Kurmi Maha Kumbh: मिल्कीपुर उपचुनाव से पहले अयोध्या में क्यों हुआ कुर्मी महाकुंभ, समझिए इसके पीछे का सियासी मकसद
अयोध्या के काशीनाथ गांव में आयोजित कुर्मी महाकुंभ में जिले के करीब 10 हजार कुर्मी मौजूद रहे। मिल्कीपुर उपचुनाव से पहले आयोजित इस महाकुंभ का राजनीतिक मकसद है। महाकुंभ में भाजपा से लेकर सपा, कांग्रेस, लोकदल के नेता शामिल हुए। मिल्कीपुर उपचुनाव की सियासी सरगर्मी के बीच कुर्मी समाज ने अयोध्या में एकजुट होकर न सिर्फ अपनी ताकत दिखाई बल्कि राजनीतिक हक और अधिकार के लिए आवाज भी बुलंद की।
Kurmi Maha Kumbh: उत्तर प्रदेश की सियासत में अयोध्या राजनीतिक चर्चा का केंद्र बना हुआ है। राम मंदिर के उद्घाटन को करीब एक साल हो गया है, लेकिन राजनीतिक हलचल की वजह अयोध्या में रविवार को आयोजित कुर्मी महाकुंभ है। अयोध्या के काशीनाथ गांव में आयोजित कुर्मी महाकुंभ में जिले के करीब 10 हजार कुर्मियों ने हिस्सा लिया। इस तरह कुर्मी समाज के लोगों ने जाति को लामबंद कर अपनी ताकत दिखाई और राजनीतिक भागीदारी की मांग उठाई। ऐसे में सवाल उठता है कि अयोध्या में मिल्कीपुर उपचुनाव से पहले कुर्मी महाकुंभ का आयोजन क्यों किया गया और इसके पीछे राजनीतिक मकसद क्या है?
लोकसभा चुनाव में अयोध्या सीट से सपा के अवधेश प्रसाद के सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है। अयोध्या संसदीय सीट के बाद भाजपा हर हाल में मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव जीतने की कोशिश में जुटी है। ऐसे में मिल्कीपुर उपचुनाव की घोषणा भले ही अभी न हुई हो, लेकिन सियासी हलचल तेज है। सपा पहले ही अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को अपना प्रत्याशी बना चुकी है जबकि भाजपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। मिल्कीपुर उपचुनाव की सियासी सरगर्मी के बीच कुर्मी समाज ने अयोध्या में एकजुट होकर न सिर्फ अपनी ताकत दिखाई बल्कि राजनीतिक हक और अधिकार के लिए आवाज भी बुलंद की।
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क्या है कुर्मी महाकुंभ का महत्व?
उत्तर प्रदेश की जातिगत राजनीति में यादव समाज के बाद कुर्मी समाज ओबीसी का दूसरा सबसे बड़ा वोट बैंक है। अयोध्या जिले में भले ही कुर्मी समाज 15 फीसदी है, लेकिन पूरे मंडल क्षेत्र में इनका अपना अलग राजनीतिक दबदबा है। यही वजह है कि अयोध्या में आयोजित कुर्मी महाकुंभ को कई मायनों में अहम माना जा रहा है। इस कार्यक्रम में कई पार्टियों के नेताओं ने हिस्सा लिया, जिसमें कांग्रेस से लेकर बीजेपी और सपा समेत अन्य दलों के कुर्मी नेता शामिल रहे। इस दौरान कुर्मी नेताओं ने एक स्वर में कहा कि जिले में अयोध्या की राजनीति में उनके समाज को उपेक्षित और नजरअंदाज किया गया है।
कुर्मी महाकुंभ के आयोजक रहे यूपी कांग्रेस महासचिव जयकरन वर्मा ने टीवी-9 डिजिटल से बात करते हुए कहा कि कुर्मी महाकुंभ का उद्देश्य सामाजिक तौर पर अपनी ताकत और एकता का प्रदर्शन करना है। अयोध्या जिले की राजनीति में कुर्मी समाज को राजनीतिक दलों द्वारा लगातार नजरअंदाज किया जाता रहा है। जिले के कुल 18 लाख मतदाताओं में से करीब ढाई लाख कुर्मी मतदाता हैं, जो मुख्य रूप से खेती-किसानी करते हैं। इसके बावजूद जिले में कुर्मी समाज का एक भी विधायक नहीं है और न ही ढाई दशक से कोई कुर्मी सांसद चुना गया है।
कांग्रेस का फोकस कुर्मी समाज पर
जयकरन वर्मा का कहना है कि देश की सभी राजनीतिक पार्टियां भी अयोध्या में कुर्मी समाज को टिकट देने के बजाय दूसरे समाज के नेताओं पर भरोसा करती हैं, जिसके चलते आज कुर्मी समाज एकजुट हुआ है, ताकि राजनीतिक पार्टियों पर दबाव बना सके। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी (कांग्रेस) ने भी कुर्मी समाज की अनदेखी की है, लेकिन हम वादा करते हैं कि 2027 के विधानसभा चुनाव में अयोध्या जिले में पार्टी से कुर्मी समाज के लिए टिकट की पुरजोर मांग करेंगे। कांग्रेस संगठन में समाज की भागीदारी बढ़ाने की हम वकालत करते रहेंगे।
महाकुंभ में कई पार्टियों ने हिस्सा लिया
अयोध्या में आयोजित कुर्मी महाकुंभ में राजनीतिक सीमाएं तोड़कर लोगों ने हिस्सा लिया था। कांग्रेस से जयकरन वर्मा मौजूद थे, तो सपा से अशोक वर्मा, लोकदल से रामशंकर वर्मा और योगेंद्र वर्मा जैसे नेता मौजूद थे। भाजपा से डॉ. अवधेश वर्मा भी शामिल हुए। अवधेश वर्मा ने कहा कि कुर्मी महाकुंभ के जरिए कुर्मी समाज की राजनीतिक उपेक्षा का मुद्दा उठाया गया और कुर्मी समाज को अधिक राजनीतिक प्रतिनिधित्व देने की मांग की गई।
