वाराणसीः बाबा विश्वनाथ अर्धनारीश्वर स्वरूप में दर्शन करने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है। श्रावण के तीसरे सोमवार को काशी में उमड़े भक्तों का भारी सैलाब ने डमरु यात्रा निकालकर भगवान शिव के दर्शन किये। सावन के तीसरे सोमवार को हजारों की संख्या में भक्त यहां दोष निवारण के लिए आते हैं।
धार्मिक मान्यता है कि सावन महीने का तीसरा सोमवार को वाराणसी में बाबा विश्वनाथ का अभिषेक देश की 12 नदियों और तीन समुद्रों के जल से किया जाता है। आज के दिन भक्तगण बाबा विश्वनाथ अर्धनारीश्वर स्वरूप में दर्शन करते हैं। बाबा विश्वनाथ अर्धनारीश्वर स्वरूप में दर्शन करने से पहले भोर में पारंपरिक तरीके से बाबा विश्वनाथ की मंगला आरती हुई।
वैसे तो महादेव की नगरी काशी के कण-कण में भगवान शिव का वास है, लेकिन सावन के महीने में काशी का महत्व बढ जाता है। सावन को भगवान शिव का महीने माना जाता है, इसलिए सारा शहर पूरे माह शिवमय होकर भक्ति में डूबा रहता है। काशी में क्योंकि देश के कोने-कोने से श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। यहां 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए भक्तों का तांता सुबह से ही लगा रहता है।
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सोमवार को तड़के से ही भक्तों की लंबी कतारों में बाबा भोलेनाथ के दर्शन पाने के लिए इंतजार में खड़े दिखाई देते हैं, वही काशी के कुछ ऐसे भी मंदिर हैं, जहां लोगों की विशेष आस्था जुड़ी है और लोग बाबा के दर्शन पाने के लिए पहुंचते हैं। काशी के विभिन्न शिवालयों में सावन का तीसरा सोमवार होने के कारण भक्तगण सुबह से ही जलाभिषेक कर रहे हैं। आज के दिन का महत्व इसलिए भी ज्यादा है कि मान्यता है कि आज के दिन भगवान भोले के दर्शन से तमाम तरह के दोषों का निवारण हो जाता है। इसलिए भी भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आज लोग अधिक पहुंच रहे हैं।