Caste Census in Bihar: बिहार में जातिगत जनगणना एक तरह से समाप्ति की तरफ है लेकिन इसके खिलाफ अभी भी खेल जारी है। इस जातिगत जनगणना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है और कहा गया है कि इसे जल्द रोका जाए। सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को इस पर सुनवाई करने की बात कही है।
बता दें कि बिहार में जातिगत जनगणना (Caste Census in Bihar) काफी पहले से चल रही है। लेकिन इसके खिलाफ कई याचिकाएं पटना हाई कोर्ट में दाखिल की गई थी। कई महीनों तक जनगणना रुकी रही। इसके बाद पिछले सप्ताह ही पटना हाई कोर्ट ने सभी याचिकाओं को ख़ारिज करते हुए जाति जनगणना कराने का रास्ता साफ़ कर दिया था। जैसे ही कोर्ट का यह आदेश आया बिहार में फिर तेजी से जातिगत जनगणना होने लगी। अब वही याचिका कर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई हैं। उनका तर्क है कि यह जनगणना समाज को बांट देगा और साथ ही याचिका में यह भी कहा गया है कि इस तरह के जनगणना कराने का अधिकार केवल केंद्र सरकार को है। ऐसे में बिहार सरकार जो भी कर रही है वह गलत है और इसे निरस्त किया जाए। इस पर रोक लगाई जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार तो कर लिया है और सुनवाई की तारीख भी दे दी है लेकिन बड़ा सच तो यही है कि बिहार में जारी जातिगत जनगणना अब अंतिम पड़ाव पर है। खबर के मुताबिक दो चार दिनों में यह जनगणना अब ख़त्म हो जाएगी और फिर इसके बाद इसके डाटा पर काम शुरू हो जायेगा।
बता दें कि बिहार में जारी जातिगत जनगणना का 80 फीसदी काम लगभग पूरा हो गया है। पटना हाई कोर्ट से जैसे ही अनुमति मिली उसके बाद काम को तेजी से आगे बढ़ाया गया। खबर के मुताबिक जब पटना हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगाई थी तब काम केवल एक सप्ताह का ही बचा था। बिहार सरकार ने इसकी चर्चा भी अदालत में की थी लेकिन कोर्ट ने इसे तत्काल रोक दिया। लेकिन जैसे ही बुधवार को कोर्ट का फैसला बिहार सरकार के फेवर में आया गुरुवार से जनगणना फिर से शुरू हो गया। पांच दिनों में काफी काम निकल चुके हैं। अब कहा जा रहा है कि दो से तीन दिनों के काम ही बचे हुए हैं। अब अगर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 14 तारीख को होगी तो उससे पहले ही जनगणना का काम पूरा हो चुका होगा।
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अगर ये जनगणना अब दो चार दिनों में ख़त्म हो जाती हैं और पूरे आंकड़ें भी तैयार हो जाते हैं तो सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में क्या कुछ होगा कहना मुश्किल है। कई लोग यह भी कह रहे हैं कि जिस तरह से पटना हाई कोर्ट से याचिका को ख़ारिज किया गया था कही शीर्ष अदालत से भी कुछ ऐसा ही न हो।
दरअसल बिहार में चल रही जातिगत जनगणना बीजेपी के लिए मुसीबत खड़ी करेगी। बिहार में अभी भी जातीय खेल अन्य प्रदेशों की अपेक्षा ज्यादा है। यूपी और अन्य राज्यों में जहां धार्मिक खेल ज्यादा हो रहे हैं वही बिहार में धर्म के आधार पर राजनीति बहुत नहीं बढ़ रही है। अगर जातिगत जनगणना के आंकड़ें सामने आते हैं तो बीजेपी से जुड़े का जातिगत नेता भी पार्टी से अलग हो सकते हैं। इस जातिगत जनगणना के बाद जाति के आधार पर फिर से आरक्षण की मांग तेज होगी और फिर बीजेपी सरकार की परेशानी बढ़ेगी। यही वजह है कि बीजेपी लगातार इसका विरोध कर रही है और कोर्ट का सहारा भी ले रही है।