उन्होंने कहा कि सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि अयोध्या से अगर समाज के किसी भी व्यक्ति को टिकट मिलता है तो हम पार्टी लाइन से हटकर उसका समर्थन करेंगे। इसके अलावा सपा नेता अशोक वर्मा ने भी कहा कि अयोध्या में सभी राजनीतिक दलों ने कुर्मी समाज की अनदेखी की है, जिसके चलते हम सभी ने एकजुट होकर निर्णय लिया है कि हम राजनीतिक दलों पर दबाव बनाने का काम करेंगे।
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राजनीति में कुर्मी नेताओं का इतिहास
अयोध्या में कुर्मी समुदाय की आबादी 15 फीसदी है। अयोध्या लोकसभा सीट को फैजाबाद सीट के नाम से जाना जाता है। आजादी के बाद से अयोध्या से सिर्फ दो कुर्मी नेता सांसद चुने गए हैं। 1980 में जयराम वर्मा कांग्रेस के टिकट पर पहले कुर्मी सांसद चुने गए थे। इसके बाद 1991, 1996 और 1999 के लोकसभा चुनाव में विनय कटियार बीजेपी के टिकट पर अयोध्या से सांसद चुने गए। जयराम वर्मा और विनय कटियार दोनों ही कुर्मी समुदाय से सांसद रहे हैं। लालजी वर्मा अयोध्या से अलग हुई अंबेडकरनगर सीट से सपा के सांसद हैं।
वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव के बाद से अयोध्या से कोई भी कुर्मी नेता सांसद नहीं बन पाया है। भाजपा से लेकर कांग्रेस और सपा तक किसी भी पार्टी ने कुर्मी समाज के किसी नेता को टिकट नहीं दिया है। इसके अलावा अयोध्या लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली पांचों विधानसभा सीटों में से किसी पर भी न तो भाजपा, न ही कांग्रेस और न ही सपा ने किसी कुर्मी को टिकट दिया है। इतना ही नहीं अयोध्या मंडल में कुर्मी समाज के विधायकों पर नजर डालें तो वर्तमान में बाराबंकी जिले में मात्र एक कुर्मी विधायक है। ऐसे में अयोध्या मंडल में बड़ी संख्या में होने के बावजूद कुर्मी समाज अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रहा है, जबकि एक समय यहां बेनी प्रसाद वर्मा जैसे कद्दावर नेता हुआ करते थे।
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क्या है कुर्मी समाज का उद्देश्य?
अयोध्या में आयोजित कुर्मी महाकुंभ में जिस तरह से कुर्मी समाज के लोगों ने एकजुट होकर राजनीतिक तौर पर नजरअंदाज किए जाने का मुद्दा उठाया है, उससे उनके राजनीतिक मकसद को समझा जा सकता है। कुर्मी समाज की नजर दो साल बाद 2027 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव पर है। इसीलिए मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव से पहले कुर्मी महाकुंभ के आयोजन को राजनीतिक दलों पर दबाव बनाने की रणनीति माना जा रहा है। इसकी वजह यह है कि मिल्कीपुर सीट आरक्षित है, लेकिन कुर्मी मतदाता काफी महत्वपूर्ण है। वक्त की राजनीतिक नजाकत को समझते हुए कुर्मी समाज ने अयोध्या में दबाव की राजनीति का खेल खेलना शुरू कर दिया है।
कुर्मी समाज ने कुर्मी महाकुंभ का आयोजन ऐसे समय में किया है जब उत्तर प्रदेश में बीजेपी के संगठनात्मक चुनाव चल रहे हैं। मंडल अध्यक्षों की सूची आ चुकी है और अब जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो रही है। अयोध्या लोकसभा सीट पर बीजेपी से लल्लू सिंह ने चुनाव लड़ा था और जिला अध्यक्ष की कमान भी संजीव सिंह के हाथ में है। लल्लू सिंह और संजीव सिंह दोनों ही ठाकुर समुदाय से आते हैं। इसके अलावा अयोध्या के विधायकों की सूची देखें तो पांच में से चार सीटों पर बीजेपी के विधायकों का कब्जा है और एक सीट खाली है। किसी भी सीट पर कुर्मी विधायक नहीं है।
अयोध्या के जिला अध्यक्ष पद पर कुर्मी समाज की नजर है। बीजेपी के जिला अध्यक्ष की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। कुर्मी समाज अपने किसी नेता को इस पद पर नियुक्त करना चाहता है। इसीलिए दबाव बनाने का कार्यक्रम शुरू हो गया है। ऐसे में सपा के जिला अध्यक्ष पारसनाथ यादव हैं और कांग्रेस पार्टी के जिला अध्यक्ष अखिलेश यादव हैं। ऐसे में अयोध्या की राजनीति में अपना पुराना दबदबा कायम रखने के लिए कुर्मी समाज न सिर्फ टिकट चाहता है बल्कि संगठन में अहम पद भी चाहता है। इसीलिए दबाव की राजनीति की रणनीति अपनाई गई है।
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