Mohan Bhagwat News: मोहन भागवत के बयान पर भड़के साधु-संत, कहा- उनकी बात सनातन के खिलाफ
RSS प्रमुख मोहन भागवत (mohan bhagwat) ने बीते दिनों एक बयान दिया था. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों का मानना है कि राम मंदिर निर्माण के बाद नई परिस्थितियों में इन चिंताओं को सामने लाकर वे हिंदुओं के बीच नेतृत्व की स्थिति में पहुंच सकते हैं। इसको लेकर तुलसी पीठ के पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य ने प्रतिक्रिया दी थी.
Mohan Bhagwat News: RSS प्रमुख मोहन भागवत ने बीते दिनों बयान दिया था कि राम मंदिर (Ram Mandir) के निर्माण के बाद कुछ लोगों को लगता है कि वो नई जगहों पर ऐसे मुद्दों को उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं. रामभद्राचार्य (Ramabhadracharya) ने इसका विरोध किया था. महाकुंभ (Mahakumbh) में शामिल होने के लिए पहुंचे साधु-संतों ने रामभद्राचार्य का समर्थन किया है.
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RSS प्रमुख मोहन भागवत (mohan bhagwat) ने बीते दिनों एक बयान दिया था. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों का मानना है कि राम मंदिर निर्माण के बाद नई परिस्थितियों में इन चिंताओं को सामने लाकर वे हिंदुओं के बीच नेतृत्व की स्थिति में पहुंच सकते हैं। इसको लेकर तुलसी पीठ के पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य ने प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा था कि मोहन भागवत (mohan bhagwat) एक संगठन के संचालक हैं, वो हिंदू धर्म के संचालक नहीं हैं. रामभद्राचार्य की इस बात का ‘Prayagraj Maha Kumbh’ में पहुंचे साधु-संतों ने समर्थन किया है.
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साधु-संतों का कहना है कि मोहन भागवत का बयान सनातन धर्म के खिलाफ है. उन्हें अपनी कही बात वापस लेनी चाहिए। रामभद्राचार्य के अनुशासन संबंधी रुख का साधु-संतों ने भी समर्थन किया। संतों ने मोहन भागवत पर पलटवार करते हुए कहा कि यह जमीन हमारी है और जहां भी खुदाई होगी वहां सिर्फ भोलेनाथ का मंदिर और शिवलिंग ही मिलेगा।
मोहन भागवत ने क्या कहा था?
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के अनुसार, कुछ लोगों का मानना है कि अलग-अलग स्थानों पर समान चिंताओं को उठाकर वे राम मंदिर के निर्माण के बाद हिंदू नेता की स्थिति में पहुंच सकते हैं। ये स्वीकार्य नहीं है. हर दिन नया मामला उठाया जा रहा है. इसकी इजाजत कैसे दी जा सकती है? भारत को सह-अस्तित्व की अपनी क्षमता का प्रदर्शन करना चाहिए। चूंकि यह सभी हिंदुओं की आस्था का मामला था, इसलिए राम मंदिर का निर्माण किया गया। अधर्म अनुचित और अपर्याप्त धार्मिक ज्ञान का परिणाम है।
रामभद्राचार्य ने क्या कहा था?
इस पर रामभद्राचार्य ने कहा, मोहन भागवत एक संगठन के संचालक हैं. वो हिंदू धर्म के संचालक नहीं हैं. भागवत का बयान अदूरदर्शी है. उनका बयान तुष्टिकरण से प्रभावित है. वो अपनी राजनीति करते हैं. भागवत हिंदू धर्म के बारे में बहुत नहीं जानते हैं. हर व्यक्ति को अपने धर्म के पालन का अधिकार है. उनका बयान दुर्भाग्यपूर्ण है.
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रामभद्राचार्य यहीं नहीं रुके. उन्होंने आगे कहा,संघ केवल राजनीति की रोटी सेंकता है. हिंदू धर्म संघ के अस्तित्व में आने से पहले से ही अस्तित्व में है। मंदिर और मस्जिद के बारे में रामभद्राचार्य ने कहा कि हम किसी का मजाक नहीं उड़ाएंगे और जो ऐसा करेगा उसे छोड़ेंगे नहीं। हमें उनका अधिकार नहीं चाहिए, हमें सिर्फ अपना अधिकार चाहिए।
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