Dhari Devi Temple Uttarakhand: रहस्यमयी धारी देवी मंदिर, जहां देवी दिन में तीन रूप बदलती हैं, जानिए इसकी महिमा
Mysterious Dhari Devi Temple, where the Goddess changes her form thrice a day, know its glory
Dhari Devi Temple Uttarakhand: उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल क्षेत्र में स्थित ‘धारी देवी’ मंदिर एक प्राचीन सिद्धपीठ है, जिसे ‘दक्षिणी काली माता’ के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर अलकनंदा नदी के बीचों-बीच स्थित है और श्रद्धालुओं के बीच अपनी अनूठी मान्यताओं और रहस्यमयी स्वरूप के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि धारी देवी पूरे उत्तराखंड में स्थित चार धामों की रक्षा करती हैं, और उनका रूप दिन के तीन पहरों में बदलता है।
मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित लक्ष्मी प्रसाद पांडे के अनुसार, मां धारी देवी सुबह कन्या, दोपहर में युवती और संध्या के समय वृद्धा के रूप में दर्शन देती हैं। इस कारण मंदिर में भक्तों की भीड़ दिन भर लगी रहती है, जो माता के अलग-अलग स्वरूपों का दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित करने पहुंचते हैं।
धारी देवी मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
मंदिर का नाम पास के द्वापरकालीन धार गांव के नाम पर पड़ा, जबकि शास्त्रों में इसे ‘दक्षिण काली मां कल्याणी’ के रूप में भी जाना जाता है। पंडित लक्ष्मी प्रसाद बताते हैं कि गुप्तकाशी के पास कालीमठ के कालीशिला में मां काली का अवतरण हुआ था, जहां असुरों का वध करते समय भगवान शिव ने उनके रौद्र रूप को श्रीनगर क्षेत्र में आकर शांत किया। इसलिए शास्त्रों में मां को ‘महाकाली कल्याणी’ कहा गया है।
करीब ढाई हजार साल पहले जब आदि गुरु शंकराचार्य हिमालय की ओर यात्रा कर रहे थे, तब उन्होंने भी इस स्थान पर मां शक्ति की आराधना की थी। ऐसा माना जाता है कि मां धारी देवी ने आदि गुरु को वृद्धा स्वरूप में दर्शन देकर उनकी कष्टों को दूर किया था, जिसके बाद शंकराचार्य ने कई स्त्रोतों की रचना की, जो आज भी धारी देवी मंदिर की आरती के दौरान गाए जाते हैं।
2013 की आपदा और धारी देवी मंदिर की महिमा
2013 की केदारनाथ आपदा के बाद धारी देवी मंदिर चर्चा में आ गया था। पुजारी पांडे के अनुसार, पहले मंदिर शेर जैसी आकृति वाली चट्टान पर स्थित था, जिस पर कनेर का पेड़ सालभर पुष्प वर्षा करता था। लेकिन 2013 में 200 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना के कारण मंदिर को स्थानांतरित किया गया।
मंदिर के शिफ्ट होते ही 16 जून 2013 को केदारनाथ में विनाशकारी आपदा आई, जिससे यह मान्यता और प्रबल हो गई कि मां धारी देवी चारों धामों की रक्षा करती हैं। आज भी चारधाम यात्रा से पहले श्रद्धालु सबसे पहले धारी देवी के दर्शन कर यात्रा शुरू करते हैं, ताकि मां के आशीर्वाद से उनकी यात्रा सफल हो सके।
मां धारी देवी के चमत्कारी स्वरूप
पंडित पांडे के अनुसार, मां धारी देवी का स्वरूप दिन के तीन पहरों में बदलता है। सुबह के समय वे कन्या के रूप में, दोपहर में युवती के रूप में और संध्या के समय वृद्धा के रूप में दर्शन देती हैं। इसी कारण भक्त दिन के अलग-अलग समय पर मंदिर में दर्शन करने आते हैं। यह मंदिर न केवल आध्यात्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इसके चमत्कारिक स्वरूप की चर्चा दूर-दूर तक होती है।
धारी देवी मंदिर की यह विशेषता और उसके ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए यह स्थल हर साल हजारों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है।