Paris Olympics 2024: पेरिस ओलंपिक 2024 में गोल्ड मेडल के लिए अगर भारत को किसी से सबसे ज्यादा उम्मीदें थीं तो वो थे नीरज चोपड़ा। हालांकि, स्टार जेवलिन थ्रोअर नीरज गोल्ड से चूक गए। उन्होंने 89.45 मीटर थ्रो कर सिल्वर जीता। यह उनका सीजन का बेस्ट थ्रो रहा। वहीं, पाकिस्तान के अरशद नदीम ने 92.97 मीटर थ्रो कर गोल्ड जीता। यह नया ओलंपिक रिकॉर्ड है। नीरज ने इससे पहले दस मुकाबलों में हमेशा नदीम को हराया था। गोल्ड हाथ से फिसलने के बाद नीरज का दर्द छलका है। नीरज ने कहा कि आज का दिन उनका नहीं था। उन्होंने एक बड़ी भविष्यवाणी भी की। उन्होंने कहा कि भले ही मैं पेरिस में राष्ट्रगान नहीं बजवा पाया, लेकिन कहीं और ऐसा जरूर होगा। बता दें कि जिस देश का खिलाड़ी गोल्ड जीतता है, वहीं उसका राष्ट्रगान बजाया जाता है।
जो भी कमियां हैं, उन्हें दूर करेंगे
सिल्वर मेडल जीतने के बाद 26 वर्षीय नीरज ने कहा, “जब भी हम देश के लिए मेडल जीतते हैं तो खुशी होती है। अब खेल में सुधार का समय है। हम बैठेंगे, चर्चा करेंगे और सुधार करेंगे। हम कमियों को दूर करेंगे। अगर ओवरऑल प्रदर्शन देखें तो भारत का प्रदर्शन अच्छा रहा है। टोक्यो से गोल्ड, ब्रॉन्ज या सिल्वर की तुलना न करें। जरूरी नहीं है कि हर बार हमारे मेडल बढ़ें। लेकिन यह आने वाले समय के लिए संकेत है कि हमारे मेडल और बढ़ेंगे।” टोक्यो के मुकाबले पेरिस फाइनल में कड़ी प्रतिस्पर्धा के बारे में जब नीरज से पूछा गया तो उन्होंने कहा, “प्रतियोगिता बहुत अच्छी थी। हर एथलीट का अपना दिन होता है। आज अरशद का दिन था। लेकिन अगर टोक्यो, बुडापेस्ट या एशियाई खेलों की बात करें तो यह हमारा दिन था।”
‘मैं मानता हूं कि…
उन्होंने आगे कहा, “मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया लेकिन कुछ चीजें हैं जिन पर ध्यान देने और काम करने की जरूरत है। मुझे अपनी चोट को थोड़ा ठीक करना है और उस दिशा में काम करना है। मुझे यह देखना होगा कि खेल के दौरान चोट पर जो ध्यान दिया जाता है, वह प्रदर्शन पर शिफ्ट हो जाए। थ्रो वहीं है और यह अच्छा है। यह तब सामने आएगा जब सभी फिट और मानसिक रूप से तैयार होंगे। सभी को उम्मीद थी कि हमारा राष्ट्रगान बजाया जाना चाहिए। हम उस उम्मीद पर खरे उतरे हैं। लेकिन मैं स्वीकार करता हूं कि आज शायद मेरा दिन नहीं था। मैं हमेशा अच्छा रहा हूं लेकिन आज मैं राष्ट्रगान नहीं बजवा पाया। भले ही पेरिस में राष्ट्रगान नहीं बजाया गया, लेकिन मुझे भविष्य में एक और मौका मिलेगा और यह कहीं और होगा।”
पेरिस में नीरज का दूसरा थ्रो (89.45) एकमात्र वैध थ्रो था। उनके पांच प्रयास फाउल थे। लेकिन रजत जीतने के बाद भी नीरज ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। वे लगातार दो ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय ट्रैक एंड फील्ड एथलीट बन गए हैं। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में 87.58 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता था।