NEET-UG 2024 Hearing: NEET-UG पेपर लीक मामला कई दिनों से चल रहा है, जिस वजह से बच्चे काफी परेशान हैं। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी चल रही है। इसी सिलसिले में के बार फिर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होने वाला है, जिसे लेकर बड़ा फैसला आ सकता है। इस पूरे मामले को सुप्रीम कोर्ट में CJI डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच सुन रही है।
सुप्रीम कोर्ट के तीन बेंच में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा दो और जज भी शामिल है। पहले हैं जेबी पार्दीवाला और दुसरे हैं जस्टिस मनोज मिश्रा। सुप्रीम कोर्ट आज का फैसला CBI की रिपोर्ट के आधार पर करेगीं। बता दें कि इस मामले की जांच सीबीआई ने करने के बाद कोर्ट में दाखिल कर दिया था। आज हम सुप्रीम कोर्ट की इन जजों के बारे में जानेंगे जो आज छात्रों के भविष्य से जुड़ा एक अहम फैसला सुनाने वाले हैं।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़
डी वाई चंद्रचूड़ आज NEET-UG मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाने जा रहे हैं। डीवाई चंद्रचूड़ हमारे देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश हैं। उन्होंने बतौर सीजेआई 9 नवंबर 2022 को शपथ ली। मुख्य न्यायाधीश का पद संभालने से पहले चंद्रचूड़ इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। इसके साथ मुंबई उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश भी रहे चुके हैं। वहीं चंद्रचूड़ सीजेआई बनने से पहले सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज के रूप में काम किए हैं।
जस्टिस जेबी पारदीवाला
इस मामले में दूसरे जज जस्टिस पारदीवाला हैं जो NEET-UG मामले में फैसला सुनाने वाले है। पारदीवाला सुप्रीम कोर्ट में काम कर चुके हैं साथ ही वरिष्ठ जजों में से एक हैं। पारदीवाला का जन्म 12 अगस्त 1965 में हुआ था। उनकी पढ़ाई लिखाई सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल से पूरी हुई। इसके बाद वह 1985 में जेपी आर्ट्स कॉलेज से ग्रेजुएशन की और एलएलबी की डिग्री भी ली और वर्ष 1989 में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की। उसके बाद 1990 में वह गुजरात हाईकोर्ट आ गए थे जिसके बाद 2002 में स्टैंडिंग काउंसिल नियुक्त हुआ। इस दौरान जस्टिस पारदीवाला को बार काउंसिल ऑफ इंडिया की डिसीप्लिनरी कमिटी का नामांकित सदस्य भी नियुक्त किया गए थे।
जस्टिस मनोज मिश्रा
इस बेंच में तीसरा नाम न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा का शामिल है जो NEET-UG पेपर लीक मामले की सुनवाई करने वाले हैं। इनका जन्म 1965 को हुआ था। उन्होंने 1988 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की थी और एक अधिवक्ता के रूप में इलाहाबाद के उच्च न्यायालय में मुख्य रूप से दीवानी, आपराधिक, राजस्व और संवैधानिक मामलों पर ध्यान केंद्रित किया था। इन्होंने 23 साल तक प्रैक्टिस की थी जिसके बाद 21 नवंबर 2011 को इलाहाबाद हाईकोर्ट का अतिरिक्त जज के रूप में उनका नियुक्त किया गया था। इसके बाद मनोज मिश्रा को 6 फरवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किया गया।