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वो साल जब हिंदुओं पर बरसाई गईं थी गोलियां, देखिए शिखर से भव्य मंदिर बनने तक की पूरी कहानी!

Ayodhya Latest News: सन् 1528 की बात है, जब हिंदुओं के सामने ही मुगल बादशाह अपना रौद्र दिखा था और मंदिर को तोड़कर मस्जिद (Masjid)का निर्माण कराया जारहा था। मंदिर के लिए हिंदू लड़े, भिड़े लेकिन बादशाह (Badhshah) की बादशाहत के सामने किसी के एक ना चली। जिसके बाद हिंदू पक्ष के लोगों ने, मस्जिद में बने तीन गुंबदों में एक गुंबद के नीचे भगवान राम का जन्मस्थान बताया।

इस जगह को लेकर भी हिंदुओं को संघर्षों का सामना करना पड़ा, अंग्रेजों और मुगलों का अत्याचार सहना पड़ा… लेकिन रामभक्तों ने हार नहीं मानी और सन् 1859  में अंग्रेजों ने हिंदुओं को चबूतरे के पास पूजा करने की इजाजत दे दी। साल दर साल बीतते गए, मुगलों और अंग्रेजो को हिंदुस्तान को भगा दिया गया और हिंदुस्तान पूरी तरीके से आजाद हो गया।

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आजाद हिंदुस्तान की बात निराली थी। रामभक्तों को उम्मीद थी कि अब सदियों का संकल्प सिद्धि में बदलेगा। लेकिन साहब ऐसा नहीं हुआ। अयोध्या श्रीराम जन्म भूमि का असली विवाद 23 सितंबर 1949 को तब हुआ, जब मस्जिद में भगवान राम की मूर्तियां मिलीं। इसे लेकर हिन्दू समुदाय के लोग कहने लगे कि, यहां साक्षात भगवान राम प्रकट हुए हैं। वहीं मुस्लिम समुदाय के लोगों ने आरोप लगाया कि, किसी ने चुपके से यहां मूर्तियां रखीं।विवाद बढ़ता गया और एक दिन  30 अक्टबूर, 1990 को। हजारों की संख्या में कारसेवक मस्जिद की ओर बढ़े।  चारों ओर जय श्री राम की गूंज थी और दिलों में मंदिर की चाहत थी। लेकिन चाहत को मुलायम सरकार ने मौत में बदल दिया। रामभक्तों पर अंधाधुंध फायरिंग हुई, जिसमें 5 कारसेवक राम को प्यारे हो गए।

वक्त बदला, समय बदला और फिर 1984 में हुई विश्व हिंदू परिषद ने धर्म संसद में राम मंदिर को लेकर निर्णायक आंदोलन छेड़ने का फैसला किया था। इस आंदोलन के इतिहास में 2 सबसे बड़ी तारीखें आई 1990 और 1992। जिसमें ना जाने कितने हिंदुओं ने अपना खून बहाया। 6 दिसंबर 1992 को वीएचपी और शिवसेना समेत कई हिंदू संगठन के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया। इससे देशभर में सांप्रदायिक दंगे हुए और हजारों की तादाद में लोग मारे गए।

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BJP और VHP य़े वो दो संगठन थे, जिन्होंने राम लला के लिए गोलियां खाईं, लाठियां सहीं और सीना तान खड़े रहे।राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे का नारा लिए बीजेपी ने केंद्र और यूपी में सरकार बनाई। जिसका नतीजा ये हुआ कि सुप्रीम कोर्ट से राम मंदिर को बनाने के लिए हरी झंडी मिल गई।

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रामलला का मंदिर तोड़ने वाले मिट गए, लेकिन राम नाम का पत्थर रखने वाले त्रेतायुग में भी थे और आज भी हैं । तब राम नाम के पत्थर से समुद्र में रामसेतु बना था। आज राम के नाम पर लाए पत्थर से रामलला का भव्य मंदिर बन रहा है। सोचकर देखिए, 500 वर्ष पहले बाबर के तोपों ने अयोध्या में जिस स्थान पर रामलला का मंदिर तोड़ा था। वहीं पर भव्य राममंदिर का निर्माण हो रहा है। रामभक्त मानते हैं कि रग-रग में राम हैं । कण-कण में राम हैं । और जब आप यहां आएंगे तो ना सिर्फ ये महसूस होगा बल्कि मंदिर में लगे पत्थरों पर भी आपको भगवान मिलेंगे।

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