Politics News: देश में बहुत कुछ होता दिख रहा है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि देश की जनता महंगाई से त्रस्त है। ऐसा नहीं है कि सरकार के लोगों को देश की आर्थिक स्थिति की जानकारी नहीं है लेकिन सत्ता और सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता राजनीति को अपने अनुकूल करने की है। अहम बात यह है कि इस खेल में केवल बीजेपी (BJP) ही शामिल नहीं है। जहां-जहां विपक्षी दलों की सरकार है वहां भी जनता की उम्मीदों पर कोई उतरती नहीं दिख (Politics News) रही है। केवल जुमलेबाजी से जनता को शांत किया जा रहा है और जनता भी उसी जुमला में डूबती उतराती नजर आती है। हर साल चुनाव की दुदुम्भी बजती है और जनता वोट देती है लेकिन जो सरकार बनती है वह शायद ही जनता के लिए कुछ कर पाती हो। यह सब आजादी के समय से आज तक चल रहा है। ऐसे में इस देश का जो कुछ भी अच्छा या बुरा होता दिख रहा है उसके लिए सिर्फ भगवान ही जिम्मेदार हैं।
प्रधानमंत्री मोदी (PM Narendra Modi) जी कहते हैं कि देश में सब कुछ बेहतर ही हो रहा है। कहीं कोई समस्या नहीं। किसी के पास कोई शिकायत नहीं। देश में कोई भूखा नहीं। देश में कोई बेरोजगार नहीं और देश (Politics News) के सामने कोई टिकता भी नहीं। राष्ट्रवाद के नारे के सामने कोई समस्या रह भी तो नहीं जाती। राष्ट्रवाद के अलख के बीच चुनाव होते हैं और गरीबी, दरिद्रता में भी लोग थिरकते नजर आते हैं।
राजनीति केंद्र की हो यह फिर राज्य की। दर्शन एक ही है। वही दर्शन जिसमें जनता के कल्याण की बात तो होती है लेकिन कल्याण मिलती नहीं दिखती। उन योजनाओं को ही परख कर देख लीजिये जिसे पिछली सरकार (Politics News) से मौजूदा सरकार तक ने जनता की हिफाजत के नाम पर तैयार की है। कितने खरबों रुपये उन योजनाओं पर खर्च कर दिए गए लेकिन जनता का कल्याण कहीं ढूंढने से भी नहीं मिलता। यही हाल आज से चालीस साल पहले भी था और आज भी है। देश आगे बढ़ता जा रहा है। तब भी बढ़ता था और आज भी बढ़ रहा है। आगे भी बढ़ता ही रहेगा।
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इस बीच कुछ खबरें आ रही है। प्रधानमंत्री मोदी अगले चुनाव में फिर से जीत हासिल करने के लिए हर राज्यों का दौरा कर रहे हैं। कई राज्यों को योजनाएं दे रहे हैं। जनता के विकास की बात हो रही है। लक्ष्य एक ही है कि कैसे अगले चुनाव को अपने पक्ष में किया जाए। केवल इसी लक्ष्य को पाने के लिए कोई भी पार्टी अपना सब कुछ दांव पर लगा देती है। बीजेपी का बहुत कुछ दांव पर है। चुनाव जीत गए तो बहुत से रास्ते फिर खुलेंगे और चुनाव हार गए तो सारे रास्ते बंद हो जायेंगे। कइयों को जेल भी जाना पड़ सकता है। यह बात सरकार में शामिल वे लोग भी जानते हैं जो आये दिन दूसरों पर कीचड़ उछालने से बाज नहीं आते। राजनीति के इस मिजाज को जनता भी समझ रही है।
उधर एक दूसरी बड़ी खबर भी आयी है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) भी विपक्ष की बंगलौर बैठक में शरीक होने जा रही है। वहां वह सभी विपक्षी नेताओं से मुलाकात करेंगी। बंगलौर में विपक्षी पार्टियों की बैठक 17-18 जुलाई को होनी है। सोनिया के बंगलौर पहुंचने के कई मायने हैं। वह भी चाह रही है कि विपक्ष एक होकर चुनाव लड़े और बीजेपी का मुकाबला करे। कांग्रेस के लिए भी आगामी लोकसभा चुनाव अपने अस्तित्व को बचाने जैसा ही है।अगर इस चुनाव में भी कांग्रेस बेहतर परफॉर्मेंस नहीं कर पाई तो फिर उसकी राजनीति जमींदोज हो सकती है। दस साल के बाद भी कांग्रेस सत्ता तक नहीं पहुंचती है तो फिर उसकी राजनीति हाशिये पर चली जाएगी। और फिर क्षेत्रीय पार्टियां भी बहुत दिनों तक रह नहीं सकती। ऐसे में सोनिया का बैठक में पहुंचने के कई मायने हैं।
खेल यही है कि सब मिल जाओ और बीजेपी का मुकाबला करो। लेकिन फिर वही सच सामने है कि आखिर जनता को क्या मिलेगा ? क्या उनकी तकलीफ दूर होंगी ? इसका उत्तर न बीजेपी दें सकती है और न ही कांग्रेस।