Joshimath Declared as Danger Zone: डेंजर जोन घोषित हुआ जोशीमठ ,तकनीकी एक्सपर्ट (technical expert) टीम का दौरा
एक्सपर्ट (expert) ने साफ़ तौर पर कहा है कि जो कुछ भी जोशीमठ में हो रहा है वह बेहद ही रिस्क वाली स्थिति है। इसके बाद केंद्र सरकार ने को कहा है कि समय रहते स्थानीय लोगों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया जाए। लैंड स्लइड (landslide) का पता लगाने के लिए आज सोमवार को एक्सपर्ट की एक टीम जोशीमठ का दौरा करेगी और सरकार को अपनी रिपोर्ट जल्द सौपेगी। इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Modi) ने भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) को फोन कर इस मामले में जानकारी ली।धामी ने बताया कि पीएम ने कई तरह के प्रश्न पूछे जैसे कितने लोग इससे प्रभावित हुए हैं, कितना नुकसान हुआ
उत्तराखंड (Uttarakhand) का जोशीमठ (Joshimath) इलाका अब डेंजर जोन बन गया है। लम्बे समय से जारी यहां लैंड स्लइड की घटना स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का सबब तो है ही सत्ता और सरकार के सामने भी बड़ी चौनौती खड़ी कर दी है। करीब पांच हजार से ज्यादा लोग यहां हो रहे लगातार भूधसान (landslide) से घबराये हुए हैं और घर छोड़ने को आतुर हैं। उन्हें डर है कि समय से पहले यहाँ से नहीं निकले तो मौत से खेलने के बराबर है। जानकारी के मुताबिक़ बड़ी संख्या में लोग यहां से पलायन भी कर रहे हैं। जोशीमठ (Joshimath)की स्थिति को देखते हुए रविवार को पीएमओ (Pmo) ने एक उच्च स्तरीय बैठक भी बुलाई और स्थिति से निपटने के लिए कई मुद्दों पर चर्चा भी की। एक्सपर्ट (expert) ने साफ़ तौर पर कहा है कि जो कुछ भी जोशीमठ में हो रहा है वह बेहद ही रिस्क वाली स्थिति है। इसके बाद केंद्र सरकार ने को कहा है कि समय रहते स्थानीय लोगों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया जाए। लैंड स्लइड (landslide) का पता लगाने के लिए आज सोमवार को एक्सपर्ट की एक टीम जोशीमठ का दौरा करेगी और सरकार को अपनी रिपोर्ट जल्द सौपेगी। इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Modi) ने भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) को फोन कर इस मामले में जानकारी ली।धामी ने बताया कि पीएम ने कई तरह के प्रश्न पूछे जैसे कितने लोग इससे प्रभावित हुए हैं, कितना नुकसान हुआ, लोगों के विस्थापन के लिए क्या किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने जोशीमठ को बचाने के लिए हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। बता दें कि प्रशासन ने जोशीमठ को अब डेंजर जोन घोषित कर दिया है। जानकारी के मुताबिक जोशीमठ में अब तक 66 परिवारों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है।
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उधर रविवार को जैसे ही सीएम धामी हालत को समझने जोशीमठ पहुंचे ,लोगों के दर्द छलक आये। कई लोग रोने लगे। महिलाओं ने कहा कि हमारी आंखों के सामने ही हमारी दुनिया उजड़ रही है, इसे बचा लीजिए। हमें अपने घरों में रहने में डर लग रहा है। इधर, चमोली जिला प्रशासन ने बताया- जोशीमठ के 9 वार्डों के 603 घरों में अब तक दरारें आई हैं। 66 परिवारों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है।
उधर ,ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल की है। उन्होंने कहा- पिछले एक साल से जमीन धंसने के संकेत मिल रहे थे। सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया गया। ऐतिहासिक, पौराणिक और सांस्कृतिक नगर जोशीमठ खतरे में हैं।
बता दें कि जोशीमठ पुराने ग्लेशियर पर बसा हुआ है और अधिक खुदाई-ब्लास्टिंग से इलाके लैंड स्लइड जारी है। अगर इस पर गौर नहीं किया गया तो कभी भी मलबे में बदल सकता है यह शहर। जोशीमठ के धंसने से करीब 5 हजार लोग दहशत में हैं। उन्हें डर है कि उनका घर कभी भी ढह सकता है। सबसे ज्यादा असर शहर के रविग्राम, गांधीनगर और सुनील वार्ड में है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जोशीमठ के मकानों में दरार आने की शुरुआत 13 साल पहले हो गई थी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ब्लास्टिंग और शहर के नीचे सुरंग बनाने की वजह से पहाड़ धंस रहे हैं। अगर इसे तुरंत नहीं रोका गया, तो शहर मलबे में बदल सकता है।
गौरतलब है कि हिमालय के इको सेंसेटिव जोन में मौजूद जोशीमठ बद्रीनाथ, हेमकुंड और फूलों की घाटी तक जाने का एंट्री पॉइंट माना जाता है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि जोशीमठ की स्थिति क्यों संवेदनशील है। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी ने अपनी रिसर्च में कहा था- उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों में पड़ने वाले ज्यादातर गांव ग्लेशियर के मटेरियल पर बसे हैं। जहां आज बसाहट है, वहां कभी ग्लेशियर थे। इन ग्लेशियरों के ऊपर लाखों टन चट्टानें और मिट्टी जम जाती है। लाखों साल बाद ग्लेशियर की बर्फ पिघलती है और मिट्टी पहाड़ बन जाती है।1976 में गढ़वाल के तत्कालीन कमिश्नर एमसी मिश्रा की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने कहा था कि जोशीमठ का इलाका प्राचीन भूस्सखलन क्षेत्र में आता है। यह शहर पहाड़ से टूटकर आए बड़े टुकड़ों और मिट्टी के ढेर पर बसा है, जो बेहद अस्थिर है।कमेटी ने इस इलाके में ढलानों पर खुदाई या ब्लास्टिंग कर कोई बड़ा पत्थर न हटाने की सिफारिश की थी। साथ ही कहा था कि जोशीमठ के पांच किलोमीटर के दायरे में किसी तरह का कंस्ट्रक्शन मटेरियल डंप न किया जाए।अब देखना ये है कि जोशीमठ को कैसे बचाया जाता है साथ ही स्थानीय लोगों को कहाँ और कैसे सुरक्षित रखा जाता है।