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रामनगरी को अयोध्या क्यों कहते हैं, जानिए इसके पीछे का विशेष महत्व!

Ayodhya: जहां  पर मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम का जन्म हुआ था, जहां से भगवान ने सृष्टि को मर्यादा का पाठ पढ़ाया था। अयोध्या (Ayodhya) जी,  यूं ही खास नहीं है। इस नगरी से विशेष धार्मिक महत्व भी जुड़े हैं। इसलिए तो अथर्ववेद में इसे देवताओं का स्वर्ग बताया गया है। मां सरयू का जल जब कल-कल बहता है। तो नजारा अद्भुत, अकल्पनीय और अविश्मरणीय होता है। सरयू नदी किनारे बसी पवित्र नगरी अयोध्या को स्कंद पुराण में ब्रह्मा, विष्णु और महेश त्रिदेवों की पवित्र स्थली कहा गया है। अथर्ववेद में अयोध्या को ईश्वर का नगर बताते हुए इसकी तुलना स्वर्ग से की गई है। वहीं स्कंद पुराण के अनुसार, अयोध्या का ‘अ’ शब्द ब्रह्मा ‘य’ कार विष्णु और ‘ध’ कार रुद्र का स्वरूप है।वहीं महाकवि महर्षि वाल्मीकि ने भी महाकाव्य रामायण में अवध को पवित्र नगर बताया है। इसी नगरी में मर्यादा के स्वामी श्री राम का जन्म हुआ था।

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रघुकुल नंदन के जल समाधि लेने के बाद अयोध्या(Ayodhya)  कुछ समय के लिए उजाड़ गई थी। कहा जाता है कि प्रभु श्री राम के कुश ने फिर से अयोध्या का पुनर्निर्माण कराया और इसके बाद सूर्यवंश की अगली 44 पीढ़ियों तक इसका अस्तित्व चरम पर रहा। इसके बाद महाभारत काल में हुए युद्ध के बाद भी अयोध्या फिर से उजाड़ हो गई… जिसका वर्णन पुराणों में किया गया है।

राम नगरी (Ayodhya) का इतिसाह त्रेतायुग से भी पुराना है।श्रीराम जन्म भूमि अयोध्या और यहां बने श्रीराम मंदिर को एक नहीं बल्कि कई बार आक्रमणों का सामना करना पड़ाय़. कई बार सनातन के दुश्मनों ने राम की नगरी पर आक्रामण किया था। मुगलों ने प्रभु श्री राम के मंदिर को भी नहीं बख्शा था। और मंदिर को तोड़कर बाबरी ढांचा खड़ा किया था, लेकिन जिस नगरी में प्रभु राम पैदा हुए हों  आखिर उस नगरी को कोई कैसे विध्वंस कर सकता है।

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सन् 1528 की बात है,जब हिंदुओं के सामने ही मुगल बादशाह अपना रौद्र दिखा था और मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया जा रहा था….मंदिर के लिए हिंदू लड़े, भिड़े लेकिन बादशाह की बादशाहत के सामने किसी के एक ना चली। जिसके बाद हिंदू पक्ष के लोगों ने, मस्जिद में बने तीन गुंबदों में एक गुंबद के नीचे भगवान राम का जन्मस्थान बताया।

इस जगह को लेकर भी हिंदुओं को संघर्षों का सामना करना पड़ा। अंग्रेजों और मुगलों का अत्याचार सहना पड़ा। लेकिन रामभक्तों ने हार नहीं मानी और सन् 1859  में अंग्रेजों ने हिंदुओं को चबूतरे के पास पूजा करने की इजाजत दे दी,.साल दर साल बीतते गए। मुगलों और अंग्रेजो को हिंदुस्तान को भगा दिया गया और हिंदुस्तान पूरी तरीके से आजाद हो गया।

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