नई दिल्ली: 1 अक्टूबर 2022 यानि शारदीय नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा के सिद्ध स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाएगी। शास्त्रों में माता कात्यायनी को भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्री माना गया है। बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में इन्हें छठ मैया के रूप में भी जाना जाता है। माता कात्यायनी (Navratri Day 6) का स्वरूप सर्वाधिक सुंदर है और मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से की गई पूजा का विशेष लाभ भक्तों को प्राप्त होता है। साथ ही उन्हें भविष्य में आने वाली परेशानियों पर भी विजय प्राप्त होता है।
मां कात्यायनी का स्वरूप
शास्त्रों के अनुसार माता का स्वरूप स्वर्ण के समान चमकीला है और उनकी चार भुजाएं हैं। प्रत्येक भुजा में माता ने तलवार, कमल, अभय मुद्रा और वर मुद्रा धारण किया है। माता कात्यायनी को लाल रंग सर्वाधिक पसंद है। किंवदंतियों के अनुसार महर्षि कात्यायन की तपस्या के बाद माता कात्यायनी ने उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया था। मां दुर्गा इन्हीं के रूप में महिषासुर का वध कर उसके आतंक से देव और मनुष्यों को भय मुक्त किया था।
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मां कात्यायनी पूजा विधि
नवरात्रि पर्व के छठे दिन सबसे पहले स्नान-ध्यान के बाद कलश पूजा करें और इसके बाद मां दुर्गा की और माता कात्यायनी की पूजा करें। पूजा प्रारंभ करने से पहले मां को स्मरण करें और हाथ में फूल लेकर संकल्प जरूर लें। इसके बाद वह फूल मां को अर्पित करें। फिर कुमकुम, अक्षत, फूल आदि और सोलह श्रृंगार माता को अर्पित करें। उसके बाद उनके प्रिय भोग शहद को अर्पित करें और मिठाई इत्यादि का भी भोग लगाएं। फिर जल अर्पित करें और घी के दीपक जलाकर माता की आरती करें। आरती से पहले दुर्गा चालीसा व दुर्गा सप्तशती का पाठ करना ना भूले।