Nitish Kumar Reddy: नीतीश रेड्डी ने अपने पिता से किया वादा निभाया, 6 साल पहले सबके सामने किया था ये ऐलान
मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार सुर्खियों में है। इससे पहले भी तीन प्रधानमंत्रियों का अंतिम संस्कार दिल्ली के राजघाट के पास नहीं हुआ है। इनमें वीपी सिंह, नरसिम्हा राव और मोरारजी देसाई शामिल हैं। राव का अंतिम संस्कार भी काफी विवादों में रहा था।
Nitish Kumar Reddy: पहले दिन से ही चयन को लेकर कुछ सवाल उठ रहे थे। कुछ आईपीएल मैचों और टी20 इंटरनेशनल मैचों के आधार पर ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टेस्ट सीरीज के लिए चुना जाना कितना सही था, इस पर संदेह जताया जा रहा था। पर्थ और एडिलेड में दमदार पारियों से उन्होंने अपनी काबिलियत की झलक भी दिखाई, फिर भी मेलबर्न टेस्ट में उनके चयन को लेकर सवाल उठ रहे थे। लेकिन 28 दिसंबर को मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर नीतीश कुमार रेड्डी ने जो किया, उसके बाद हर सवाल का जवाब मिल गया है। नीतीश ने मेलबर्न टेस्ट के तीसरे दिन शानदार शतक लगाकर न सिर्फ आलोचकों को जवाब दिया, बल्कि उससे भी बड़ी बात यह रही कि इस शतक के साथ ही उन्होंने अपने पिता से किया 6 साल पुराना वादा भी पूरा कर दिया।
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मेलबर्न टेस्ट के तीसरे दिन टीम इंडिया मुश्किल में थी। 6 विकेट सिर्फ 191 रन पर गिर गए थे और टीम अभी भी ऑस्ट्रेलिया के स्कोर से 283 रन पीछे थी। ऐसे समय में नीतीश आठवें नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरे और फिर वो जादू किया जिसकी टीम को जरूरत थी। नीतीश ने वॉशिंगटन सुंदर के साथ मिलकर शतकीय साझेदारी कर भारतीय टीम को बेहतर स्थिति में पहुंचाया और फिर दिन का खेल खत्म होने तक उन्होंने अपने टेस्ट करियर का पहला शतक भी पूरा कर लिया।
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6 साल पहले दुनिया से किया था वादा
जैसे ही नीतीश ने अपना शतक पूरा किया, स्टेडियम में बैठे सभी दर्शक अपनी जगह से खड़े हो गए और ताली बजाकर उन्हें सलाम करने लगे। इन दर्शकों में नीतीश के पिता भी थे, जिनकी आंखों में आंसू थे, क्योंकि नीतीश ने न सिर्फ शतक लगाया था, बल्कि उनसे किया वादा भी पूरा किया था। नीतीश के शतक के बाद उनका एक पुराना सोशल मीडिया पोस्ट वायरल हो रहा है। यह 2018 का पोस्ट है, जिसमें उन्होंने अपने माता-पिता की एक फोटो पोस्ट की थी। फादर्स डे पर पोस्ट की गई इस फोटो के साथ नीतीश ने लिखा था कि उनके पिता ने उनके लिए बहुत त्याग किया है, लेकिन एक दिन मैं उन्हें गर्व महसूस कराऊंगा।
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पिता ने किया था त्याग
यह कहना गलत नहीं होगा कि नीतीश ने 6 साल बाद अपना वादा पूरा किया। 21 साल के इस ऑलराउंडर की सफलता में सबसे बड़ा योगदान उनके पिता मुत्यालु रेड्डी का है। उन्होंने अपने बेटे को क्रिकेटर बनाने के लिए रिटायरमेंट से 25 साल पहले ही अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी थी। आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं होने की वजह से उन्हें रिश्तेदारों और पड़ोसियों के ताने भी सहने पड़े। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने बेटे के लिए हरसंभव कोशिश की। उनका त्याग और नीतीश की मेहनत आखिरकार रंग लाई है।
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