Operation Mahadev: पहलगाम एनकाउंटर का कोडनेम ‘ऑपरेशन महादेव’ क्यों रखा गया? जानिए पीछे की रणनीति
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए एनकाउंटर को ‘ऑपरेशन महादेव’ नाम दिया गया. इस ऑपरेशन ने पूरे देश का ध्यान खींचा है। सेना, CRPF और SOG की संयुक्त कार्रवाई में तीन खूंखार आतंकवादियों को ढेर किया गया। लेकिन सवाल उठता है कि इस ऑपरेशन का नाम ‘महादेव’ क्यों रखा गया? क्या आतंकियों का निशाना अमरनाथ यात्रा थी? और क्या ये हमला आस्था पर हमला था? आइए जानते हैं पूरी रणनीति।
Operation Mahadev: जम्मू-कश्मीर में सोमवार को आतंक के खिलाफ एक और बड़ी कामयाबी मिली। सुरक्षाबलों ने पहलगाम आतंकी हमले के मास्टरमाइंड मूसा समेत तीन आतंकवादियों को मार गिराया है। यह कार्रवाई श्रीनगर के लिडवास फॉरेस्ट एरिया में अंजाम दी गई, जहां सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ ने संयुक्त रूप से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया।
आपको बता दें इस ऑपरेशन को ‘ऑपरेशन महादेव’ नाम दिया गया है। अब हर कोई यही जानना चाहता है कि आखिर इस खास कार्रवाई का नाम ‘महादेव’ क्यों रखा गया? इसके पीछे की रणनीति और प्रतीकात्मकता क्या है? आइए जानते हैं इसकी पूरी कहानी।
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ऑपरेशन की शुरुआत
ऑपरेशन महादेव की नींव डचिगम जंगल में मिले संदिग्ध गतिविधियों और स्थानीय बकरवालों द्वारा दी गई महत्वपूर्ण सूचना पर रखी गई थी। चिनार कॉर्प्स ने बताया कि हरवान के मुलनार क्षेत्र में संदिग्ध संचार को ट्रैक करते हुए सेना ने इलाके को घेर लिया। इसके बाद लिडवास क्षेत्र में आतंकवादियों के साथ दो बार मुठभेड़ हुई, जिसमें तीन आतंकियों को मार गिराया गया।
पहलगाम नरसंहार
इस ऑपरेशन की पृष्ठभूमि 25 भारतीय और 1 नेपाली नागरिक की हत्या से जुड़ी है, जो पहलगाम की बाइसारन घाटी—मिनी स्विट्जरलैंड में अंजाम दिया गया था। इस नृशंस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ी शाखा ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली थी। यह हमला न सिर्फ पर्यटकों की सुरक्षा पर सवाल उठा गया बल्कि घाटी में बहाल हो रही शांति को गहरा झटका भी दे गया।
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ऑपरेशन सिंदूर की कड़ी
पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद करने के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया था। ऑपरेशन महादेव को उसी की कड़ी माना जा रहा है। इसका मकसद आतंकी नेटवर्क की जड़ तक पहुंच कर उसे पूरी तरह नष्ट करना है।
क्यों पड़ा ‘महादेव’ नाम?
इस ऑपरेशन का नाम ‘महादेव’ इसलिए चुना गया क्योंकि भगवान शिव कश्मीर में श्रद्धा और आस्था का केंद्र हैं। अमरनाथ यात्रा से जुड़ी उनकी पौराणिकता घाटी में हर दिल में बसी है। यह नाम इस अभियान को एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक बल देता है और आतंक के खिलाफ राष्ट्र के अडिग संकल्प को दर्शाता है।
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मारे गए आतंकियों की पहचान और भूमिका
सूत्रों के अनुसार, मारे गए तीनों आतंकवादी पहलगाम नरसंहार में शामिल थे। इनमें से एक की पहचान ‘मूसा’ के रूप में की जा रही है, जो हमले का मुख्य साजिशकर्ता था। हालांकि सेना ने अभी तक इस पर आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। ऑपरेशन के दौरान ड्रोन की मदद से आतंकियों के शव बरामद किए गए और उन्हें मदद पहुंचा रहे स्थानीय लोगों को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
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