Vasuki Tal Kedarnath: वासुकीताल क्षेत्र में बिना अनुमति घूमना अब पड़ेगा महंगा, वन विभाग सख्त
उत्तराखंड के वासुकीताल क्षेत्र में बिना अनुमति बढ़ती पर्यटकों और कंटेंट क्रिएटर्स की आवाजाही को लेकर वन विभाग ने सख्ती बरती है। यह क्षेत्र केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य के अंतर्गत आता है, जहां प्रवेश के लिए वैध परमिट अनिवार्य है। बिना अनुमति प्रवेश करने पर अब तीन साल की जेल या एक लाख रुपये जुर्माना तक की सजा हो सकती है।
Vasuki Tal Kedarnath: केदारनाथ धाम के ऊपर स्थित वासुकीताल क्षेत्र में अनधिकृत रूप से पहुंच रहे पर्यटकों और सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर्स पर अब रोक लगाई गई है। वन विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए स्पष्ट किया है कि वासुकीताल केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य का हिस्सा है और यहां बिना वैध परमिट के प्रवेश वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।
प्राकृतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र है वासुकीताल
वासुकीताल समुद्र तल से लगभग 14,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित एक रमणीय स्थल है, जो धार्मिक और पारिस्थितिकी दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह क्षेत्र जैव विविधता से भरपूर है और वन्यजीवों के संरक्षण के लिहाज से काफी संवेदनशील है। इसी वजह से वन विभाग ने यहां किसी भी तरह की अनाधिकृत गतिविधियों पर रोक लगाने का निर्णय लिया है।
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रील और व्लॉग की होड़ बनी चिंता का कारण
हाल के दिनों में यह देखा गया है कि कई यूट्यूबर्स, इंस्टाग्राम यूजर्स और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स इस क्षेत्र में रील्स और वीडियो बनाने के उद्देश्य से पहुंच रहे हैं। इस प्रक्रिया में वे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं और कूड़ा-करकट भी छोड़ रहे हैं, जिससे क्षेत्र की स्वाभाविक सुंदरता और जैविक संतुलन प्रभावित हो रहा है।
वन विभाग की चेतावनी और कार्रवाई की तैयारी
वन विभाग के अनुसार, क्षेत्र में किसी भी प्रकार की गतिविधि के लिए पहले अनुमति लेना अनिवार्य है। केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के उप वन संरक्षक तरुण एस ने जानकारी देते हुए कहा कि “वासुकीताल एक संरक्षित क्षेत्र है और बिना पूर्व अनुमति के यहां शिविर लगाना या घूमना कानूनन दंडनीय है। इसका उल्लंघन करने पर तीन साल तक की जेल या एक लाख रुपये तक का जुर्माना, या दोनों की सजा हो सकती है।”
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उन्होंने यह भी कहा कि विभाग लगातार क्षेत्र पर नजर बनाए हुए है और नियमों के उल्लंघन की स्थिति में कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। विभाग ने आम जनता और पर्यटकों से अनुरोध किया है कि वे नियमों का पालन करें और पर्यावरण संरक्षण में सहयोग दें।
वासुकीताल जैसे संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा केवल विभाग की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। अनावश्यक घुसपैठ और सोशल मीडिया के लिए की जा रही गतिविधियां पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही हैं, जिन्हें रोकना अत्यंत आवश्यक है।
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