Karwa Chauth Vrat Pooja Vidhi! हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन करवाचौथ का व्रत (Karwa Chauth Vrat ) किया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। आइए जानते हैं इस बार कब रखा जाएगा करवा चौथ का व्रत।
हर साल सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए करवाचौथ का व्रत रखती है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर चांद की पूजा करने के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं। करवा चौथ (Karwa Chauth Vrat ) का पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस साल कब मनाया जाएगा करवा चौथ (Karwa Chauth Vrat ) का पर्व साथ ही जानते हैं करवा चौथ व्रत की पूजा विधि।
जानकारी के मुताबिक आपको बता दें इस साल करवा चौथ (Karwa Chauth Vrat ) का व्रत 1 नवंबर यानि बुधवार के दिन रखा जाएगा। करवा चौथ का त्योहार चंद्रमा की पूजा के बिना अधूरा माना जाता है। इस दिन भगवान गणेश और माता करवा की पूजा अर्चना की जाती है। महिलाएं इस दिन अपनी पति की लंबी उम्र, खुशहाली, रक्षा के लिए पूरे दिन भूखे प्यासे इस व्रत को ऱखती हैं। ऐसी माना जाता हैं कि इस व्रत (Karwa Chauth Vrat ) को करने से पति पर कोई संकट नहीं आता है।
कई पौराणिक कथाओं के मुताबिक, एक बार जब असुरों और देवताओं के बीच युद्ध हुआ तो इस समय देवता हार की कगार पर पहुंच गए थे। ऐसे में उनकी पत्नियों ने ब्रह्मा जी के कहने पर कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवाचौथ का व्रत किया था। इसके बाद करवा माता ने सभी देवताओं के प्राणों की रक्षा की और युद्ध में भी विजय प्राप्त की थी।
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करवा चौथ के त्यो हार का हमारे देश की महिलाओं के बीच विशेष महत्व है। आज के दिन पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और शाम को महिलाएं सज संवरकर व्रत खोलने के बाद अन्न जल ग्रहण करती हैं। देश के कृषि प्रधान हिस्से जैसे राजस्था न, पंजाब, पश्चिमी उत्त र प्रदेश में यह त्योपहार विशेष धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
व्रत की शुरुआत होती है ऐसे
करवा चौथ (Karwa Chauth Vrat ) के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले जागकर सरगी खाकर व्रत की शुरुआत करती हैं। सरगी में मिठाई, फल और मेवे होते हैं, जो उनकी सास उन्हेंे देती हैं। उसके बाद महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। उसके बाद शाम को छलनी से चांद देखकर और पति की आरती उतारकर अपना व्रत खोलती हैं। अधिकांश घरों में पति अपनी पत्नीक को पानी पिलाकर उनका व्रत तोड़वाते हैं।
करवा चौथ की पूजा विधि
बता दें करवा चौथ (Karwa Chauth Vrat ) की पूजा शाम के वक्त चंद्रोदय होने के बाद की जाती है। पूजा और व्रत की विधि के मुताबिक, करवा चौथ के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए और इश्वर के सामने हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
चंद्रोदय हाने के बाद यानि शाम की पूजा (Karwa Chauth Vrat ) के लिए गेरू से घर की दीवार पर फलक बनाएं और फलक पर करवा का चित्र बनाएं।
इसके बाद शाम के वक्त फलक (Karwa Chauth Vrat ) वाले जगह पर चौकी लगाएं और माता पार्वती (Karwa Chauth Vrat ) और भगवान भोलेनाथ की कोई चित्र लगाएं।
इसके बाद पूजा की थाली में दीप, सिंदूर, अक्षत, कुमकुम, रोली और मिठाई रखें। इसके बाद करवे में जल भरकर पूजा में रख दें और माता पार्वती के श्रृंगार सामग्री चढ़ाएं। इसके बाद माता पार्वती भगवान शिव और चंद्रदेव की आराधना करें।
करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth Vrat ) की कथा सुने और पढ़ें। चंद्रमा के निकलने के बाद छलनी या जल के अंदर चंद्रमा को देखें इसके बाद चांद की पूजा करें और उन्हें अर्घ्य दें।
इसके बाद अपने पति की लंबी उम्र की कामना करें। इसके बाद पति के बाथ से पानी पीकर अपना व्रत संपन्न करें। अंत में अपने बड़ों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें