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Onion Rate Decreases: 5रुपए किलो भी नहीं बिका प्याज, खेत से मंडी तक रो पड़ा किसान!

कभी आम आदमी के आंसू निकाल देने वाला प्याज, आज खुद आंसू बहाने की हालत में है। देश के कई हिस्सों में प्याज के दाम इस कदर गिर चुके हैं कि किसानों को लागत भी नहीं मिल पा रही। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश समेत कई राज्यों के मंडियों में प्याज 5 रुपए किलो या उससे भी कम दर पर बिक रहा है, और हैरानी की बात यह है कि इतने सस्ते दाम पर भी खरीदार नहीं मिल रहे।

Onion Rate Decreases: कभी आम आदमी के आंसू निकाल देने वाला प्याज, आज खुद आंसू बहाने की हालत में है। देश के कई हिस्सों में प्याज के दाम इस कदर गिर चुके हैं कि किसानों को लागत भी नहीं मिल पा रही। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश समेत कई राज्यों के मंडियों में प्याज 5 रुपए किलो या उससे भी कम दर पर बिक रहा है, और हैरानी की बात यह है कि इतने सस्ते दाम पर भी खरीदार नहीं मिल रहे।

किसानों की हालत बदतर

प्याज की खेती में मेहनत, समय और खर्च तीनों लगते हैं। बीज, खाद, सिंचाई, मज़दूरी और ट्रांसपोर्ट पर खर्च करने के बाद जब किसान अपनी फसल को मंडी में लेकर जाता है और उसे 5-6 रुपए प्रति किलो का रेट मिलता है, तो यह न केवल उसकी मेहनत का अपमान है, बल्कि आर्थिक रूप से भी उसे तबाह कर देता है।

कुछ किसानों ने दुखी होकर अपनी उपज को सड़कों पर फेंक दिया तो कईयों ने मंडी से खाली हाथ लौटने का फैसला लिया। महाराष्ट्र के नासिक, जो प्याज उत्पादन का मुख्य क्षेत्र है, वहां के किसान लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

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मांग और आपूर्ति में असंतुलन

विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार प्याज की उपज रिकॉर्ड मात्रा में हुई है, लेकिन मांग सामान्य बनी रही। साथ ही, सरकार द्वारा निर्यात पर कुछ प्रतिबंध लगाने और स्टॉक सीमा निर्धारित करने से बाजार में प्याज की भरमार हो गई, जिससे दाम औंधे मुंह गिर गए।

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सरकारी रवैये पर सवाल

किसानों का आरोप है कि जब प्याज के दाम बढ़ते हैं, तो सरकार उपभोक्ताओं की चिंता में दाम नियंत्रित करने के लिए तुरंत कदम उठाती है, लेकिन जब दाम गिरते हैं और किसान को नुकसान होता है, तो कोई ठोस सहायता नहीं मिलती।

हालांकि कुछ राज्य सरकारें प्याज की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद करने की बात कह रही हैं, लेकिन यह पहल अब तक व्यापक स्तर पर लागू नहीं हो पाई है।

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समाधान क्या हो सकता है?

सरकार को चाहिए कि प्याज जैसे जरूरी फसलों पर स्थायी MSP लागू करे।

फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स को बढ़ावा दिया जाए ताकि अतिरिक्त उपज को संरक्षित किया जा सके।

निर्यात को प्रोत्साहन दिया जाए, जिससे बाजार में संतुलन बना रहे।

किसानों को भंडारण की सुविधाएं मिले ताकि वे बेहतर दाम मिलने तक अपनी फसल रोक सकें।

प्याज के दामों में गिरावट का असर सिर्फ किसानों की जेब पर नहीं, बल्कि पूरे कृषि तंत्र पर पड़ता है। यह एक चेतावनी है कि हमें कृषि नीति को उत्पादन केंद्रित नहीं, बल्कि बाजार केंद्रित बनाना होगा ताकि किसान को उसकी मेहनत का सही मूल्य मिल सके।

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Written By। Kritika Kumari। National Desk। Delhi

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