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Hariyali Teej 2024 Varanasi: जाने हरियाली तीज पर वाराणसी के श्री गौरी केदारेश्वर मंदिर की मान्यता

Know the importance of Shri Gauri Kedareshwar Temple of Varanasi on Hariyali Teej

Hariyali Teej 2024 Varanasi: पंचांग के अनुसार हरियाली तीज 7 अगस्त को मनाई जाएगी! सनातन धर्म के अनुसार हरियाली तीज पर माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करने से घर में खुशहाली के साथ पारिवारिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

सुख-सौभाग्य का वरदान देने वाली सावन हरियाली तीज पर भक्तों को वाराणसी के अति प्राचीन श्री गौरी केदारेश्वर मंदिर में अपने नाम का प्रसाद चढ़ाना चाहिए। मान्यता है कि यहां भगवान शिव की पूजा करने से केदारनाथ धाम से 7 गुना अधिक पुण्य मिलता है।

केदारेश्वर महादेव मंदिर की विशेषता

वाराणसी को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। भोलेनाथ यहां विभिन्न रूपों में विराजमान हैं, जिनमें सबसे प्रमुख मंदिर विशेश्वर धाम बाबा का काशी विश्वनाथ मंदिर है। यहां केदारेश्वर महादेव मंदिर भी है जो त्रिलोचन महादेव, तिलभांडेश्वर महादेव और केदारनाथ धाम से भी अधिक पुण्य प्रदान करता है। सोनारपुर रोड के पास केदार घाट पर स्थित केदारेश्वर मंदिर वाराणसी के प्राचीन पवित्र स्थलों में से एक है। कहा जाता है कि यहां शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ था। ऐसी भी मान्यता है कि यहां दर्शन करने से केदारनाथ धाम से भी 7 गुना अधिक पुण्य मिलता है।

शिवजी स्वयं खिचड़ी खाने आते हैं

मंदिर में पूजा की विधि भी अन्य मंदिरों से अलग है। यहां ब्राह्मण बिना सिले हुए वस्त्र पहनकर दिन में चार बार आरती करते हैं। इस स्वयंभू शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध, गंगाजल और खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव स्वयं यहां भोग ग्रहण करने आते हैं।

शिवलिंग दो भागों में विभाजित है

काशी के इस शिवलिंग की एक नहीं, बल्कि अनेक महिमाएँ हैं। यह शिवलिंग आम तौर पर देखे जाने वाले अन्य शिवलिंगों की तरह नहीं है, बल्कि दो भागों में विभाजित है। एक भाग में भगवान शिव और माता पार्वती हैं, जबकि दूसरे भाग में भगवान नारायण अपनी अर्धांगिनी माता लक्ष्मी के साथ विराजमान हैं।

तपस्या से प्रसन्न होकर आईं गौरी केदारेश्वर

पौराणिक मान्यता के अनुसार, ऋषि मान्धाता की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव यहां प्रकट हुए थे। भगवान शिव ने कहा था कि चारों युगों में इसके चार रूप होंगे। यह सतयुग में नौ रत्नों से, त्रेता में स्वर्ण से, द्वापर में चांदी से तथा कलियुग में पत्थर से बनेगा और सभी मनोकामनाएं पूर्ण करेगा।

Chanchal Gole

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