मुंबई: सोमवार को हुए महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार के बहुमत परीक्षण को लेकर उद्धव गुट के 16 शिवसेना विधायकों की मुश्किलें बढी गई हैं। रविवार को चुने गये विधान सभा अध्यक्ष स्पीकर राहुल नारवेकर ने शिंदे सरकार से सदन में अपना बहुमत सिद्ध करने की निर्देश दिया था। इसके साथ ही नारवेकर ने भरत गोगावले को शिवसेना का नया चीफ व्हिप नियुक्त किया। शिवसेना के विधायको ने शिंदे को अपना विधायक दल का नेता चुना था।
इसके बाद चीफ व्हिप भरत गोगावले ने उद्धव गुट के 16 शिवसेना विधायकों को व्हिप जारी करके मुख्यमंत्री शिंदे के पक्ष मतदान करन के लिए कहा था। इससे तकनीकी रुप से उद्धव गुट के 16 शिवसेना विधायकों की मुसीबत बढी हुई है। यदि वे शिंदे सरकार के पक्ष में करते हैं, तो इससे उद्धव ठाकरे का विरोध माना जाएगा और यदि वे सरकार के खिलाफ वोट देते हैं, तो उन पर अयोग्यता का सामना कर पड़ सकता है। कुछ दिन पूर्व उद्धव ठाकरे के इशारे पर डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरनाल ने द्वारा शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने संबंधी नोटिस दिया था और मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचने पर उन्हें राहत मिले थे।
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लेकिनअब स्थिति एकदम विपरीत है। उद्धव गुट के 16 शिवसेना विधायकों के सामने दोहरी चुनौती है। उद्धव गुट के चीफ व्हिप ने भी इन विधायकों को व्हिप जारी किया है, हालांकि तकनीकी दृष्टि से इसे गैर कानूनी माना जा रहा है। अब देखना यह है कि आगामी परिदृश्य में उद्धव गुट कहां ठहरता नजर आ रहा है।