Maharashtra Politics Latest News: वैसे तो राजनीति में कुछ भी संभव है। सुबह में कोई कुछ बोलता है और दोपहर में वह कही और दिखता है और फिर शाम को कही और। लेकिन यह सब किसी एक नेता पर ही लागू नहीं होता। अधिकतर नेता यही सब करते हैं। और आश्चर्य तो यह है कि यह सब जनता के नाम पर ही होता। हर पार्टी वाले कहते हैं कि देश की जनता देख रही है। कोई यह भी कहता है कि देश की 140 करोड़ जनता देख रही है। लेकिन कोई यह नहीं कहता कि देश की जनता उसे ही देख रही है। जब किसी भी पार्टी को मात्र कुछ लाख-करोड़ लोग ही वोट देते हैं तो फिर वह पार्टी और नेता 140 करोड़ जनता का हवाला क्यों देते हैं? इसके पीछे की कहानी भी मजेदार है। लेकिन अभी इस पर चर्चा करने की जरूरत नहीं है।
शरद पवार को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति (Maharashtra Politics) में अशांति है। कहने को कोई कुछ भी कहे लेकिन सच वह नहीं है कि जो सब कह रहे हैं। शरद पवार बार-बार यह कह रहे हैं कि वे विपक्ष के साथ हैं और बीजेपी के खिलाफ खड़े हैं। लेकिन यह भी सच नहीं है। उनके मन में कोई बात तो है जो वह कह नहीं पा रहे हैं। बार-बार अपने भतीजे से मिलना कोई मामूली बात नहीं। अजित पवार ने शरद पवार को धोखा दिया है। पूरी पार्टी को ही अपने साथ ले गए हैं। अजित पवार के साथ जो नेता आज खड़े हैं वे कोई मामूली नेता नहीं है। वे सब एनसीपी के शीर्ष नेताओं में शुमार हैं। लेकिन शरद पवार इन सभी बातों को भूलकर परिवार की बात कर रहे हैं। लेकिन परिवार के लोग ही अगर धोखा करें तो फिर उसे परिवार कैसे कहा जा सकता है। यह तो दोनों तरफ से सोचने की जरूरत है।
सच तो यही है कि शरद पवार इस उम्र में आकर शक के दायरे में आ गए हैं। आपसी गठबंधन के नेताओं के शक भी उन पर बढ़ गए हैं इसके साथ ही देश के राजनीतिक जानकार भी उन्हें शक की निगाह से देख रहे हैं। आप कह सकते हैं कि कुछ परिस्थिति ही ऐसी हो गई है जिससे शरद पवार के खिलाफ शक बढ़ता गया है। अब यह शक कब ख़त्म होगा और कैसे होगा यह जरुरी बात है।
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मुंबई में इसी माह के अंतिम दिनों में विपक्ष की बैठक होनी है। उस बैठक की मेजबानी भी शरद पवार और उद्धव ठाकरे कर रहे हैं। विपक्ष की पूरी राजनीति (Maharashtra Politics) दाव पर फंसी हुई है। कई दल न चाहते हुए भी एकता की बात कर रहे हैं। कई दल ऐसे हैं जिनके टकराओ कई राज्यों में कांग्रेस और अन्य दलों के साथ है लेकिन बीजेपी के खिलाफ जाने के लिए सब कुर्बानी देने को भी तैयार हैं। इधर शरद पवार की कहानी कुछ अलग ही है। हालांकि उन्होंने साफ़ कर दिया है कि वे विपक्ष के साथ हैं और बीजेपी के साथ कभी जा नहीं सकते क्योंकि उनके साथ उनकी केमिस्ट्री नहीं बैठ सकती। शरद पवार कल ही कह गए कि बीजेपी समाज को बांटने की राजनीति करती है ऐसे में उसके साथ वे नहीं जा सकते।
लेकिन क्या इतना भर कह देने से सब शांत हो जायेगा? अब कांग्रेस और उद्धव ठाकरे आगे की राजनीति (Maharashtra Politics) को समेटने में लगी है। प्लान बी की तैयारी भी चल रही है। यह प्लान यह है कि शरद पवार को गठबंधन से अलग किया जाए और फिर कांग्रेस और उद्धव शिवसेना मिलकर आगे की लड़ाई लड़े। लेकिन सच तो यह है कि यह लड़ाई भी कोई आसान नहीं है। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि जब मुंबई में एक बार सब जुटेंगे तो शायद कांग्रेस खुलकर शरद पवार से बात करेगी। और फिर बात साफ़ हो जाती है तो आगे की विपक्षी राजनीति बढ़ेगी। शरद पवार भी इस बात को समझ रहे हैं।