Banbhulpura violence : बनभूलपुरा हिंसा के मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक को आंशिक राहत, सरकारी जमीन खुर्द-बुर्द मामले में जमानत मंजूर
Banbhulpura violence, के मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक को सरकारी जमीन खुर्दबुर्द करने के मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है। हालांकि, हिंसा भड़काने के गंभीर आरोपों से अब भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली है।
Banbhulpura violence : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बनभूलपुरा हिंसा के मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक को सरकारी जमीन खुर्दबुर्द करने के मामले में जमानत दे दी है। हालांकि, हिंसा फैलाने से जुड़े गंभीर मामलों में अब भी उन्हें राहत नहीं मिल पाई है। न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ ने इस मामले की सुनवाई के बाद यह निर्णय सुनाया।
क्या है पूरा मामला?
8 फरवरी 2024 को हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में उस वक्त हालात बेकाबू हो गए, जब प्रशासन और पुलिस की टीम सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने पहुंची। इस कार्रवाई के दौरान स्थानीय लोगों ने अचानक हमला बोल दिया, जिसमें 100 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए। हालात इतने बिगड़ गए कि हिंसा में पांच लोगों की गोली लगने से मौत हो गई। उग्र भीड़ ने बनभूलपुरा थाने को भी आग के हवाले कर दिया, जिससे पूरे क्षेत्र में दहशत फैल गई।
इस पूरे घटनाक्रम की जड़ अब्दुल मलिक को बताया गया, जिन पर नजूल भूमि पर अवैध कब्जा करके प्लॉटिंग और निर्माण करने के आरोप हैं। उन्होंने कथित रूप से झूठे शपथपत्र के आधार पर सरकारी जमीन पर कब्जा किया और उसे बेचने का प्रयास किया। इस दौरान प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के विरोध में हिंसा भड़क उठी थी।
चार मुकदमों में आरोपी अब्दुल मलिक
घटना के बाद अब्दुल मलिक पर चार मुकदमे दर्ज किए गए, जिनमें एक मामला सरकारी भूमि पर कब्जा करने और उसे खुर्द-बुर्द करने का था। उनके खिलाफ झूठे दस्तावेज पेश करने, नजूल भूमि पर अवैध निर्माण, प्लॉटिंग और जमीन बेचने के गंभीर आरोप हैं। हिंसा के मामले में उन्हें साजिशकर्ता के रूप में चिह्नित किया गया है।
हाईकोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट ने सरकारी भूमि को खुर्द-बुर्द करने के मामले में अब्दुल मलिक को जमानत देते हुए कहा कि यह मामला हिंसा से अलग है। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि इस मुकदमे का हिंसा से सीधा संबंध नहीं है, इसलिए जमानत दी जानी चाहिए।
वहीं, राज्य सरकार ने मलिक की जमानत का विरोध करते हुए कहा कि बनभूलपुरा हिंसा की शुरुआत इसी अवैध अतिक्रमण से हुई थी। प्रशासन के अवैध निर्माण हटाने पर किए गए पथराव के कारण ही स्थिति बेकाबू हो गई थी।
हिंसा फैलाने के आरोपों में जमानत पर रोक
हालांकि, हाईकोर्ट ने हिंसा फैलाने के मामले में अब्दुल मलिक को कोई राहत नहीं दी। यह घटनाक्रम अभी भी न्यायिक जांच और कानूनी प्रक्रिया के अधीन है।
हिंसा फैलाने के आरोपों में जमानत पर रोक
हालांकि, हाईकोर्ट ने हिंसा फैलाने के मामले में अब्दुल मलिक को कोई राहत नहीं दी। यह घटनाक्रम अभी भी न्यायिक जांच और कानूनी प्रक्रिया के अधीन है।
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प्रशासन का पक्ष
राज्य सरकार का कहना है कि बनभूलपुरा हिंसा में अब्दुल मलिक की भूमिका प्रमुख थी। जब प्रशासन ने अवैध कब्जा हटाने की कोशिश की, तो वहां मौजूद लोगों ने पथराव शुरू कर दिया। यह मामला धीरे-धीरे बड़े पैमाने पर हिंसा में बदल गया, जिसमें सरकारी संपत्ति का भारी नुकसान हुआ और कई लोगों की जान चली गई।
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आगे की कार्रवाई
हाईकोर्ट से हिंसा से संबंधित मामलों में जमानत न मिलने के बाद अब्दुल मलिक को न्यायिक हिरासत में रहना होगा। प्रशासन ने इस केस को उत्तराखंड में कानून व्यवस्था के लिए एक बड़ा उदाहरण बताते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की है।
समाज में रोष और प्रशासन की सख्ती
बनभूलपुरा की घटना ने पूरे राज्य में कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय प्रशासन और सरकार इस मामले को लेकर गंभीर हैं और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की तैयारी कर रही है।
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