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Jhalawar School Collapse: झालावाड़ हादसे में बच्चों की मौत के बाद वसुंधरा राजे ने दी संविदा नौकरी, गांव में गूंजा मातम

राजस्थान के झालावाड़ जिले में हाल ही में हुए दर्दनाक स्कूल हादसे ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया। इस हादसे में दो मासूम बच्चों की जान चली गई, जिससे गांव में मातम पसर गया। अब पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मृतकों के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें ढांढस बंधाया और संविदा आधार पर सरकारी नौकरी का नियुक्ति पत्र सौंपा।

Jhalawar School Collapse: राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में सरकारी स्कूल की इमारत ढहने की दर्दनाक घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। हादसे में 6 मासूम बच्चों की जान चली गई, जिससे गांव में मातम का माहौल है। शनिवार को इन मासूमों का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया, जहां परिजनों की चीख-पुकार और सन्नाटे के बीच दर्द की तस्वीरें हर आंख को नम कर गईं।

इस दुखद घड़ी में प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपने बेटे और सांसद दुष्यंत सिंह के साथ पिपलोदी गांव पहुंचीं। उन्होंने पीड़ित परिवारों से मिलकर शोक संवेदना प्रकट की और प्रशासन से दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की। इस दौरान उन्होंने एक परिवार को संविदा नौकरी का ऑफर लेटर भी सौंपा, जिनके दो बच्चों की इस हादसे में मौत हुई थी।

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वसुंधरा राजे ने जताया गहरा शोक

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने बच्चों की मौत पर गहरा दुख जताया और पीड़ित परिवारों के घर-घर जाकर मुलाकात की। उन्होंने कहा, “यह हादसा बेहद पीड़ादायक है, बच्चों की असमय मौत ने हर किसी का दिल तोड़ दिया है। सरकार को इस मामले में सिर्फ मुआवजा नहीं, बल्कि जिम्मेदारों पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।”

संविदा पर नौकरी का ऑफर, लेकिन सवाल बरकरार

राजे ने इस दौरान एक ऐसे परिवार को संविदा नौकरी का ऑफर लेटर सौंपा, जिन्होंने अपने दो मासूमों को खोया है। हालांकि परिवार ने इस पर संतोष जताने के बजाय कई सवाल उठाए। उनका कहना है कि सरकार ने 10 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की है, लेकिन यह राशि उनकी संतान की कीमत नहीं चुका सकती।

परिजनों ने यह भी कहा कि जो नौकरी दी जा रही है, वह संविदा आधारित है और उसकी अवधि, वेतन और स्थायित्व को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। “अगर नौकरी स्थाई नहीं है, तो भविष्य की सुरक्षा का क्या भरोसा?” – यह सवाल परिजन लगातार उठा रहे हैं।

दोषियों पर कार्रवाई की मांग

गांव के लोगों और मृतकों के परिवारों ने हादसे के लिए स्कूल प्रबंधन और जिम्मेदार अधिकारियों को सीधे तौर पर दोषी ठहराया है। उनका कहना है कि यदि भवन की हालत जर्जर थी, तो बच्चों को उसमें क्यों बैठाया गया? उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि मुआवजा और सांत्वना से आगे बढ़कर दोषियों पर आपराधिक कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही दोहराई न जाए।

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पूरे गांव में मातम, प्रशासन पर गुस्सा

पिपलोदी गांव में मातम पसरा हुआ है। हादसे के बाद से लोगों में गुस्सा और असुरक्षा का माहौल है। कई ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने भवन की जांच समय पर की होती, तो ये मासूम जिंदा होते। वहीं स्कूल के अन्य बच्चों के अभिभावकों ने भी अपने बच्चों को स्कूल भेजने पर चिंता जताई है।

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Diksha Parmar

मैं पिछले तीन वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय हूं. एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल और वायरल खबरें लिखने में मेरी खास रुचि है। साथ ही, मुझे रिसर्च-आधारित कहानियां तैयार करना भी बेहद पसंद है।

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