अंतिम दौर में पहुंचा कर्नाटक में करिश्मा और इकबाल की लड़ाई
Karnataka News: कर्नाटक की लड़ाई अब करिश्मा और इक़बाल की हो गई है। आज कर्नाटक में पीएम मोदी का रोड शो है। 17 विधान सभाओं को आज मोदी रोड शो के जरिये साधेंगे। पूरा बंगलुरु सज कर तैयार है। हजारो कार्यकर्ता मुस्तैद हैं। सैकड़ों बीजेपी नेता तैयार हैं और सभी विधान सभाओं के उम्मीदवार आस लगाए बैठे हैं कि पीएम मोदी का इकबाल और करिश्मा से ही कुछ मिल सकता है। उधर आज ही कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी हुबली पहुँच रही है। हुबली से जगदीश शेट्टार मैदान में हैं। पहले शेट्टार बीजेपी के बड़े नेता थे। मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। चुनाव से ठीक पहले वे कांग्रेस में समा गए। उनकी प्रतिष्ठा भी दाव पर लगी है। प्रतिष्ठा में आंच नहीं आये इसलिए हुबली पहुँच रही है। सोनिया का भी अपना करिश्म है और अपना इक़बाल भी।
बीजेपी अभी तक मोदी के नाम पर ही राजनीति करती रही है। 2014 के बाद बीजेपी की राजनीति जहाँ -जहाँ फैली और सरकार बनी उसमे पीएम मोदी का इक़बाल और करिश्मा खूब चला। उनकी साख के सामने विपक्ष जमींदोज होता गया। एक के बाद एक चुनाव परिणाम बीजेपी के पक्ष में आते गए। मोदी के इकबाल और साख के सामने कांग्रेस कमजोर होती गई। लेकिन अब कर्नाटक में उसी साख की टेस्टिंग चल रही है। कर्नाटक बीजेपी के लिए उतना ही अहम् है जितना कांग्रेस के लिए। बीजेपी के हाथ से कर्नाटक निकल गया तो खेल बिगड़ सकता है। आगे के चुनाव पर भी इसके असर पड़ सकते हैं। उधर कांग्रेस के हाथ से कर्नाटक निकला तो कांग्रेस की अगली राजनीति प्रभावित होगी। विपक्ष की एकता पर पलीता लगेगा। जो दल आज साथ आते दिख रहे हैं उसी दल के सामने कांग्रेस को घुटने टेकने पड़ेंगे।
कर्नाटक का चुनाव कांग्रेस के लिए और भी अहम् है। कर्नाटक कांग्रेस का भी गढ़ रहा है नेहरू से लेकर इंदिरा गाँधी की राजनीति यहाँ खूब चली। कई बार इंदिरा ने इसी कर्नाटक से सत्ता में वापसी की। आज उस करिश्मे को वापस लेन के लिए राहुल और प्रियंका प्रयास कर रहे हैं। कह सकते हैं कि कर्नाटक का चुनाव नेहरू और गाँधी परिवार का करिश्मा लौटाने की कोशिश चल रही है। अगर यह कोशिश कामयाब होती है तो राजस्थान ,मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में सन्देश जाएगा कि सोनिया का परिवार आज भी सत्ता दिलाने में सक्षम है। ऐसे में प्रतिष्ठा कांग्रेस की नहीं ,गाँधी परिवार की लगी हुई है। सारा खेल इसी प्रतिष्ठा को लेकर किया जा रहा है।
कर्नाटक चुनाव में यह माहौल बनाया गया कि शिवकुमार और सिद्धरमैया पास में लड़ रहे हैं। और कांग्रेस अगर जीतती है तो इन्ही दोनों नेताओं की वजह से जीतेगी। थोड़ा श्रेय खड़गे को भी दिया जा सकता है। मीडिया ने इस चुनाव को इसी तरह से प्रचारित किया था। गाँधी परिवार को कमतर आँका गया था। ठीक इसी तरह की बात बीजेपी के बारे में भी कहा गया। बीजेपी की जीत होगी तो मोदी की वजह से होगी और हार होगी तो प्रदेश के नेताओं कीे वजह से होगी। लेकिन इस खेल में अब कांग्रेस के राहुल और प्रियंका काफी आगे बढ़ गए हैं। इनके इकबाल का भी इसी चुनाव में परिक्षण होना है। परिक्षण की इसी लड़ाई में सब हनफ़ रहे हैं लेकिन कोई कुछ दावा नहीं कर सकता। सबके इकबाल और करिश्मा दाव पर जो हैं।
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मीडिया ने जो नरेटिव गधा था उसे कांग्रेस के आलाकमान ने समझ लिया है। फिर तय हो गया कि पूरा गाँधी परिवार प्रचार करेगा। राहुल की रैलियां बढ़ाई गई। प्रियंका का रोड शो बढ़ाया गया। सोनिया की रैली क आयोजन किया गया। आज पूरा गाँधी परिवार कर्नाटक में प्रचार कर रहा है। उधर मोदी भी पूरी तैयारी के साथ मैदान में हैं। जीत हो गई तो सारी श्रेय मोदी को जाएगा और हार हो गई पासा पलटते देर कहा लगेगी। ऐसे में इकबाल और साख की इस लड़ाई में कर्नाटक का अंतिम फैसला क्या होता है इसे देखना होगा।