Vyapam Case 2025: 13 साल बाद व्यापमं घोटाले पर न्याय की मुहर, 11 दोषियों को सजा
देश के सबसे चर्चित घोटालों में से एक व्यापमं (व्यावसायिक परीक्षा मंडल) घोटाले में 13 साल बाद आखिरकार बड़ा फैसला सामने आया है। सीबीआई की विशेष अदालत ने इस बहुचर्चित मामले में 11 दोषियों को दोषी करार देते हुए उन्हें सजा सुनाई है।
Vyapam Case 2025: देश के सबसे चर्चित घोटालों में से एक व्यापमं (व्यावसायिक परीक्षा मंडल) घोटाले में 13 साल बाद आखिरकार बड़ा फैसला सामने आया है। सीबीआई की विशेष अदालत ने इस बहुचर्चित मामले में 11 दोषियों को दोषी करार देते हुए उन्हें सजा सुनाई है। यह फैसला न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, जिससे आम जनता में यह विश्वास मजबूत हुआ है कि देर से ही सही, लेकिन न्याय जरूर होता है।
क्या है व्यापमं घोटाला?
व्यापमं घोटाला मध्य प्रदेश में वर्ष 2010 के आसपास सामने आया था, जिसमें मेडिकल प्रवेश परीक्षा, सरकारी नौकरी, और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया था। इस घोटाले में परीक्षार्थियों की जगह दूसरों को बिठाना, फर्जी दस्तावेजों के जरिए चयन करवाना, और रिश्वत लेकर परीक्षा पास करवाने जैसी गंभीर अनियमितताएं उजागर हुई थीं।
इस मामले में राजनेता, अधिकारी, दलाल और यहां तक कि कुछ डॉक्टर भी आरोपी बनाए गए थे। प्रारंभ में राज्य पुलिस द्वारा जांच की गई, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए 2015 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इसे सीबीआई को सौंपा गया।
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CBI कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
सीबीआई की विशेष अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए पाया कि 11 आरोपी न सिर्फ परीक्षा प्रणाली के साथ धोखाधड़ी कर रहे थे, बल्कि उन्होंने शिक्षा व्यवस्था की साख को भी गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया। अदालत ने इन दोषियों को अलग-अलग धाराओं में दोषी मानते हुए सजा सुनाई। इनमें से कुछ को 7 साल तक की कैद की सजा दी गई है, जबकि अन्य पर भारी जुर्माना भी लगाया गया है।
किन्हें ठहराया गया दोषी?
इस फैसले में दोषी ठहराए गए लोगों में एक दलाल, कुछ फर्जी परीक्षार्थी और परीक्षा केंद्र के कर्मचारी शामिल हैं। इन पर आरोप था कि इन्होंने पैसे लेकर असली अभ्यर्थियों की जगह सॉल्वर (solvers) को परीक्षा में बिठाया, और फर्जी तरीके से उन्हें सफल करवाया।
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जनता में मिली-जुली प्रतिक्रिया
इस फैसले के बाद जहां आम लोग न्याय मिलने पर संतोष जता रहे हैं, वहीं कई लोग यह भी सवाल उठा रहे हैं कि इस न्याय में इतनी देरी क्यों हुई। कई पीड़ितों का कहना है कि 13 साल एक लंबा समय होता है और इतने लंबे समय में कई साक्ष्य और गवाह कमजोर हो जाते हैं। हालांकि, सीबीआई की मेहनत और अदालत के धैर्यपूर्ण सुनवाई के लिए तारीफ भी हो रही है।
व्यापमं घोटाला केवल एक परीक्षा या भर्ती से जुड़ा मामला नहीं था, बल्कि यह पूरे शिक्षा तंत्र और शासन व्यवस्था पर उठे सवालों का प्रतीक बन गया था। अब जबकि इस मामले में पहला बड़ा फैसला आ चुका है, यह एक उदाहरण बनेगा कि चाहे अपराध कितना भी बड़ा या प्रभावशाली क्यों न हो, कानून से बचा नहीं जा सकता। उम्मीद की जा रही है कि बाकी लंबित मामलों में भी जल्द ही न्याय मिलेगा और शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता लौटेगी।
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