Jet Airways: कभी देश की प्रमुख एयरलाइन रही जेट एयरवेज का कारोबार बंद होने वाला है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके परिसमापन का आदेश दिया है। चूंकि जालान-कालरॉक कंसोर्टियम ने पांच वर्षों के बाद भी समाधान योजना लागू नहीं की थी, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि परिसमापन उसके कर्मचारियों और ऋणदाताओं के सर्वोत्तम हित में होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने बंद पड़ी एयरलाइन जेट एयरवेज के लिक्विडेशन का आदेश दे दिया है। कोर्ट का कहना है कि इस मामले में एनसीएलएटी का फैसला शीर्ष अदालत के जनवरी 2023 के फैसले की घोर अवहेलना है। कोर्ट के मुताबिक एनसीएलएटी ने जेट एयरवेज के रेजॉल्यूशन एप्लिकेंट जालान-कालरॉक कंसोर्टियम की 150 करोड़ रुपये की परफॉरमेंस बैंक गारंटी के समायोजन की अनुमति देकर न्यायालय के जनवरी 2023 के आदेश की अवहेलना की है। समाधान प्रस्ताव के अनुसार, एयरलाइन को 350 करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता थी। एनसीएलएटी ने इसे प्रदर्शन बैंक गारंटी से घटाने की अनुमति दी थी।
कभी भारत की प्रमुख एयरलाइन रही नरेश गोयल के नेतृत्व वाली कंपनी ने 2019 से परिचालन नहीं किया है। एनसीएलएटी ने जेट का मालिकाना हक यूके की कंपनी कालरॉक कैपिटल और संयुक्त अरब अमीरात के कारोबारी मुरारी लाल जालान के कंसोर्टियम को ट्रांसफर करने को मंजूरी दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि लिक्विडेशन इसके ऋणदाताओं और कर्मचारियों के सर्वोत्तम हित में होगा क्योंकि जालान-कालरॉक कंसोर्टियम मंजूरी के पांच साल बाद भी समाधान योजना को लागू करने में विफल रहा है।
कोर्ट ने क्या कहा
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की सदस्यता वाली समिति ने एनसीएलटी, मुंबई को परिसमापक नियुक्त करने के लिए कार्रवाई करने का निर्देश दिया। इस मामले में दायर कई अपीलों के जवाब में कोर्ट ने यह आदेश जारी किया। जेट एयरवेज को जालान-कलरॉक कंसोर्टियम को बेचने के एनसीएलटी के फैसले को चुनौती देने वाले बैंकों ने भी ऐसी ही एक अपील दायर की थी। एसबीआई के नेतृत्व वाले बैंकों ने तर्क दिया है कि कंसोर्टियम अब एयरलाइन को बचाने में सक्षम नहीं है, क्योंकि उसने इसे खरीदने के लिए आवश्यक शर्तें पूरी नहीं की हैं।
न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा कि एयरलाइन से जुड़ा मुकदमा आंखें खोलने वाला है। इसमें भारत के इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के लिए कई सबक हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एनसीएलएटी के फैसले को गलत करार दिया और कहा कि इसमें मटीरियल साक्ष्यों को गलत तरीके से पढ़ा गया है और कानूनी सिद्धांतों की अवहेलना की गई है। बैंक गारंटी का उद्देश्य दिवालियापन प्रक्रिया के समापन तक सक्रिय रहना था।
बैंकों की दलील
सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाया कि कंसोर्टियम ने एयरलाइन में 350 करोड़ रुपये खर्च करने का अपना वादा पूरा नहीं किया है। यह जेट एयरवेज के लिक्विडेशन के लिए पर्याप्त आधार बनाता है। कोर्ट ने बैंकों को 150 करोड़ रुपये की गारंटी को भुनाने की भी अनुमति दे दी। शीर्ष अदालत को यह तय करना था कि जेट एयरवेज के अधिग्रहण को बरकरार रखा जाए या एयरलाइन को समाप्त कर दिया जाए। बैंकों ने इसे लिक्विडेट करने की अपील की थी।