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CJI समेत 5 जजों को मिला रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का न्योता

Ayodhya Ram Mandir: प्रभु श्री राम के स्वागत के लिए अयोध्या नगरी पूरी तरह से तैयार है. पूरे अयोध्या शहर को दुल्हन की तरह सजा दिया गया है. अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को बमुश्किल दो दिन से भी कम समय बचा है. बीते शुक्रवार को प्रभु श्री राम के बाल काल की पहली झलक देखने को मिली है. पांच वर्ष के राम की मूर्ति देख हर कोई मोहित हो रहा है. इसके साथ ही भक्तों की उत्सुकता भी तेजी से बढ़ रही है. इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में करीब 7 हजार से ऊपर VIP लोग शामिल होंगे. अमिताभ बच्चन, महेंद्र सिंह धोनी, विराट कोहली, क्रिकेटर रोहित शर्मा, मुकेश अंबानी सहित कई नाम शामिल हैं. मेहमानों की लिस्ट में पांच ऐसे लोगों का नाम भी जुड़ गया है जिनके फैसले से राम मंदिर के हक में फैसला दिया गया था. अयोध्या राम मंदिर मामले में फैसला देने वाले पांच जजों को भी न्योता भेज दिया गया है. प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ के साथ साथ तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, पूर्व न्यायाधीश अशोक भूषण, पूर्व प्रधान न्यायाधीश SA बोबडे और S अब्दुल नजीर को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का न्योता भेजा गया है. 9 नवंबर 2019 को अयोध्या राम मंदिर का ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. आइये इन पांच जजों के बारे में जानते हैं.

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पूर्व CJI रंजन गोगोई

अयोध्या राम मंदिर के मामले में फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच को पूर्व CJI रंजन गोगोई ही लीड कर रहे थे. 2019 में उन्होंने अयोध्या राम मंदिर निर्माण के मामले में सुनवाई करने वाली 5 जजों की पीठ का नेतृत्व किया था. इस पूरे मामले में उन्होंने फैसला सुनाते हुए 2.77 एकड़ की जमीन को हिंदुओं को सौंपने का फैसला सुनाया था. इस ऐतिहासिक फैसले को रंजन गोगोई ने अपने कार्यकाल के दौरान और भी कई फैसले सुनाए थे. इसमें असम के NRC (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर ) से संबंधित फैसले भी शामिल थे. NRC को लेकर गोगोई ने बताया था कि यह भाविष्य का दस्तावेज है. ऐतिहासिक अयोध्या राम मंदिर पर फैसला देने के बाद रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो गए थे. रंजन गोगोई रिटायरमेंट के चार महीने बाद राज्यसभा के सांसद के रूप में मानोनीत कर दिया गया था. अपने करियर की शुरुआत रंजन गोगोई ने एक वकील के रूप में की है. गोगोई ने 1986 से 1994 तक असम हाई कोर्ट में एक अधिवक्ता के रूप में काम किये हैं. उन्हें 1994 में असम हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था. गोगोई को 2012 में पंजाब, हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था. उन्हें 3 अक्टूबर 2018 को भारत के 46वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था.

​पूर्व CJI रंजन गोगोई के कार्यकाल के दौरान, कई महत्वपूर्ण मामलों में सुनवाई की

राम मंदिर अयोध्या में निर्माण का मामला
बाबरी मस्जिद अयोध्या में विध्वंस का मामला
धनुषकोडी का मामला
नागरिकता संशोधन अधिनियम का मामला

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पूर्व प्रधान न्यायाधीश S.A बोबडे

अयोध्या राम मंदिर मामले में बनी पांच जजों की बेंच में S.A बोबडे भी शामिल थे. भारत के 47वें चीफ जस्टिस के रूप में देश की सेवा करने वाले S.A बोबडे ने राम मंदिर मामले पर फैसला सुनाने के 9 दिन बाद 18 नवंबर 2019 को S.A बोबडे रिटायर होने के बाद देश के चीफ जस्टिस बने थे. रंजन गोगोई के बाद सबसे सीनियर होने की वजह से अगला चीफ जस्टिस बनाया गया था. इस पद पर 23 अप्रैल 2012 यानी 17 महीने ही रहे. रिटायर होने के बाद S.A बोबडे ने ऐसा कोई पद नहीं लिया. रिपोर्ट्स की मानें तो S.A बोबडे मुंबई के महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी इसके साथ ही नागपुर के नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर के तौर पर भी काम कर रहे हैं.

24 अप्रैल 1956 को शरद अरविंद बोबडे का जन्म महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था. S.A बोबडे ने नागपुर विश्वविद्यालय से कला कानून में स्नातक की उपाधि भी हासिल की. इसके साथ ही साल 1978 में महाराष्ट्र बार परिषद में उन्होंने बतौर अधिवक्ता अपना पंजीकरण कराया. S.A बोबडे ने मुम्बई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में करीब 21 वर्ष तक अपनी सेवाएं दी है. उसके बाद उन्होंने साल 1998 में वरिष्ठ अधिवक्ता बने इसके साथ ही 29 मार्च 2000 में मुम्बई उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में S.A बोबडे ने शपथ ली. 16 अक्टूबर 2012 को S.A बोबडे ने मध्यप्रदेश के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश बने. 12 अप्रैल 2013 को S.A बोबडे को पदोन्नति सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति के रूप में हुई.

