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UTTARAKHAND LACK OF RAIN SNOWFALL: उत्तराखंड में विंटर सीजन में बारिश और बर्फबारी की कमी, बढ़ा वनाग्नि का खतरा

UTTARAKHAND LACK OF RAIN SNOWFALL: विंटर सीजन में बारिश और बर्फबारी की कमी से वनों में नमी का स्तर घट गया है, जिससे वनाग्नि का खतरा बढ़ गया है। सामान्यत: बारिश और बर्फबारी के कारण वनों में नमी बनी रहती है, जो आग के फैलने को रोकने में मदद करती है।

UTTARAKHAND LACK OF RAIN SNOWFALL: पौड़ी जिले में सर्द मौसम के बावजूद बारिश और बर्फबारी की कमी ने वन विभाग और पर्यावरणविदों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। इस स्थिति में यदि जल्द ही बारिश और बर्फबारी नहीं हुई, तो आगामी फायर सीजन में यहां के जंगलों में भीषण वनाग्नि का खतरा और भी बढ़ सकता है। पिछले चार महीनों से पौड़ी में बारिश नहीं हुई है, जिससे जमीन की नमी पूरी तरह से सूख चुकी है। इस कारण वनाग्नि के खतरे में वृद्धि हो रही है, क्योंकि जब जमीन में नमी कम हो जाती है, तो आग फैलने के जोखिम में भी बढ़ोतरी होती है।

बारिश और बर्फबारी की कमी से बढ़ा खतरा

उत्तराखंड के ऊंचे हिमालयी क्षेत्रों में कुछ समय पहले बारिश और बर्फबारी हुई थी, लेकिन पौड़ी जिले में इसका कोई असर नहीं पड़ा है। यहां लगातार सूखा पड़ा हुआ है, जिससे जमीन की नमी पूरी तरह से खत्म हो गई है। नमी के अभाव में आग के फैलने की संभावना और भी ज्यादा हो जाती है। अगर यह स्थिति बनी रही, तो आने वाले फायर सीजन में पौड़ी के जंगलों में फिर से बड़े पैमाने पर वनाग्नि की घटनाएं हो सकती हैं, जैसा कि पिछले साल हुआ था।

पौड़ी जिले में पिछले साल अन्य जिलों के मुकाबले सबसे अधिक वनाग्नि की घटनाएं देखने को मिली थीं। लगभग 373 हेक्टेयर जंगल में आग लगने से वन संपदा जलकर राख हो गई थी। कई पेड़ वर्षा के बाद भी फिर से नहीं उगे। यदि इस वर्ष भी बर्फबारी और बारिश की कमी बनी रही, तो आग लगने की घटनाएं और बढ़ सकती हैं।

Lack of rain and snowfall in the winter season in Uttarakhand, increased risk of forest fire.

वन विभाग की तैयारी

इस बढ़ते खतरे को देखते हुए उत्तराखंड वन विभाग ने फायर सीजन से पहले ही तैयारी शुरू कर दी है। गढ़वाल विश्वविद्यालय के वनस्पति शास्त्र के वैज्ञानिक डॉ. विक्रम सिंह के अनुसार, अगर बर्फबारी होती है, तो भूमि में लंबे समय तक नमी बनी रहती है, जिससे वनाग्नि का खतरा कम होता है। इसी कारण, वन विभाग अब जलन नियंत्रण (कंट्रोल बर्निंग) की प्रक्रिया को पहले ही शुरू करने जा रहा है, जो इस बार जनवरी की बजाय दिसंबर में शुरू होगी। इसका उद्देश्य आगामी फायर सीजन में वनाग्नि की घटनाओं को कम करना है।

डीएम पौड़ी ने दिए सुरक्षात्मक उपायों के निर्देश

पौड़ी के जिला अधिकारी आशीष चौहान ने भी वन विभाग को सर्द मौसम में आग की घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षात्मक उपायों को तेजी से लागू करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही, उन्होंने ग्रामीणों से समन्वय बनाए रखने की सलाह दी है ताकि वे भी आग की घटनाओं को नियंत्रित करने में सहयोग कर सकें। यदि यह स्थिति नहीं सुधरी और बारिश-बर्फबारी का इंतजार लंबा चला, तो अगले फायर सीजन में जंगलों में आग लगने का खतरा बहुत अधिक हो सकता है।

प्राकृतिक घटनाओं से मिल सकती है राहत

इस समय पौड़ी जिले के जंगलों में आग की संभावना को कम करने के लिए बारिश और बर्फबारी पर निगाहें टिकी हुई हैं। वन विभाग और पर्यावरणविदों का मानना है कि यदि सर्द मौसम में बर्फबारी होती है, तो इससे भूमि का तापमान नियंत्रित रहेगा और नमी बनी रहेगी, जो वनाग्नि के खतरे को कम करने में मददगार साबित हो सकती है। इसके साथ ही, फायर सीजन से पहले जलन नियंत्रण प्रक्रिया को लागू करने से भी आग लगने की घटनाओं में कमी लाई जा सकती है।

हालांकि, यदि यही स्थिति बनी रही और बारिश-बर्फबारी का आभाव जारी रहा, तो उत्तराखंड के पौड़ी जिले में वनाग्नि की घटनाएं एक बार फिर भयावह रूप ले सकती हैं। इसलिए, सभी संबंधित विभागों और स्थानीय समुदायों को मिलकर इस स्थिति का समाधान निकालने की आवश्यकता है, ताकि आगामी फायर सीजन में जंगलों की रक्षा की जा सके।

Written By। Mansi Negi । National Desk। Delhi

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