Jalore Water Crisis: बूंद-बूंद को तरसता राजस्थान का कांबा गांव, जल संकट से मानव और पशु दोनों परेशान
राजस्थान के जालोर जिले के कांबा गांव में भीषण पेयजल संकट से ग्रामीण त्रस्त हैं। 'जल जीवन मिशन' के तहत कनेक्शन मिलने के बावजूद गांव के अधिकांश हिस्सों में नलों से पानी नहीं आ रहा। महिलाएं जंगलों में भटक कर पानी ला रही हैं।
Jalore Water Crisis: जालोर में जल संकट की मार: ‘ना पति है, ना बेटा’, विधवा महिला का छलका दर्द, कांबा गांव में बूंद-बूंद पानी को तरसी ज़िंदगीराजस्थान के जालोर जिले के कांबा गांव में पानी की किल्लत ने लोगों की जिंदगी को बेहाल कर दिया है। जल जीवन मिशन के तहत कनेक्शन मिलने के बावजूद यहां के अधिकांश घरों में पीने का पानी तक नहीं पहुंच पा रहा। महिलाएं हर दिन मीलों दूर जंगलों में पानी की तलाश में भटकती हैं, लेकिन नल सूखे रहते हैं।
राज्य सरकार और अधिकारियों के दावे कुछ और कहते हैं, लेकिन गांव के हालात चीख-चीख कर हकीकत बयां कर रहे हैं। एक विधवा महिला की आंखों से निकले आंसू इस संकट की सच्चाई को उजागर करते हैं. “ना पति है, ना बेटा, और पानी के लिए टैंकर मंगाने के पैसे भी नहीं।
पानी के लिए तड़पता कांबा गांव
जालोर के आहोर उपखंड से महज 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कांबा ग्राम पंचायत पिछले कई महीनों से गंभीर जल संकट से जूझ रही है। ग्रामीणों को जल जीवन मिशन के तहत नल कनेक्शन तो मिला है, लेकिन पानी की आपूर्ति नाम मात्र की ही हो रही है। कुछ इलाकों में महीने भर से एक बूंद पानी तक नहीं पहुंचा है।
दिन में एक बार आता है पानी, वो भी सिर्फ 20-40 लीटर
ग्रामीणों का कहना है कि पानी कभी-कभार आता है और उस दौरान भी अधिकतम 20 से 40 लीटर पानी ही प्रति घर सप्लाई हो पाता है। यह मात्रा बड़ी आबादी और गर्मी के मौसम की मांग के लिहाज से बहुत कम है। महिलाओं को हर दिन पानी के इंतजाम के लिए दूर-दराज के इलाकों में जाना पड़ता है।
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विधवा महिला की बेबसी
एक स्थानीय विधवा महिला ने रोते हुए अपनी परेशानी जाहिर की कि ना पति है, ना बेटा. घर में कनेक्शन के बाद एक बार भी पानी नहीं आया. मजबूरी में टैंकर मंगवाना पड़ता है, जिसकी कीमत 800 से 1000 रुपए है. इतने पैसे मैं कहां से लाऊं? उनकी यह पीड़ा अकेली नहीं है, पूरे गांव की महिलाएं इसी संकट से जूझ रही हैं। सरकारी योजनाओं की असलियत उनकी रोजमर्रा की जद्दोजहद में साफ झलकती है।
अधिकारियों का दावा: “टंकी ओवरफ्लो होती है”
वहीं दूसरी ओर, जल जीवन मिशन के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि गांव में रोजाना पानी की सप्लाई होती है और टंकी तक ओवरफ्लो हो जाती है। लेकिन गांव के वे लोग जो टंकी के पास रहते हैं, कहते हैं कि बीते चार महीनों में केवल एक बार टंकी से पानी ओवरफ्लो होता देखा गया है। यह दावा हकीकत से कितना मेल खाता है, यह खुद ग्रामीणों की आंखों देखी बताती है।
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पशुओं के लिए भामाशाहों की पहल
पेयजल की समस्या सिर्फ इंसानों तक सीमित नहीं है। पशुओं के लिए भी पानी की भारी किल्लत है। इस स्थिति को देखते हुए स्थानीय भामाशाहों ने गांव के बस स्टैंड पर बने हौद में टैंकर से पानी भरवाने की व्यवस्था की है। लेकिन नल वहां भी सूखे हैं, और यह पहल केवल अस्थायी राहत दे पा रही है।
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