमेंट होल्ड कर दिए गए हैं और चावल व्यापारी चिंता में हैं।
Iran-Israel War: हरियाणा के इस व्यापार पर संकट! रूका इस चीज़ का निर्यातईरान और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध का असर अब व्यापारिक मोर्चे पर भी दिखने लगा है। भारत से हर साल करीब 1 मिलियन टन बासमती चावल ईरान को एक्सपोर्ट किया जाता है, जिसमें हरियाणा के करनाल, कैथल और अन्य जिलों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। इस समय हालात ऐसे हैं कि कई शिपमेंट होल्ड कर दिए गए हैं और चावल व्यापारी चिंता में हैं।
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शिपमेंट पर अस्थायी रोक
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश गोयल ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से युद्ध की स्थिति बनी हुई है, जिसके चलते चावल के कुछ शिपमेंट जो ईरान भेजे जाने थे, उन्हें रोकना पड़ा है। कांडला पोर्ट पर माल तैयार है, लेकिन युद्धकाल में बीमा नहीं मिलने के कारण रिस्क नहीं लिया जा रहा।
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व्यापार पर आंशिक असर
हालांकि गोयल का मानना है कि युद्ध का बहुत बड़ा असर चावल व्यापार पर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि खाने-पीने की चीजों का व्यापार युद्ध के समय भी अक्सर जारी रहता है। अभी जो चावल पहले से ईरान पहुंच चुका है, उसमें कोई दिक्कत नहीं है। उम्मीद है कि जल्द ही हालात सामान्य होंगे और बाकी शिपमेंट भी निकल जाएंगे।
दामों में थोड़ी गिरावट
वर्तमान हालात के चलते बासमती चावल की कीमतों में थोड़ी गिरावट जरूर आई है, लेकिन जैसे ही स्थिति सामान्य होगी, बाजार फिर से स्थिर हो जाएगा। गोयल ने बताया कि भारत से इस साल करीब 6 मिलियन टन चावल का एक्सपोर्ट हुआ है, जिसमें से 30-35% हरियाणा से भेजा गया।
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सरकार से बातचीत जारी
राइस मिलर्स और एक्सपोर्टर्स लगातार सरकार के संपर्क में हैं। 24 जून को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से मिलने की योजना है, जहां पूरे मुद्दे को सामने रखा जाएगा। सरकार युद्धकाल में बीमा जैसी व्यवस्था को लेकर भी विचार कर रही है, ताकि व्यापारियों को नुकसान से बचाया जा सके।
चावल व्यापार से जुड़े लोग फिलहाल सतर्क हैं, लेकिन निराश नहीं। सभी की यही उम्मीद है कि ईरान और इजरायल के बीच युद्ध जल्द खत्म हो और चावल का व्यापार पहले की तरह सुचारू रूप से चलता रहे।
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