नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने करीब 34 साल पुराने रोडरेज के मामले में पंजाब के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को एक साल की सश्रम कारावास की सजा सुनायी है। हालांकि पहले सुप्रीम कोर्ट ने इसी केस में सिद्धू पर एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। इससे पहले पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने वर्ष 2006 में सिद्धू को गैर इरादतन हत्या का दोषी करार देकर तीन साल की सजा सुनाई थी। उस समय वह अमृतसर से भाजपा के सांसद थे, लेकिन सजा होने के बाद उन्हें सांसद पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
दिसम्बर, 1988 में पटियाला में नवजोत सिंह सिद्धू की कार से गुरनाम सिंह (68) से टकरा गये थे और दोनों में विवाद होने पर सिद्धू ने गुरनाम सिंह को मुक्का मार दिया था, जिसके परिणामस्वरुप बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गयी थी। इस मामले में पटियाला पुलिस ने नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया था। वर्ष 1999 में पटियाला की निचली अदालत ने नवजोत सिंह सिद्धू को इस मामले में बरी कर दिया था। निचली अदालत के आरोपियों को बरी किये जाने के फैसले को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट चुनौती दी गयी था। पंजाब हाईकोर्ट ने वर्ष 2006 में सिद्धू को गैर इरादतन हत्या का दोषी करार देकर तीन साल की सजा सुनाई थी। इस सजा के बाद सिद्धू को को अमृतसर के भाजपा सांसद को पद छोड़ना पडा था।
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नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा सुनायी गयी सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई 2018 को सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के आरोप को नकारते हुए उन्हें गुरनाम सिंह को चोट पहुंचाने को ही दोषी मानते हुए सजा के रुप में मात्र एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ पीडित पक्ष के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में सजा पर पुर्नविचार करने की याचिका दाखिल की।
नवजोत सिंह सिद्धू ने अपनी स्वच्छ छवि और प्रतिष्ठा का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से सजा पर पुर्नविचार करने की याचिका को खारिज मांग की थी, लेकिन शीर्ष अदालत ने सिद्धू के अनुरोध को ठुकराकर पेश पत्रावली के आधार पर उन्हें एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनायी। सुप्रीम कोर्ट से दोबारा सजा होने के बाद पंजाब पुलिस द्वारा नवजोत सिंह सिद्धू को हिरासत में लेने और जेल जाना तय माना जा रहा है।