Latest Political News: राहुल गांधी का संभल दौरा! राजनीति की पगडंडी पर जनता का दुःख, गर्मी की तपिश, सड़क पर ठहराव, और आक्रोशित आमजन
जाम में फंसे दो ऑस्ट्रेलियाई और एक इसराइली नागरिक ने कहा, “हमने दुनिया के कई देशों में सफर किया है, लेकिन ऐसी अव्यवस्था कभी नहीं देखी। यह हमारे लिए एक असामान्य और अकल्पनीय अनुभव है।”
Latest Political News: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी अपनी बहन प्रियंका गांधी और उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केसी वेणुगोपाल के साथ संभल जाने को निकले, लेकिन दिल्ली-यूपी बॉर्डर गाजीपुर पर उनका काफिला रोक दिया गया। इस राजनीतिक घटनाक्रम ने आम जनता को ऐसी असहनीय स्थिति में डाल दिया, जहां धैर्य की परीक्षा और गर्मी की मार ने उनका हाल बेहाल कर दिया।
चिलचिलाती धूप में ‘सड़क सत्याग्रह’
गर्मी अपने चरम पर थी। बच्चे पानी के लिए बिलबिलाते नजर आए, तो बुजुर्ग गर्मी और थकान से व्याकुल हो गए। वाहन चालकों की बेचैनी और यात्रियों का असंतोष हर तरफ महसूस किया गया। एंबुलेंस की सायरन की आवाज भी इस जाम के शोर में कहीं खो गई।
‘विदेशी हैरानी के साक्षी बने’
जाम में फंसे दो ऑस्ट्रेलियाई और एक इसराइली नागरिक ने कहा, “हमने दुनिया के कई देशों में सफर किया है, लेकिन ऐसी अव्यवस्था कभी नहीं देखी। यह हमारे लिए एक असामान्य और अकल्पनीय अनुभव है।”
आम आदमी बनाम राजनीति का खेल
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी जहां अपने वाहन में शांत थे, वहीं सड़कों पर जनता का धैर्य टूटता दिखा। भीषण गर्मी और लंबी प्रतीक्षा के बाद जनता का गुस्सा कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर फूट पड़ा। आम जनता और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच तीखी बहस और झड़पें हुईं। माहौल और गरमाया, जब गुस्से से भरी भीड़ ने “राहुल गांधी मुर्दाबाद” के नारे लगाने शुरू कर दिए।
संपर्क टूटने की त्रासदी
जाम में फंसी एंबुलेंस, महिलाएं, बच्चे और अन्य यात्रियों ने इस घटना को अपनी व्यक्तिगत त्रासदी के रूप में देखा। कई लोग अपने गंतव्य तक पहुंचने में विफल रहे, और कुछ तो जरूरी काम छोड़कर वापस लौट गए।
पुलिस वार्ता और काफिले की वापस
कई घंटे चले इस गतिरोध के बाद पुलिस और कांग्रेस नेताओं के बीच वार्ता हुई। अंततः राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को वापस दिल्ली लौटना पड़ा। संभल दौरा रद्द हो गया, लेकिन यह घटना जनता की समस्याओं के लिए एक राजनीतिक प्रश्नचिह्न बन गई।
तप्त धरती पर राजनीति का बोझ
यह घटना सिर्फ एक राजनीतिक दौरा नहीं, बल्कि आम आदमी की धैर्य की परीक्षा और व्यवस्था की सीमाओं का प्रतीक बन गई। सड़कों पर ठहरे वाहन, उमस और गुस्से की तपिश ने दिखा दिया कि राजनीति के नाम पर किए गए ऐसे आयोजन आम नागरिकों के लिए यातना बन जाते हैं।