COVID Subvariant Spread: कोरोना का नया संकट, भारत में पहुंचा ‘निंबस वैरिएंट’, गले में तीव्र दर्द बना मुख्य लक्षण
कोरोना का नया सब-वैरिएंट ‘निंबस’ भारत पहुंच चुका है, जिससे गले में तीव्र दर्द जैसे लक्षण सामने आए हैं। अब तक चेन्नई और पुणे से दो मामूली मामले दर्ज हुए हैं। विशेषज्ञ सतर्क हैं और आमजन से मास्क, हाथ धोने और भीड़ से बचने की सलाह दे रहे हैं।
COVID Subvariant Spread: कोरोना वायरस एक बार फिर वैश्विक चिंता का विषय बनता जा रहा है। भले ही स्थिति 2020 या 2021 जितनी गंभीर नहीं है, लेकिन नए वैरिएंट्स के उभरने से स्वास्थ्य विभागों की चिंता बढ़ गई है। ताजा मामला कोरोना वायरस के नए सब-वैरिएंट ‘निंबस’ का है, जिसकी पहचान अब भारत में भी हो चुकी है।
यह वैरिएंट अमेरिका, सिंगापुर और हांगकांग में पहले ही तेजी से फैल चुका है और अब भारत में भी इसके दो मामले दर्ज किए गए हैं। एक मामला चेन्नई से जबकि दूसरा पुणे से सामने आया है। दोनों ही मामलों में लक्षण मध्यम स्तर के पाए गए हैं, लेकिन मुख्य चिंता का विषय यह है कि इस वैरिएंट से संक्रमित लोगों को गले में अत्यधिक तेज दर्द हो रहा है, जिसे ‘रेजर ब्लेड थ्रोट’ भी कहा जा रहा है।
गले में तीव्र दर्द बना प्रमुख लक्षण
इस वैरिएंट से संक्रमित मरीजों में सबसे आम और पीड़ादायक लक्षण है—गले में ऐसा दर्द जो कांटे या ब्लेड चुभने जैसा महसूस होता है। अमेरिका में इस लक्षण के कारण लोग डर में जी रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह दर्द सामान्य खराश से काफी ज्यादा है और रोगियों को निगलने में भी परेशानी होती है।
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इसके अलावा संक्रमित व्यक्तियों में अन्य सामान्य लक्षण भी देखे जा रहे हैं जैसे—नाक बहना, थकान, हल्का बुखार, मांसपेशियों में दर्द, सूखी खांसी, सांस लेने में तकलीफ, सिर दर्द, दस्त, और स्वाद या गंध की हानि। हालांकि, राहत की बात यह है कि अब तक भारत में पाए गए मामलों में लक्षण गंभीर नहीं हैं।
निंबस की उत्पत्ति और विशेषताएं
निंबस, ओमीक्रॉन का ही एक सब-वैरिएंट है, जिसे वैज्ञानिकों ने NB.1.8.1 नाम दिया है। इसकी पहचान सबसे पहले पिछले वर्ष चीन में हुई थी, लेकिन इसका असर अमेरिका में व्यापक रूप से देखा गया है। अमेरिकी रिपोर्टों के अनुसार, वहां कुल संक्रमितों में से 37% मरीज इसी वैरिएंट से प्रभावित हैं।
यह वैरिएंट तेज़ी से फैलता है और पहले के वैरिएंट्स की तुलना में तीन गुना अधिक प्रभावी हो सकता है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह वैरिएंट उन लोगों को भी संक्रमित कर रहा है जिनमें पहले से एंटीबॉडी मौजूद हैं। यही कारण है कि वैज्ञानिक इसे लेकर गहन शोध में जुटे हुए हैं।
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फिलहाल खतरे की स्थिति नहीं: WHO
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बयान जारी कर कहा है कि वर्तमान में निंबस वैरिएंट से कोई वैश्विक खतरा नहीं है। WHO ने यह भी स्पष्ट किया है कि वर्तमान में उपलब्ध कोविड वैक्सीन इस वैरिएंट पर असरदार हैं, लेकिन लोगों को सतर्क रहना बेहद जरूरी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाह: बरतें सावधानी
भारत सरकार और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने नागरिकों से सतर्कता बनाए रखने की अपील की है। भले ही वैरिएंट के मामले फिलहाल सीमित हैं, लेकिन इसकी प्रसार क्षमता को देखते हुए जरूरी है कि लोग कोविड से जुड़ी सावधानियों का पालन करें।
सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनें
नियमित रूप से हाथ धोएं या सैनिटाइज़र का उपयोग करें
भीड़भाड़ वाले स्थानों से बचें
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खांसी, बुखार या गले में दर्द होने पर डॉक्टर से संपर्क करें
आवश्यकता होने पर कोविड टेस्ट जरूर करवाएं
विशेषज्ञ यह भी कह रहे हैं कि खान-पान और जीवनशैली का ध्यान रखना इस समय बेहद जरूरी है। बाहर के भोजन से बचें, पर्याप्त नींद लें और अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाए रखें।
निंबस वैरिएंट भले ही अभी भारत में शुरुआती चरण में हो, लेकिन इसकी तीव्रता और प्रसार दर को देखते हुए इसे हल्के में लेना खतरनाक साबित हो सकता है। सरकार और वैज्ञानिक संस्थाएं सतर्क हैं, लेकिन जन सहयोग के बिना महामारी को नियंत्रित कर पाना मुश्किल है। सावधानी ही सुरक्षा है—इस सिद्धांत को अपनाकर ही हम इस नए खतरे से सुरक्षित रह सकते हैं।
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