नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पीएमएलए के खिलाफ दाखिल की गयी सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के पीएमएलए ( प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट) में 2018 में हुआ बदलाव एकदम सही है। मनी लांड्रिंग एक स्वतंत्र अपराध है और ईडी को संबंधित व्यक्ति को समन भेजकर पूछताछ करने और मामले में लिप्तता पाये जाने पर गिरफ्तार करने का अधिकार होना सही है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में पीएमएलए के तहत कार्रवाई करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय को मिले सभी अधिकारों को वैध करार देते हुए सभी को बरकार रखा है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से कांग्रेस व दूसरे दलों को नेताओं को बड़ा झटका लगा है। आज सुबह ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलौत, कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने प्रेस कांफ्रेंस करके ईडी पर निशाना साधते हुए उसकी कार्रवाई को आंतक की कार्रवाई करार दिया था। उन्होने उम्मीद जताई थी कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला पक्ष में आने पर राहत भरा हो सकता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को मिले अधिकारों में किसी भी तरह के दखल किये जाने से इंकार करते हुए पीएमएलए ( प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट) में 2018 में हुए बदलाव के बाद प्रवर्तन निदेशालय को प्राप्त सभी अधिकारों पर अपनी मोहर लगा दी।
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सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ऐसे अवसर पर आया है कि जब ईडी कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से पूछताछ कर रही है और कांग्रेस इसका विरोध करने से लिए राजधानी सहित देश भर में विरोध प्रदर्शन कर रही है। बता दें कि विपक्षी दलों के विभिन्न नेताओं व अन्य लोगो द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पीएमएलए ( प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट) के खिलाफ 242 याचिकाएं दाखिल करके ईडी के अधिकारों को चुनौती दी गयी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी242 याचिकाओं को एक याचिका में शामिल करके उस पर सुनवाई की और बुधवार को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए ईडी को मिले सभी अधिकारों को वैध व आवश्यक बताते हुए किसी भी तरह के दखल करने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद ईडी की जांच में फंसे नेताओं व अन्य लोगों में अब अपने खिलाफ सख्त कार्रवाई होने का डर सताने लगा है।