नई दिल्ली: कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी व वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में जीत मिलने की उम्मीदों पर मंगलवार को पानी फिरता सा नजर आया। चुनावी रणनीतिकार पीके यानी प्रशांत किशोर के सहारे कांग्रेस को मजबूत करने की कोशिशों को उस समय झटका लगा जब पीके यानी प्रशांत किशोर ने आज कांग्रेस में शामिल होने को प्रस्ताव ठुकरा दिया है। इससो कांग्रेस की 2024 की चुनावी राह मुश्किल हो गयी है।
पिछले एक सप्ताह से चुनावी रणनीतिकार पीके यानी प्रशांत किशोर का कांग्रेस में शामिल होना लगभग तय था। इसके लिए कुछ शर्तो के साथ कांग्रेस उन्हें पार्टी में अहम ओहदा भी देने को तैयार थी। प्रशांत किशोर ने भी अपनी कुछ शर्ते रखी थीं, जिनको मानने के लिए सोनिया के नजदीकी अधिकांश कांग्रेसियों ने अपनी सहमति भी जता दी थी, इसके बावजूद पीके यानी प्रशांत किशोर के अचानक यू टर्न लेने से कांग्रेस में खलबली मच गयी है।
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माना जा रहा है कि जब प्रशांत किशोर ने सोनिया गांधी व दूसरे नेताओं के साथ मीटिंग की थी तो उसमें जी-23 नेताओं को नहीं बुलाया गया था। इस बात को लेकर सोनिया से पहले से नाराज चल रहे नेताओं का गुस्सा और बढ़ गया और आशंका जतायी गयी कि कांग्रेस को विभाजन हो सकता है। प्रशांत किशोर की रणनीति में भी कुछ नेताओं को दरकिनार करने को कहा गया था।
उधर कांग्रेस चाहती थी कि पीके केवल कांग्रेस से साथ काम करें, जबकि इस समय वह दो अन्य दलों के लिए भी चुनावी रणनीति बना रहे थे। प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के लिए जो चुनावी रणनीति का प्रजेंटेशन दिया था, उसमें कुछ तथ्य अव्यवहारिक बताये गये थे। शायद यही कारण है कि अब तक कांग्रेस और प्रशांत किशोर पूरी तरह से एक दूसरे से संतुष्ट नहीं थे और आज जो प्रशांत किशोर ने जो अपनी मंशा जतायी है, उससे सोनिया गांधी और उनके नजदीकी नेताओं को बेशक झटका लगा हो, लेकिन कांग्रेस नेताओं का एक वर्ग बहुत खुश है, क्योंकि वे अब पार्टी की रणनीति बनाने में अपना सुझाव दे सकते हैं।