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Sonia Gandhi on Gaza: गाजा पर मोदी सरकार मूकदर्शक है… सोनिया गांधी ने कहा- पीएम को उठानी होगी भारत की आवाज

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, "इज़राइल द्वारा गाजा के लोगों पर किए जा रहे लगातार अत्याचारों पर प्रधानमंत्री मोदी की शर्मनाक चुप्पी बेहद निराशाजनक है। यह नैतिक कायरता की पराकाष्ठा है। अब समय आ गया है कि वे उस विरासत के लिए स्पष्ट और साहसिक शब्दों में अपनी आवाज उठाएं जिसका प्रतिनिधित्व भारत ने हमेशा किया है। वैश्विक दक्षिण एक बार फिर इस मुद्दे पर भारत के नेतृत्व की प्रतीक्षा कर रहा है।"

Sonia Gandhi on Gaza: Modi government is a mute spectator on Gaza… Sonia Gandhi said- PM will have to raise India's voice

Sonia Gandhi on Gaza: पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गाजा संकट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि सरकार मूकदर्शक बनी हुई है और यह नैतिक कायरता की पराकाष्ठा है। इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इज़राइल को हमला करने से नहीं रोक सका। उन्होंने आगे कहा कि इस मानवीय संकट के बारे में जहां वैश्विक जागरूकता बढ़ रही है, वहीं यह हमारे लिए राष्ट्रीय शर्म की बात है कि भारत मूकदर्शक बना हुआ है।

एक अखबार को लिखे लेख में सोनिया गांधी ने कहा, “कोई भी 7 अक्टूबर, 2023 को हमास द्वारा इजरायल पर किए गए हमले और उसके बाद निर्दोष पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के साथ किए गए क्रूर व्यवहार या इजरायली लोगों को लगातार बंधक बनाए जाने को सही नहीं ठहरा सकता। इसकी निरंतर और बिना शर्त निंदा की जानी चाहिए। साथ ही, एक इंसान होने के नाते यह स्वीकार करना भी हमारी जिम्मेदारी है कि गाजा के लोगों के प्रति इजरायली सरकार की प्रतिक्रिया न केवल बेहद हिंसक है, बल्कि पूरी तरह से आपराधिक भी है।” उन्होंने आगे लिखा कि पिछले दो सालों में 55 हजार से ज़्यादा फिलिस्तीनी नागरिक मारे गए हैं, जिनमें अकेले 17 हजार बच्चे शामिल हैं।

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इजरायल रिहायशी इमारतों को बना रहा निशाना

गाज़ा में इजरायली हमलों से हुई तबाही का जिक्र करते हुए सोनिया ने कहा, “गाजा में ज्यादातर रिहायशी इमारतों को जानबूझकर निशाना बनाया गया। और लगातार हवाई बमबारी से उन्हें पूरी तरह से जमींदोज कर दिया गया। अस्पताल भी निशाने पर हैं। गाजा का सामाजिक ढांचा पूरी तरह से चरमरा गया है।” वह आगे लिखती हैं कि अक्टूबर 2023 से अब तक हुई विनाशकारी घटनाएं बेहद परेशान करने वाली रही हैं। हाल के महीनों में वहां की स्थिति और भी ज्यादा हृदयविदारक हो गई है। अब एक क्रूर रणनीति के तहत मानवीय सहायता को भी हथियार बना दिया गया है।

सोनिया गांधी ने लिखा, “इजराइली रक्षा बलों ने गाजा पर सैन्य नाकाबंदी लगा दी है, जिससे वहां दवाओं, भोजन और ईंधन की आपूर्ति बाधित हो गई है। बुनियादी ढांचे के अंधाधुंध विनाश और आम लोगों के नरसंहार ने एक मानव-निर्मित त्रासदी को जन्म दिया है। इस नाकाबंदी ने इसे और भी खतरनाक बना दिया है। लोगों को भूख से मरने के लिए मजबूर करने की रणनीति मानवता के विरुद्ध एक पूर्ण अपराध है। इस तबाही के बीच, इजराइल ने संयुक्त राष्ट्र और कई अन्य वैश्विक संगठनों से आने वाली मानवीय सहायता को या तो पूरी तरह से अस्वीकार कर दिया है या रोक दिया है।

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भारत अभी भी मूकदर्शक बना हुआ है : सोनिया गांधी

सुरक्षा परिषद गाजा क्षेत्र में नागरिकों पर हमलों और उसके बुनियादी ढांचे को बड़े पैमाने पर नष्ट करने के लिए इजरायल सरकार पर प्रतिबंध लगाने में भी विफल रही है।” “अमेरिका के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष समर्थन ने न केवल इजरायल को इन कार्रवाइयों के लिए प्रोत्साहित किया, बल्कि उन्हें संभव भी बनाया।” वह आगे लिखती हैं कि जब अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं लगभग निष्क्रिय हो गई हैं, तो गाजा के लोगों के हितों की रक्षा की लड़ाई अब दूसरे देशों पर आ गई है। दक्षिण अफ्रीका अब इजरायल को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले गया है और अब ब्राजील भी आगे आया है।

उन्होंने आगे कहा, “फ्रांस ने फिलिस्तीनी को एक देश के रूप में मान्यता देने का फैसला किया है, जबकि ब्रिटेन और कनाडा जैसे देशों ने गाजा क्षेत्र में आक्रामकता को बढ़ावा देने वाले इज़राइली नेताओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। इज़राइल में ही विरोध के स्वर तेज़ हो रहे हैं। उस देश के एक पूर्व प्रधानमंत्री ने गाजा में इज़राइली युद्ध अपराधों की वास्तविकता को स्वीकार किया है। जहां एक ओर इस मानवीय संकट के प्रति दुनिया भर में वैश्विक चेतना उभर रही है, वहीं दूसरी ओर यह हमारे लिए राष्ट्रीय शर्म की बात है कि भारत मानवता के इस अपमान का मूकदर्शक बना हुआ है।”

“भारत का अपने मूल्यों से भटकना राष्ट्रीय चेतना पर एक कलंक है। यह हमारे ऐतिहासिक योगदान का अनादर और हमारे संवैधानिक मूल्यों के साथ कायरतापूर्ण विश्वासघात भी है।”

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मोदी की चुप्पी बेहद निराशाजनक : सोनिया गांधी

कांग्रेस शासन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “भारत हमेशा से द्वि-राष्ट्र समाधान और इज़राइल व फिलिस्तीनी के बीच न्यायपूर्ण शांति का समर्थक रहा है। 1974 में, इंदिरा गांधी के नेतृत्व में, भारत फ़िलिस्तीनी मुक्ति संगठन (पीएलओ) को फिलिस्तीनी लोगों के एकमात्र और वैध प्रतिनिधि के रूप में मान्यता देने वाला पहला गैर-अरब देश बना। 1988 में, भारत फिलिस्तीनी को आधिकारिक रूप से मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था।”

सोनिया गांधी ने पीएम मोदी की चुप्पी पर निशाना साधते हुए कहा, “इजराइल द्वारा गाजा के लोगों पर लगातार किए जा रहे अत्याचारों पर प्रधानमंत्री मोदी की शर्मनाक चुप्पी बेहद निराशाजनक है। यह नैतिक कायरता की पराकाष्ठा है। अब समय आ गया है कि वह उस विरासत के लिए स्पष्ट और साहसिक शब्दों में आवाज उठाएं जिसका प्रतिनिधित्व भारत ने हमेशा किया है। वैश्विक दक्षिण एक बार फिर इस मुद्दे पर भारत के नेतृत्व का इंतजार कर रहा है।”

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Written By| Chanchal Gole| National Desk

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