AJMER URS 2025: ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर प्रधानमंत्री मोदी की चादर, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू करेंगे पेश
AJMER URS 2025: अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से चादर पेश की जाएगी। इस अवसर पर प्रधानमंत्री की ओर से यह चादर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा पेश की जाएगी। यह आयोजन ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स के मौके पर हो रहा है, जिसमें देशभर से हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं। दरगाह में चादर पेश करने की यह परंपरा सांप्रदायिक सौहार्द और आध्यात्मिक आस्था का प्रतीक मानी जाती है।
AJMER URS 2025 : सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर देशभर से श्रद्धालु अपनी श्रद्धा व्यक्त करने आते हैं। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से एक चादर पेश की जाएगी। इस विशेष अवसर पर प्रधानमंत्री की तरफ से केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू आज अजमेर स्थित दरगाह पर चादर चढ़ाएंगे। यह कदम धार्मिक और सांस्कृतिक एकता के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है।
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती और उनकी दरगाह का महत्व
अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह भारत के सबसे प्रमुख सूफी स्थलों में से एक है। इसे “ग़रीब नवाज़” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि ख्वाजा साहब ने अपने जीवन में समाज के गरीब और वंचित वर्ग की सेवा की। उनकी दरगाह न केवल मुस्लिम समुदाय के लिए, बल्कि अन्य धर्मों के लोगों के लिए भी आस्था का केंद्र है।
हर साल उर्स के अवसर पर देश और दुनिया के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं। विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों से जुड़े लोग यहां अपनी मन्नतें पूरी करने और शांति की तलाश में पहुंचते हैं।
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प्रधानमंत्री की चादर का प्रतीकात्मक महत्व
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दरगाह पर चादर चढ़ाना न केवल उनकी श्रद्धा को दर्शाता है, बल्कि यह धार्मिक सद्भाव और सांस्कृतिक एकता को भी बढ़ावा देता है। यह संदेश देता है कि भारत विविध धर्मों और संस्कृतियों का एक ऐसा देश है, जहां हर धर्म और विश्वास का सम्मान किया जाता है।
प्रधान मंत्री द्वारा भेजी गई चादर को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू पेश करेंगे। यह परंपरा दर्शाती है कि सरकार सभी धर्मों को समान रूप से महत्व देती है और उनके प्रति सम्मान प्रकट करती है।
चादर चढ़ाने की प्रक्रिया और दरगाह का माहौल
अजमेर दरगाह पर चादर चढ़ाने की प्रक्रिया विशेष रूप से पवित्र मानी जाती है। चादर को पहले गुलाब की पंखुड़ियों और इत्र से सजाया जाता है। इसके बाद इसे दरगाह के प्रमुख स्थान, “गुम्बद शरीफ,” पर ले जाया जाता है, जहां इसे पेश किया जाता है।
आज दरगाह में विशेष तैयारियां की गई हैं। फूलों की सजावट, रोशनी, और श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं।
धार्मिक और सामाजिक सद्भाव का संदेश
प्रधानमंत्री द्वारा चादर भेजने की परंपरा हर साल जारी रहती है। यह कदम धार्मिक सद्भाव का प्रतीक है और इस बात को दर्शाता है कि भारत की संस्कृति विविधता में एकता की परंपरा पर आधारित है।
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केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने इस अवसर पर कहा, “ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती जैसे महान संतों की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं। उनकी जीवन शैली और संदेश हमें प्रेम, शांति, और भाईचारे का महत्व सिखाते हैं। प्रधानमंत्री की चादर चढ़ाने का यह कार्य देश की धार्मिक एकता का प्रतीक है।”
दरगाह पर आने वाले श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया
दरगाह पर मौजूद श्रद्धालुओं ने इस कदम का स्वागत किया। एक श्रद्धालु ने कहा, “प्रधानमंत्री का ख्वाजा साहब की दरगाह पर चादर भेजना दिखाता है कि देश का नेतृत्व सभी धर्मों और आस्थाओं का सम्मान करता है। यह सभी के लिए एक प्रेरणा है।”
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