न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबडे के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य.

शरद अरविंद बोबडे भारत के 47वें मुख्य न्यायाधीश थे,
महाराष्ट्र के पहले मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे थे,
पहले मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे थे जिन्होंने एक आत्मकथा लिखी है,
शरद अरविंद बोबडे एक कुशल वक्ता और लेखक हैं,

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चीफ जस्टिस DY चंद्रचूड़

चीफ जस्टिस DY चंद्रचूड़ इस समय देश के मौजूदा चीफ जस्टिस के रूप में सेवा दे रहे हैं. साल 2019 में ऐतिहासिक अयोध्या श्री राम मंदिर को लेकर बनाई गई पांच जजों की बेंच के DY चंद्रचूड़ प्रमुख हिस्सा थे, UU ललित के रिटायर होने के बाद DY चंद्रचूड़ को देश का 50वां चीफ जस्टिस बनाया गया था. पांच जजों में केवल यही एकमात्र जज हैं जो इस समय सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत हैं. CJI चंद्रचूड़ इस वर्ष नवंबर में रिटायर हो जाएंगे. इनका कार्यकाल 2 वर्ष का है

11 नवंबर 1959 को डॉक्टर धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ का जन्म मुंबई में हुआ था. धनंजय यशवंत के पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़, भारत के 16वें सबसे लंबे समय तक सेवारत मुख्य न्यायाधीश थे. डॉक्टर धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने अपनी स्कूली शिक्षा सेंट कोलंबस स्कूल मुंबई से पूरी की है इसके साथ ही सेंट स्टीफंस कॉलेज दिल्ली से कानून की डिग्री प्राप्त की. चंद्रचूड़ ने 1981 में बार में नामांकित किया. डॉक्टर धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने अपने करियर की शुरुआत एक वकील के रूप में की है. चंद्रचूड़ ने 1986 से 1998 तक बॉम्बे हाई कोर्ट में 1अधिवक्ता के रूप में काम किया. उन्हें 1998 में बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया. डॉक्टर धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ को 2000 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया. उन्हें 2013 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था.

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S अब्दुल नजीर

अयोध्या राम मंदिर मामले में फैसला सुनाने वाली पांच जजों की बेंच में अगला नाम S अब्दुल नजीर का है. अयोध्या राम मंदिर पर फैसला सुनाने के बाद अब्दुल नजीर ने 4 वर्ष तक सुप्रीम कोर्ट में सेवाएं दीं है. 4 जनवरी 2023 को छह वर्ष देश की सर्वोच्च अदालत में सेवाएं देने के बाद रिटायर हो गए. रिटायर होने के दो महीने के अंदर ही S अब्दुल नजीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बना दिया गया. S अब्दुल नजीर अभी वह इसी पद पर आसीन हैं.

S अब्दुल नजीर ने अपने करियर की शुरुआत 1 वकील के रूप में की है. S अब्दुल नजीर कर्नाटक हाई कोर्ट में दस वर्ष तक 1 अधिवक्ता के रूप में काम किया. उन्हें 1994 में कर्नाटक हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया. उन्हें 2012 में पंजाब, हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया. उन्हें 2017 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया.

S अब्दुल नजीर का कार्यकाल

कर्नाटक हाई कोर्ट में 1986 से 1994 तक एक अधिवक्ता
कर्नाटक हाई कोर्ट के 1994 में न्यायाधीश
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के 2012 में मुख्य न्यायाधीश
सुप्रीम कोर्ट के 2017 में न्यायाधीश
आंध्र प्रदेश के 2023 में राज्यपाल

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पूर्व न्यायाधीश अशोक भूषण

अयोध्या राम मंदिर मामले में पांच जजों की बेंच में शामिल थे पूर्व न्यायाधीश अशोक भूषण. अयोध्या राम मंदिर मामले में फैसला सुनाने के करीब 2 वर्ष बाद 4 जुलाई 2021 को रिटायर हो गए थे. रिटायर होने के बाद अशोक भूषण को केंद्र सरकार ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एमसीएलएटी) यानी राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण का अध्यक्ष बना दिया गया था. तभी पूर्व न्यायाधीश अशोक भूषण इसी पद पर तैनात हैं. अशोक भूषण यूपी के जौनपुर के रहने वाले हैं. 2016 में अशोक भूषण को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाया गया था. इससे पहले वर्ष 2001 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के स्थाई न्यायाधीश नियुक्त हुए थे. वह साल 2015 में केरल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने.

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रामलला की झलक 22 जनवरी से पहले देखिए

22 जनवरी को होने अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले बीते शुक्रवार को प्रभु श्रीराम के मूर्ति की पहली झलक सामने आ गई है. जिस तरह से मूर्ति को तराशा गया है. इस मूर्ति को देखकर हर कोई मोहित हो रहा है. इस मूर्ति की मदद से रामलला के पांच वर्ष वाले बाल रूप की झलक मिल रही है.

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Ashok Kumar

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